एक ससुराल ऐसा भी – संगीता अग्रवाल

” अरे कमला देखो चूड़ी वाला आया है दस दिन बाद तीज है। तीज के लिए चूड़ियाँ लेनी होंगी तुम्हे कहो तो बुला लूँ ?” सुधाकर जी ने अपनी पत्नी को आवाज़ दी।

” धीरे बोलो जी छोटी बहु सुन लेगी तो उसे कितना बुरा लगेगा …वैसे भी मैने बड़ी बहु को बोल दिया वो अपने लिए बाज़ार से चूड़ियाँ ले आएगी और रही मेरी बात मुझे कोई चूड़ी नही लेनी !” कमला जी बोली।

” पर !” सुधाकर जी कुछ बोलने को हुए।

” पर वर कुछ नही घर मे जवान बेटे की मौत हुई है। वो बच्ची जरा सी उम्र मे विधवा हो श्रृंगार विहीन हो गई ऐसे मे मैं बुढ़िया सजती सवरती अच्छी लगूगी क्या !” कमला जी बोली।

” मांजी मेरी किस्मत मे ये बेरंग जिंदगी थी मुझे मिली ईश्वर की दया से आपका सुहाग आपके साथ है और यही कामना है मेरी वो बरसो बरस बाबूजी को सेहतमंद रखे उनके नाम की ही सही आप चूड़ी ले लीजिये !” तभी वहाँ से निकलती छोटी बहु यानी की मिताली बोली।

” नही बहु तुझे इस रूप मे देख मेरा कलेजा मुंह को आता है मैं कैसे ये सब !” ये बोल कमला जी फफक् पड़ी उन्हे देख मिताली भी खुद को रोक ना सकी और रोते हुए अपने कमरे मे आ गई।

” क्यो नितिन क्यो मुझे यूँ छोड़ चले गये तुम किसके सहारे जियूँ अब मैं !” मिताली पति की तस्वीर से रोते हुए बोली। पास मे नन्ही गुड़िया सोई थी।




अब तक तो कहानी से आप ये तो समझ गये होंगे इस खानदान की छोटी बहु मिताली विधवा है। चलिए हम आपको उसके बारे मे थोड़ा विस्तार से बताते है.. । सुधाकर जी के दो बेटे थे बड़ा नितेश छोटा नितिन । नितेश की शादी को दस साल हो चुके उसकी पत्नी कामिनी है और दो बच्चे है उनके। नितिन की शादी तीन साल पहले हुई थी और दो साल की एक बेटी है उनके। बहुत ही प्यारा परिवार था सुधाकर जी का पर आज से नौ महीने पहले दीवाली के बाद इस परिवार को किसी की नज़र लग गई। अपनी नौकरी से लौटते मे नितिन  को लूटने के इरादे से दो बदमाशो ने उस पर हमला कर दिया और नितिन की इस हमले मे मौत हो गई। तबसे मिताली की जिंदगी तो सूनी हो गई । नन्ही गुड़िया को तो ये तक नही मालूम उसके प्यारे पापा कहा गये। नितिन की मौत के बाद मिताली के पिता और भाई उसे और गुड़िया को अपने साथ ले जाने आये भी थे पर सुधाकर जी और नितेश ने ये कह कर मना कर दिया की मिताली इस परिवार की बहु है और वो यही रहेगी। मिताली ने भी उनकी बात का समर्थन करते हुए ससुराल मे रहना मुनासिब समझा।

चलिए अब सुधाकर जी और कमला जी के पास चलते है…

” कमला तुम ही ऐसे रोओगी तो बहु को कौन संभालेगा !” सुधाकर जी बोले।

” सच मे उसे देख बहुत दुख होता है हमने भले अपना बेटा खोया पर उसने तो अपनी जिंदगी के सभी रंग , सभी त्योहार खो दिये !” कमला जी बोली।

” कमला मुझे लगता है हमें बच्ची की जिंदगी के रंग लौटाने होंगे !” सुधाकर जी कुछ सोचते हुए बोले।

” जी आप कहना क्या चाहते है मैं समझी नही ?” कमला जी ने पूछा।

” मेरा कहने का सीधा मतलब है हमें बच्ची की दूसरी शादी के बारे मे सोचना चाहिए !” सुधाकर जी बोले।




” दूसरी शादी …पर कैसे ? लोग क्या कहेंगे अभी तो पति को मरे साल भी नही हुआ ।” कमला जी ने फिर पूछा।

” लोगो की मुझे परवाह नही अपनी बहु की है।इसलिए  मेरे दोस्त का बेटा जिसकी पत्नी कोरोना मे स्वर्ग सिधार गई थी मैं चाहता हूँ उससे मिताली की शादी करवा दूँ। बच्ची की जिंदगी मे रंग भर जाएंगे और हमें भी सुकून रहेगा कल को हम ना रहे तो मिताली और गुड़िया खुश तो रहेंगे । नितेश की भी अपनी जिम्मेदारियां है।” सुधाकर जी बोले।

“सोचा तो आपने सही है बिल्कुल पर ..क्या मिताली मानेगी !!” कमला जी बोली।

” मिताली को तुम और कामिनी बहु समझाओ ऊंच नीच का वास्ता दो क्योकि यही उसके लिए सही है और हम उसके अपने है कुछ गलत नही सोचेंगे उसके लिए फिर देखा भाला परिवार है । अगर सब सही रहा तो इस तीज मिताली की जिंदगी मे रंग भरना चाहता हूँ मैं!” सुधाकर जी बोले।

” जी !” कमला जी बोली।

कमला जी ने मिताली से बात की पहले तो उसने इंकार ही कर दिया उसका कहना था वो नितिन की जगह किसी ओर को नही देगी। गुड़िया को अकेले पाल लेगी फिर सबका साथ तो है ही। पर कामिनी ने उसे सारी बातें समझाई ये भी कि गुड़िया को पापा की जरूरत होगी ही। बहुत ना नुकुर के बाद उसने कुछ सोचते हुए सारा फैसला सुधाकर जी और कमला जी पर छोड़ दिया । क्योकि वो उसके अपने है और अपनों से ज्यादा अपनी भलाई कोई नही समझता।

सुधाकर जी ने अपने मित्र से बात की तो वो भी देखा भाला परिवार होने के कारण तुरंत तैयार हो गये।




अब मिताली को सुधाकर जी के मित्र राकेश जी के बेटे माधव से मिलवाया गया । दोनो ने एक दूसरे से सारी बाते साफ करके अपनी रजामंदी दे दी। तब सुधाकर जी ने मिताली के मायके फोन लगा उन्हे सारी बातों से अवगत कराया।

” समधीजी आप महान है जो आपने हमारी बेटी के लिए इतना सोचा …लड़का आपने पसंद किया है तो मिताली के लिए उपयुक्त ही होगा बस हम ये चाहते है विवाह का सारा खर्च हम उठाये और बिटिया का कन्यादान करें !” मिताली के पिता गजेंद्र जी बोले।

” देखिये समधीजी आप अपनी बेटी का कन्यादान कर चुके है अब वो हमारी जिम्मेदारी है तो उसकी शादी की सारी जिम्मेदारी हमारी हुई ना। वैसे भी ईश्वर ने बेटी नही दी थी अब मिताली बिटिया का कन्यादान करके हमें भी गंगा स्नान का सौभाग्य प्राप्त होगा आप इसे हमसे मत छिनिये बस आप तो एक बार माधव बेटा से मिल ले आपकी रजामंदी बाद चट मांगनी पट ब्याह हो जायेगा आप बस बिटिया को आशीर्वाद दीजियेगा।” सुधाकर जी बोले उनके ये वचन सुन गजेंद्र जी गदगद हो गये क्योकि सुधाकर जी ने तो उनकी बिटिया के लिए ससुराल के मायने ही बदल दिये थे । बेटे की मृत्यु के बाद कहा लोग बहु का जीना मुहाल कर देते है कहाँ ये लोग तो बिटिया की जिंदगी मे दुबारा खुशियाँ ला रहे है।

गजेन्द्र जी को भी माधव बहुत पसंद आया उनकी सहमति के बाद चार दिन बाद का मुहरत निकला शादी का । छोटे से समारोह मे सुधाकर जी और कमला जी ने मिताली का कन्यादान किया। नितेश और कामिनी ने बड़े भाई भाभी की भूमिका निभाई । मिताली ऐसे ससुराल वाले पाकर खुश तो बहुत थी पर अब उन्हे छोड़ने का दुख उसे अपने जैविक माता पिता को छोड़ने से ज़्यादा हो रहा था। वो सुधाकर जी ओर कमला जी के गले लगकर फूट फूट कर रो दी।

” पगली पास ही तो जा रही है जब मन हो मिलने आ जाना !” कमला जी ने ये कहा और मिताली की विदाई करवाई।

” कमला कल तीज है मिताली बिटिया के लिए श्रृंगार का सामान ले लेना मैं बाज़ार से फल मिठाई लाता हूँ !” अगले दिन सुधाकर जी पत्नी से बोले।

” मैं भी चलती हू आपके साथ मिताली बिटिया और कामिनी बहु के लिए हरी लाल चूड़ियाँ लेने ।” कमला जी बोली।

” अरे अपने लिए नही लोगी क्या अब तो तुम्हे मेरे नाम की चूड़ियाँ पहनने मे कोई हर्ज नही ना !” सुधाकर जी पत्नी को छेड़ते हुए बोले तो कमला जी नई नवेली दुल्हन सी शर्मा गई। दोनों बाज़ार के लिए निकल गये सुधाकर जी बहुत खुश थे उन्होंने खुद से किया वादा पूरा किया था और तीज पर मिताली की जिंदगी मे रंग भर दिये थे। 

#अपने_तो_अपने_होते_हैं 

आपकी दोस्त संगीता अग्रवाल 

 

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