ममता का रिश्ता – कंचन श्रीवास्तव

ये कोई कहने की बात नहीं है कि जब दिन गर्दिश भरे हो तो कोई साथ नहीं देता,चाहे खून का ही रिश्ता क्यों न हो।

कभी कभी सोचता हूं रिश्ता तो खून का ही मां के साथ भी होता है फिर वो क्यों नहीं बदलती।

मुझे अच्छे से याद है जब हम चारों भाई बहन छोटे थे तो मां सबको बराबर खाना परोसती ,सबकी ठीक ढंग से देखभाल करती ,पढ़ाई लिखाई पर सभी के रुचि के अनुसार जरूरत का सामान मुहैया कराती।कभी किसी के साथ भेद भाव न करती।

वो बात अलग है कि हम सब कभी कम ज्यादा होने पर हम सब आपस में लड़ाते ,और हमें लड़ता देख मां मुस्कुराती और कहती ये तुम्हारे मन का भ्रम है हम किसी को कम या ज्यादा नहीं चाहते मेरे लिए तो सब बराबर हैं 

पता नहीं तुम लोगों को क्यों ऐसा लगता है।



अब अपनी रुचि और इच्छा अनुसार आप लोगों ने पढ़ाई चूज की है तो पैसे कम ज्यादा लग जाते हैं वो अलग बात है फिर सबकी पढ़ाई में एक से पैसे कैसे लगेंगे जब सबकी फिल्ड अलग है तो।

और तुम लोग सोचते हो उसको ज्यादा और उसको कम चाहते हैं।

मैंने देखा यही करते करते हम सब जवान हो गए, साथ ही नौकरीपेशा भी हो गए ,अब बारी शादी की आई तो भाग्य के अनुसार जिसको जैसा मिला सबकी शादी भी हो गई।

पर मैने देखा पहले जैसा प्यार हम लोगों में नहीं रहा।वजह सिर्फ इतनी थी कि किसी के पास कम पैसा था तो किसी के पास ज्यादा।

और यही तकरार की वजह बन गई। क्योंकि जिसके पास था उस लोग अहंकारी कहते और जिसके पास नहीं उसे कमजोर।

इस तरह बात यहां तक आ गई कि खून के रिश्ते ही कमजोर पड़ने लगे।

जिसे देख मां बहुत दुखी होती पर कुछ बोलती न क्योंकि उसके लिए सब बराबर हैं ।



और मैंने देखा आज भी वो सबको एक समान ही मानती थी।

सच तो ये है कि हम सब के झगड़े में कभी पड़ती ही नहीं थी।

उसकी तड़प आज भी 

 वैसे ही है,  जैसे पहली बार जब मैं अबोध था तो रोने पर उसने अंतड़ियों की ऐंठन को महसूस  करके स्तन धराया था मुझको और आज जब सबकी उम्र तकरीबन तकरीबन तीस चालीस पचास और पचपन की हो गई है तब भी सबकी  राह देखती है जब तक सब खाकर सो नहीं जाता जागती रहती है।

हर रात सबकी पत्नियों और पतियों  से पूछती है खाना खा लिया। जिसे सुन सब गदगद हो जाते हैं।

हैं ना

कितनी अजीब बात ,  समझदार पति/पत्नी के हाथों सौंप कर भी फ़िक्र करती है । और  अपने आप से कहता हूं अरे ! पगले खून के साथ साथ ममता का रिश्ता है तुम सबसे  तभी तो मां अलग है खून के भी रिश्तों  से।

स्वरचित

आरज़ू

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