मैं का त्याग – गुरविंदर टूटेजा

गौरव ने बताया कि जेठ जी अपने परिवार के साथ आ रहें है तो निधी टेन्शन में आ गयी…साल में एक बार वो आतें ही हैं मम्मीजी से मिलनें…जेठ जी की नौकरी बहुत अच्छी थी तो जेठानी जी जब भी आती तो उनके नखरें अलग ही होते थे….ये चद्दर ऐसी क्यूँ है…आ रो का पानी क्यूँ नहीं है…एसी नहीं लगा है इतनी गर्मी है यहाँ…कितने मच्छर हैं…मेरे बच्चों को ऐसे रहने की आदत नहीं है…जेठ जी समझदार हैं वो समझतें है हमारी परिस्थितियों को पर जेठानी जी तो बस अपने मैं तो नहीं रह सकती ऐसे यही कहती रहती थी…!!!!

   निधी ने घर को सही करना शुरू कर दिया…चद्दरें बदल दी अब तो आ रो व एसी लगा ही लिया था…वैसे तो इस बार परिस्थिति थोड़ी अलग थी क्यूँकि जेठजी की नौकरी छूट गयी थी फिर भी निधी ने अपनी तरफ से सब सही करने की कोशिश की थी…!!!!

   आज आना था तो सुबह से ही खानें की तैयारी में लग गयी थी मम्मीजी ने  सब उन सब की पंसद का बनवाया था..!!!!

    गौरव ने भी छुट्टी ले ली थी दो दिन की बच्चों को भी अच्छा लगता था मजा तो आता था सब इकठ्ठें होतें थे तो…घंटी बजी आ गयें थे वो लोग…सबसे मिलकर अच्छा लग रहा था मम्मीजी तो बहुत खुश थी…पर जेठानी जी चुप-चुप थी इस बार कुछ ज्यादा बोल ही नहीं रही थी…निधी सबसे मिलकर उनके पास आकर बैठ गयी…फिर भी उन्होंने ज्यादा बात नहीं की…सबने खाना खा लिया और वो सब थक गयें थे तो एसी वाला कमरा दे दिया वही बच्चों के भी दो बिस्तर नीचें लगा दिये थे…!!!!

    निधी किचेन में आ गयी थी संभालनें…इतने में जेठानी जी भी आ गयी पहले कभी वो आयी नहीं तो उनकों देख निधी चौंक गयी…अरे!भाभी आप आराम कीजिये ना…!!!!

   निधी मैंने गौरव भैया को इनके पास सुला दिया है…आज हम दोनों साथ में सोयेंगे..!!

 आपको कूलर में नींद नहीं आयेंगी…आप कैसे सोयेंगी…??

 आ जायेगी निधी आज मैं तुमसे बहुत सी बातें करना चाहती हूँ…सीखना चाहती हूँ कि तुम इतने बड़े घर से आई हो फिर भी जो था जैसा वक्त था मैंने तुम्हारें चेहरे पर कभी शिकन नहीं देखी…तुम हर हाल में कैसे खुश रह लेती हो…!!!!

  आज आपकों क्या हो गया है भाभी…आप तो ऐसी बातें कभी नहीं करती थी…!!!!

   सच कहूँ निधी जब से इनकी नौकरी छूटी है तो मुझे एक बात समझ आयी कि हमें अपना वक्त देखकर नहीं बोलना चाहियें…दूसरा किस परिस्थिति में है वो देखकर किसी भी चीज की माँग करनी चाहियें…!!!!

  आज मेरा वक्त बुरा है तो सबसे पहले मेरे मैं ने मेरा साथ छोड़ दिया….छोड़ना भी था क्या करती उस मैं का जो मुझे तसल्ली भी नहीं दे रहा था ….!!!!

   निधी ने भाभी के मन की पीड़ा को समझा और बोली…आपने बिल्कुल सही किया वक्त तो फिर अच्छा आ जायेगा पर…आपको जो हर हाल में खुश रखेगा…वो मैं का त्याग ही है ये करके ही आप हमेशा खुश रह सकतें हो…अब मुझे लगता है कि आप और मैं कूलर में चैन की नींद सोयेंगे…दोनो जोर से हँस दी…. तो ये देख पानी पीने उठी मम्मीजी की नींद उड़ गयी…!!!!!

  #त्याग

गुरविंदर टूटेजा 

उज्जैन (म.प्र.)

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