मां में पराई नहीं हूं! – कामिनी सजल सोनी

पूजा के ससुराल में घर के बाहर चाट वाला आवाज लगा रहा था बेवफा चाट वाले की पानी पूरी पीलो खट्टी खट्टी, मीठी मीठी !

उसकी यह आवाज सुनकर पूजा का दिल अक्सर मचल जाता पानीपूरी देखकर यह फिसल जाता! पर हाय रे क्या करूं ससुराल में  घर के बाहर निकल कर पानीपुरी तो नहीं पी सकती ना ! 

दौड़ कर कमरे की खिड़की से पानीपूरी वाले को देख कर मन ही मन मायके की गलियों में मन विचरने लगा… अक्सर कॉलेज से घर आते समय चेतना के साथ मिलकर स्टूडेंट चाट भंडार वाले के यहां रुक कर छक कर पानीपरी का मजा लेते हुए घर वापस आती थी।

स्टूडेंट चाट भंडार के सामने ही सोने चांदी के सामान का शोरूम था मां को कुछ भी लेना होता तो झट से उनके साथ वही पहुंच जाती इसी बहाने कम से कम पानी पूरी खाने की दिली तमन्ना भी पूरी हो जाती।

अबकी बार तो ठान लिया था मायके जाऊंगी तो रोज ही समय निकालकर पानीपूरी पीने की हसरत पूरी कर के आऊंगी कितने ही मनसूबे बांध रही थी पूजा खिड़की पर खड़े खड़े!

शादी को पूरे 6 महीने हो गए पहली विदाई के बाद ससुराल वापस आने पर अभी तक मां ने फोन करके यह नहीं कहा कि पूजा घर आने की कब इच्छा है! क्या सचमुच मुझे मां भूल गई या भाइयों को मेरी याद नहीं आती ऐसा कैसे हो सकता है मन में तरह-तरह की आशंकाएं उथल-पुथल मचा रही थी।

आखिर दो भाइयों की लाड़ली बहन है पूजा! क्या शादी के बाद इतनी पराई हो गई कि अब तक किसी ने सुध भी ना ली !

अब तो मां के कहने का इंतजार नहीं होता खुद ही फोन करके पूजा ने बोल दिया था मां भैया को भेज दो आकर मुझे ले जाएं आप सभी की बहुत याद आ रही है।




कुछ ही दिन में बड़े भैया आकर पूजा को ससुराल से विदा करा कर ले गए।

मायके पहुंचकर पूजा चहक उठी लेकिन मां के चेहरे पर उदासी झलक रही थी भाइयों के चेहरे पर परेशानी साफ-साफ दिख रही थी लेकिन अपने मन का भ्रम समझ कर पूजा तो मायके आकर खुश हो रही थी।

अपनी पक्की सहेली चेतना को फोन कर पूजा ने स्टूडेंट चाट भंडार में मिलने के लिए बुला लिया वही दोनों सहेलियां छक कर पानीपुरी का मजा लेंगे और अपने दुख सुख की बातें!

चेतना की अभी शादी नहीं हुई थी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रही थी इसीलिए फोन पर पूजा से ज्यादा बात नहीं हो पाती थी। अब जब पूजा मायके आई है तो रही सही यह कसर भी पूरी कर लेना चाहती थी।

दोनों सहेलियां बातों में मशगूल हो पानीपुरी का मजा ले रही थी कि अचानक पूजा की नजर सामने  सोने चांदी की दुकान पर बैठे बड़े भैया के ऊपर गई!

शायद बड़े भैया उसकी विदाई के लिए कुछ सोने चांदी का सामान खरीदने आए होंगे मन ही मन सोच रही थी कि घर जाकर सबसे पहले बड़े भैया से नाराज हो जाऊंगी बहन घर आई नहीं की विदाई की तैयारियां शुरू कर दी?

लेकिन कहते हैं ना नारी मन बड़ा चंचल होता है पूजा को इतना भी सब्र नहीं हो रहा था कि घर जाकर बड़े भैया से पूछ ले !

फटाफट चाट और पानी पूरी खाकर पहुंच गई सामने की दुकान पर… दुकान वाले भैया से अच्छी खासी पहचान थी पूजा की इसीलिए बगैर किसी भूमिका के पूजा ने सीधे-सीधे ही पूछ लिया बड़े भैया किस लिए आए थे आप की दुकान पर?

अरे बिटिया तुम्हें नहीं पता तुम्हारी मां का जेवर गिरवी रखने आए थे कोई परेशानी चल रही है क्या घर में!

क्या गिरवी रखा है उन्होंने और कितने पैसे ले गए क्या आप मुझे बताएंगे दुखी होते हुए पूजा ने कहा!

हां हां बिटिया क्यों नहीं बताएंगे देखो यह तुम्हारी मां का मंगलसूत्र  बीस हजार रुपए में गिरवी रखा है बड़े भैया ने ..!




आह!पापा की आखिरी निशानी बड़े भैया गिरवी रख गये ! आखिर ऐसी क्या मजबूरी आन पड़ी।

आंखों में आंसू लिए मन में हजार उलझनों और विचारों का झंझावात लिए पूजा घर वापस आ गई।

घर आते ही मां से पूछा मां ऐसी क्या मुसीबत आन पड़ी जो आपको पापा की आखिरी निशानी गिरवी रखनी पड़ी क्या मैं आप सभी के लिए इतनी पराई हो गई मुझे आपने बताना भी उचित नहीं समझा।

कैसी बातें कर रही है तू दरअसल अभी तेरे भाई के व्यापार में घाटा चल रहा है तुझे तो पता ही है करोना के बाद से स्थितियां उबर नहीं पाई ।

फिर तेरी शादी का खर्चा..! अब तो घर खर्च भी  बड़ी तंगी से हो रहा है इसीलिए तो मैंने तुझे आने के लिए भी नहीं कहा लेकिन तेरा बड़ा मन था सो तुम्हें मायके बुलवा लिया..!

आह ! तो मेरे मायके आने से भैया के ऊपर अतिरिक्त खर्चा आ गया सच ही तो है विदाई में क्या खर्चा नहीं होता।

मायके से बेटियों को सूना सूना भी तो विदा नहीं करते सोचकर ही पूजा ने भावुक होकर कसकर मां के हाथों को पकड़ लिया  जैसे पूजा जता रही हो मां आप चिंता मत करो अबकी बार विदाई में मैं आपको कर्जदार बना कर नहीं जाऊंगी!

पूजा ने अपने कमरे में आकर सबसे पहले अपनी पासबुक निकाली शुरू से ही उसकी बचत करने की आदत थी अक्सर वह अपने पैसे जोड़ कर बैंक में जमा कर देती थी शादी के समय भी तो जितना व्यवहार मिला था उसने पूरा का पूरा बैंक में जमा कर दिया था कुल मिलाकर पूजा के पास खुद का  डेढ़ लाख रुपए था।

अगले ही दिन बैंक जाकर उसने चालीस हजार रुपए निकाले और सबसे पहले जाकर मां का मंगलसूत्र जो गिरवी रखा था वह उठाया ।




घर जाकर पूजा ने मां के हाथ में उनका मंगलसूत्र देते हुए कहा मां अब यह मंगलसूत्र अपने आप से कभी दूर मत करना भले ही पापा हम सभी के साथ ना हो लेकिन आपका यह मंगलसूत्र हमें यह याद दिलाता है कि वह हमारे आस पास ही हैं।

बाकी के बचे हुए बीस हजार रुपए मां के हाथ पर रखते हुए कहा आप यह पैसे रखो घर खर्च के लिए!

मैंने अपनी चेक बुक पर भी साइन कर दिए हैं जब भी आपको जरूरत हो पैसे निकाल लेना।

कैसी पागलों जैसी बातें कर रही हो बिटिया क्या अब हम तुम्हारे पैसों से घर खर्च चलाएंगे?

पागलों जैसी बातें मैं नहीं आप कर रही हो मां! क्या शादी के बाद बेटियां इतनी पराई हो जाती है!

मेरी पासबुक में जितने भी पैसे हैं सब यहीं के हैं याद है ना आपको जब-जब भी पापा को व्यापार में फायदा होता था तो हमेशा सबसे ज्यादा पैसे मुझे ही देते मेरे पास जो पैसे हैं वह सब पापा के दिए हुए ही तो हैं जितना हक इन पर मेरा है उतना ही आपका इसीलिए अब कभी ऐसा मत सोचना वरना मैं आपसे नाराज हो जाऊंगी।

मां बेटियां शादी के बाद सिर्फ घर छोड़कर जाती हैं अपने जन्म के रिश्तों को नहीं!

सचमुच बेटा तूने बहुत बड़ी बात कह दी मैं ही नादान थी जो तुझे पराया समझ बैठी! यह कहकर दोनों मां बेटी गले लग गए।

दूर खड़े बड़े भैया अपनी आंखों में आंसू लिए दिल से ढेरों आशीर्वाद दे रहे थे छोटी बहन को जो  समय के साथ समझदारी में कुछ ज्यादा ही बड़ी हो गई थी।

कुछ दिन मायके में रह कर पूजा विदा लेकर अपने ससुराल चली गई मन ही मन मायके की दहलीज पार करते हुए ईश्वर से उस दहलीज की संपन्नता और सलामती की दुआएं मांगते हुए।

 हर बहन बेटी के दिल की तमन्ना होती है कि उसका मायका हमेशा खुशहाल रहे भाई हमेशा दिन दूनी और रात चौगुनी तरक्की करें! मायके की खुशहाली ही तो बेटियों को ससुराल में जीने की उमंग पैदा करती हैं।

सचमुच अपने तो अपने होते हैं।

धन्यवाद 🙏

#अपने_तो_अपने_होते_हैं 

कामिनी सजल सोनी ✍️

 

 

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