मैं हूँ ना – मंगला श्रीवास्तव

बहुत रात बीत चुकी थी । जुगनी अपने तीनों बच्चों के साथ गहरी नींद के आगोश में जा चुकी थी । कितने ही घरों में काम करती थी मरियल सी जुगनी अपने बच्चों केलिए व अपने घर को चलाने की खातिर ,और शाम को थककर इतना चूर हो जाती थी ,की उसको अपना कोई होश भी नही रहता था ,सोने के बाद।

उसके पति जगत के आने के  समय का कोई ठिकाना नही था।वह एक नम्बर का जुआरी अय्यास शराबखोर था।

वह दिन में मजदूरी करता जो भी रुपया मिलता सब अपने शौक में उड़ा देता,और कभी कभी जुगनी से भी मार पीट कर रुपये छीन लेता था।

रोज की तरह वह आज भी आधी रात को नशे में धुत होकर आया और सोती हुई जुगनी को जोर से हिलाकर उठाया और बोला , चल उठा  बहुत जोर की भूख लगी है !

खान दे “‘सो गयी थी साली” !

 जुगनी नींद में ही चिल्लाकर बोली नही है खाना जा,जाकर

खाया उन लफंगे मवालियों के साथ जिनके साथ पीता है ।

वह


“खाना नही खिलाते क्या”, ?

यह सुन जगत पारा आसमान पर चढ़ जाता है । साली बहुत जुबान चलाती है तेरी तो कहकर वह सोई हुई जुगनी को जोर से एक लात मारता है और चांटा मारता है,जुगनी हड़बड़ा कर उठकर बैठ जाती है । पर जगत का हाथ नही रुकता वह गंदी गंदी गालियाँ देते हुए उसको मारता रहता है ,और कहता है निकल साली घर से मेरे बिना तेरी कोई औकात नही समझी, जुगनी नीचे गिर जाती है।

एक कमरे की छोटी सी झुग्गी में सोये तीनो बच्चें चिल्लाने की आवाज सुनकर उठकर बैठ जाते है और काँपने लगते है।

अचानक बड़ा लड़का सोमू यह देखकर एकदम उठता है, व चूल्हे के पास से बेलन उठा कर जगत के पास आकर उसके सिर पर जोर से वार करता है …बहुत शराब पिया हुआ जगत लड़खड़ा कर गिर जाता है।

वह चिल्लाकर बोलता है   “खबरदार बहुत हुआ  अब अगर तूने माँ के ऊपर हाथ उठाया तो.. खुद तो कुछ करता नही है दारू पीकर पड़ा रहता है “!और हमारे पेट को पालने वाली दिनभर दूसरों के घरों में काम कर घर चलाने वाली हमारी माँ को मारता है।

इस घर से अगर कोई बाहर जायेगा तो वह तू होगा माँ नही।वह रोज के माहौल को देख अपनी मर्यादा भूल गया था,उसने जुगनी को उठाकर खटिया पर बिठा देता है। नन्ही सोना जल्दी से पानी लाकर देती है जुगनी पानी पीकर तीनों बच्चों को अपने गले से चिपटा लेती है।

शामू बोलता है नही माँ अब और नही! ऐसे शराबी बाप की हमको कोई जरूरत नही।

अब आप चिंता मत करना

“*मेँ हूँ ना* “माँ घर की  सोना मोना की और आपकी देखभाल करने के लिए एक मर्द । *क्योंकि वह जगत से सुनता रहता था कि मर्द के बिना औरत और घर की कोई इज्जत नही*। आज उसके अंदर भी एक मर्द जाग गया था घर के लिए अपनी माँ की रक्षा के लिये शायद।

मेँ आप सबका ध्यान रखूंगा। शायद अपने घर का माहौल देख वो बहुत जल्दी से बड़ा हो गया था ।

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!