मैं शोक कैसे मनाऊँ – नीरजा कृष्णा

पिछले मास पहले उसके इकलौते भाई का सड़क दुर्घटना में देहावसान हो गया। परिवार पर तो दुखों का पहाड़ टूट पड़ा था…बहुत चाह कर भी वो उस दुख की घड़ी में अपनी माँ और भाभी को ढाँढस बधाने नही जा पाई थी। उसी समय उसके चचेरे देवर की भी मृत्यु हो गई थी। चाची जी और सीमा की हालत देख कर पूरा परिवार हिला हुआ था। वो पछाड़ खा खाकर बेहोश हो रही थी…उसकी वो दशा देख कर सबका कलेजा मुँह को आ रहा था।

 

अभी उसका परिवार इस दुखद स्थिति से जूझ ही रहा था, तभी पीहर से भाई की मृत्यु का  ह्रदयविदारक समाचार आ गया था। वो तो एकदम पीली ही पड़ गई थी। उस समय उसकी भाभी मंजरी ने ही उसे हिम्मत बँधाई थी,

 

“दीदी, जो होना था…हो ही गया।  आप यहाँ की और माँ की चिंता बिल्कुल ना करें। यहाँ मैं हूँ ना…आप वहाँ का पहले देखें…सीमा को आपकी ज्यादा जरूरत है।”

 

वो तो हैरान हो गई थी…मन ही मन उस क्षत्राणी को नमन किया था।

 

आज मौका मिला था। मम्मी जी भी बोली थी,”जा बेटा , अब अपनी भाभी और माँ से मिलने चली जा।अब वहाँ सबके साथ कुछ दिन रह भी लेना।”

 

दो घंटे का सफ़र उसने बहुत धड़कते दिल से पूरा किया था। पहुँचने पर भरे दिल से माँ और दस साल की मिनी ने स्वागत किया। उसकी सवालिया निगाहों का माँ ने ही जवाब दिया,”मंजरी ऑफिस गई है। मोहन के स्थान पर उसकी नियुक्ति हो गई है।  वो बेचारी तो जी भर रोई भी नही।  कितनी हिम्मत से उसने स्वयं को और हम सबको सम्हाला है।”


 

एक बार फिर उसका मन श्रद्धा से भर गया। मन ही मन फिर उस वीर क्षत्राणी को नमन किया।  तब तक मंजरी भी पहुँच गई थी।वो दौड़ कर उसके गले लग गई… अब तक रुके आँसुओं का सैलाब बाँध तोड़ चुका था। थोडा़ संयत होकर चाय पीकर सब बैठक में पहुँचे …सब मोहन की तस्वीर के आगे नतमस्तक हो गए।  मंजरी भावुक हो गई थी

 

“दीदी, आपके भैया ने माँ और मिनी को सम्हालने को कहा था। पूरी कोशिश कर रही हूँ पर आप भी सहारा देती रहना।”

 

वो तो फफक ही पड़ी,”भाभीमाँ, भैया कहीं नही गए है। आपमें समा गए हैं। आज से आपही भैया भी हो और भाभी भी हो।”

 

उसके मन में तुरंत देवरानी सीमा की छवि घूम गई।  वो तो आज भी रो रोकर सबको दुखी किए हुई थी। वो भरे गले से बोली थी,

“भाभी, आपका उदाहरण देकर सीमा को समझाऊँगी।”

 

मंजरी के  उदास चेहरे पर स्मित छा गया,”अरे दीदी, आप भी क्या सोचने लगी। उनकी और मेरी परिस्थिति अलग हैं।  उनके पास शोक मनाने के लिए साधनों की कमी नहीं है  पर मुझे माँजी और मिनी को देखना है… मैं शोक कैसे मनाऊँ।”

नीरजा कृष्णा

पटना

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