मतलब निकल गया तो पहचानते नहीं : Moral Stories in Hindi

….अरे इसमें क्या स्वार्थी वाली बात है…!ये तो सामाजिक लेन देन है जब हमे उनसे कोई काम था तब उनके घर आना जाना था संबंध था अब कोई काम नहीं है तो संबंध खतम!!कोई जिंदगी भर का रिश्ता थोड़ी निभाना था हमे जो आप इस तरह सवाल उठा रही हैं और हमे मतलबी सिद्ध कर रही हैं……….

पुनीता मुंहफट हो बोले जा रही थी और चारू जो सुमेधा की पड़ोसन और शुभचिंतक थी अवाक सी सुन रही थी।

सुमेधा के पति सुबोध बैंक में जॉब करते थे….मितभाषी सुबोध अपने सभी काम मन लगाकर ही करते थे ….अपने परिचितों का बहुत ध्यान रखते थे ….पुनीता के पति विजय को उसी शहर में एक फैक्टरी खोलनी थी …बैंक के अनगिनत कार्यों को समय सीमा के अंदर ही करवाने के लिए उन्हें सुबोध जैसा सीधा और तत्काल सहयोग करने वाला अधिकारी यूं मिल गया मानो अंधे को दो आंखें…!

बस फिर क्या था….आए दिन पुनीता सुमेधा के घर आने जाने लगी …..कभी रमेश मिठाई वाले के प्रसिद्ध पेड़े लेकर तो कभी सुबह सुबह इडली सांभर का नाश्ता लेकर…..संकोची स्वभाव के सुबोध और सुमेधा को उनका ये आना जाना और सामान आदि लाना सही नही लगता था

परंतु पुनीता की चाशनी भरी बातों की मिठास और विजय की अतिरिक्त स्नेहसिक्त वाणी उनके दिलों में जगह बनाती चली गई और क्रमशः अपने सभी घरेलू काम काजो के लिए वो दोनों पुनीता के आदी होते चले गए …..!

पुनीता की बेटी सिद्धि तो दिन भर सुमेधा के घर में ही बनी रहती थी….

….बेटा इतना ज्यादा मेल जोल बढ़ाना ठीक नहीं है ….तुम संभाल के रहो….अपने सभी काम खुद ही किया करो उन लोगो से नहीं करवाया करो तुम्हारी आदत खराब हो जायेगी …साफ साफ मना कर दो उन्हें…उनके लाए गिफ्ट्स और मिठाई आदि मत लिया करो…..

सुमेधा की मां ये सारी घटनाएं सुनकर अक्सर सुमेधा को समझाती थी पर  सुमेधा की आंखों और दिलो दिमाग पर तो मानो पुनीता नाम का पर्दा पड़ गया था जिसके उस पार उसे कुछ दिखाई ही नहीं देता था…..

एक दिन सिद्धि ने बताया आंटी अगले हफ्ते मेरा जन्मदिन है पापा खूब धूमधाम से मनाने वाले हैं आप आएंगी ना ….सुमेधा बहुत प्रसन्न हो गई उसने कहा बहुत बढ़िया गिफ्ट लेकर आएंगे जरूर आयेंगे….




सुमेधा ने सुबोध से इस बारे में चर्चा की तो उसने बताया कि हां उसी दिन विजय की नवीन फैक्ट्री का उद्घाटन भी होना है विधायक जी के हाथों….कल अंतिम कागजात तैयार हों जायेंगे…विजय बहुत एहसान मान रहा था बार बार बोल रहा था सुबोध जी आप नहीं होते तो मैं कैसे कर पाता ये सारे काम इतना बड़ा काम आपकी त्वरित कार्यप्रणाली के कारण इतनी जल्दी हो गया …!

दो दिनों से सिद्धि नहीं आ रही थी सुमेधा को चिंता होने लगी कहीं बीमार तो नहीं हो गई …उसका जन्मदिन भी आ रहा है ….कितनी प्यारी बच्ची है ….एक बड़ी सी बार्बी डॉल और उसकी पसंद के ढेर सारे खिलौने सुमेधा ने खरीद लिए थे उसके जन्मदिन के लिए….!जन्मदिन की तैयारी में व्यस्त हो गई होगी उसने सोचा….

जन्मदिन वाले दिन सुमेधा की तबियत अचानक काफी खराब हो गई उसे माइग्रेन की शिकायत थी ….असहनीय दर्द रहता था…..

ऐसे समय अभी तक हमेशा पुनीता उसका बढ़ चढ़ कर ख्याल रखती थी ….दवाई से लेकर खाना नाश्ता बनाना….और सिद्धि तो दिन भर उसके पास बैठ कर आंटी का सिर दबाती रहती थी और मीठी मीठी बातें करती रहती थी….!

सुबोध  उसकी खराब तबियत देख कर चिंतित था और बैंक जाने को लेकर असमंजस में था…सुमेधा ने कहा अरे चिंता की कोई बात ही नहीं है आप बैंक जाइए  जाते जाते रास्ते में पुनीता को बोल दीजिएगा सिद्धि को भेज देगी दो तीन दिनों से आई भी नहीं है…

आज उसका जन्मदिन भी है मुझे ठीक होना ही पड़ेगा वहां जाने के लिए अन्यथा बिचारे पुनीता और सिद्धि बहुत दुखी हो जायेगे …!आप बैंक से जल्दी आ जाइएगा गिफ्ट्स सिद्धि को दिखाकर पैक भी करवाना है..उसकी पसंद की बार्बी डॉल होनी चाहिए भई..!कहकर उस दर्द में भी सिद्धि की याद करके सुमेधा मुस्कुरा उठी..!

….पूरा दिन सिद्धि और पुनीता के इंतजार में बीत गया …कोई भी नहीं आया सुमेधा  किसी तरह दवाई खाकर अपने आपको जन्मदिन में जाने लायक कर रही थी और तैयार होने की कोशिश कर रही थी….

तैयार होने के भी काफी देर तक सुबोध के नहीं आने पर वो चिंतित हो उठी…अब ऐसी भी क्या व्यस्तता रोज ही तो बैंक जाते हैं काम करते ही हैं आज इतने खास दिन को भूल गए….कितने एहसान है पुनीता लोगो के हम पर सुबोध को सोचना चाहिए…!सुमेधा बुदबुदा रही थी….




तभी सुबोध आ गए….कैसी तबियत है तुम्हारी सुमेधा …अरे तुम तैयार क्यों हो!!आराम करो…!

आज सिद्धि का जन्मदिन है हमें वहां जाना है सुबोध आप ये भी भूल गए होंगे अपने बैंक के काम में मुझे मालूम था….सुमेधा ने जोर से कहकर अपनी नाराजगी जाहिर की तो सुबोध ने जोर से हंसकर कहा ….अरे सुमेधा कैसा जन्मदिन किसका जन्मदिन ..!! हमें बुलाया किसने है जन्मदिन पर !!…

बुलाया …!!सुबोध अब सिद्धि के जन्मदिन पर भी क्या बुलाने की आवश्यकता है वो लोग तो घरवालों से भी बढ़ कर हैं ..सिद्धि ने बताया तो था उतना काफी है मेरे लिए..चली जल्दी वैसे ही देर हो गई है…सुमेधा ने हड़बड़ी दिखाते हुए कहा….

सुनो सुमेधा सब स्वार्थी लोग हैं…विजय और पुनीता ने सबको शानदार कार्ड देकर निमंत्रित किया है आज जन्मदिन पर …. हमें नहीं दिया..!सिद्धि तुम्हारे पास दो तीन दिनों से नहीं आ रही है …

अब वो कॉर्नर वाले घर में वैशाली जी के घर जाती है ….!पुनीता चार दिनों से तुम्हारी खोज खबर लेने नहीं आई ..!आज मैं जाते जाते उनके घर जाने वाला था पर … नहीं जा पाया…!

जानती हो क्यों!!अब विजय को मुझसे कोई काम नहीं पड़ने वाला…. उन लोगों ने अपना स्वार्थ सिद्ध करने के लिए हम लोगों से घनिष्ठता बढ़ाई सबके बीच हमसे दोस्ती की डींगे हांकी….सिर्फ और सिर्फ अपना उल्लू सीधा करने के लिए….

आज तो उनके घर के सामने गाड़ी रोकने पर विजय ने मुझे पहचाना तक नहीं!!मेरे बैंक का काम खत्म हो गया तो संबंध भी खतम हो गया ..अब दूसरे बैंक से उसे काम करवाना है तो वैशाली जी से संबंध बना रहे हैं…सिद्धि तुम्हें भूल कर वहां जा रही है…. बच्चों को भी स्वार्थ परक संबंध बनाना और खतम करना सिखा रहे हैं….!

सुमेधा स्तब्ध हो सुबोध की बातें सुन रही थी और सिद्धि की प्यारी सी सूरत याद कर रही थी ….बहुत दुख हुआ था उसे …पर सुबोध के बार बार मना करने के बावजूद भी कुछ सोच कर उसने पड़ोसी और सहेली चारु को बुलवाया था और सिद्धि के लिए खरीदी गिफ्ट्स उसके हाथों वहां भिजवा दिया था ….

चारु ने सारी गिफ्ट्स सिद्धि को सुमेधा आंटी की तरफ से दे दिया था वो बहुत ज्यादा खुश हुई और अपनी मम्मी यानी पुनीता को तुरंत दिखाने ले गई थी देखो मम्मा मैने कहा था ना सुमेधा आंटी बहुत अच्छी है वो मेरे लिए जरूर गिफ्ट भेजेंगी आप गलत कह रहीं थीं कि गिफ्ट देना पड़ेगा इसलिए सुमेधा आंटी नहीं आ रही है……!

चारु ये सुनकर अवाक थी उसने पुनीता को डपट दिया था क्या पुनीता जी कम से कम इस मासूम बच्ची को तो अपने इन झूठ प्रपंच से दूर रखिए आप दोनों ने तो सुमेधा और सुबोध जी से अपना खूब मतलब निकाला और अब उनकी भलमनसाहत  का शुक्रिया अदा करने के बजाय बच्ची की नज़रों से उन्हें ही गिराने की कोशिश कर रहीं हैं…..स्वार्थ से परे भी रिश्तों का मोल करना सीखिए।

पुनीता चारु की बातों को अनसुना करती हुई उसी समय प्रविष्ट हुई वैशाली जी की आव भगत में तेजी से अग्रसर हो गई थी।

#स्वार्थ

लतिका श्रीवास्तव 

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