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मैं भी तो आपकी बेटी हूं – किरन विश्वकर्मा

आज रेनू जी बहुत खुश थी उनका बेटा और बहू होली के त्यौहार पर घर आए हुए थे दोनों मुंबई शहर में जॉब करते थे और त्यौहार मनाने घर आए हुए थे। घड़ी में सुबह के आठ बज रहे थे उन्होंने चाय बनाई और दो कप चाय लेकर बेटे के रूम में आ गई।

रूम में आकर देखा तो बेटा वॉशरूम गया हुआ था और बहू अभी सो रही थी जैसे ही रेनू जी ने बहू को देखा तो अचानक ऐसा लगा कि जैसे उनकी बेटी ही हो वह भी तो ऐसे ही लेटती थी उन्होंने आवाज दी तभी बहू उठी और रेनू जी के गले में बाहें डाल दी उसके गले लगते ही पता नहीं क्यों आज रेनू जी को अपनी बेटी बहुत याद आ रही थी उनकी आंखों में आंसुओं की झिलमिलाहट साफ दिखाई दे रही थी अंदर से दबा हुआ दुख अंखियों से आंसुओं के रुप में बाहर आ रहा था उन्होंने खुद को छुड़ाते हुए बहू के माथे पर चुंबन अंकित किया और अपने रूम में आ गई। बेटी की फोटो के सामने आकर खड़ी हो गई और वह सोचने लगी मेरी बेटी भी अगर जिंदा होती तो आज उसकी बहू के बराबर ही होती। वह उस घटना को याद करने लगी कि अगर उस दिन वह युवक गाड़ी को तेज स्पीड में नहीं चला रहा होता तो शायद यह हादसा नहीं होता उम्र केवल बाइस साल ही तो थी मेरी बेटी की….मेरे घर की चिड़िया थी, मेरी लाडो हमेशा चहकती हुई पूरे घर में घूमा करती थी हमारे घर की शान और जान थी पढ़ने में भी बहुत अच्छी थी….सच ही तो कहा है किसी ने-

बिटिया जब तू मेरे अंगना में आई




खिल गई दिल की कली

मेरे घर में खुशियां आई

बिटिया भी तो घर की शान होती है

माता-पिता की जान होती है

घर के हर कोने में रची बसी रहती हैं बिटिया

उससे ही घर है मुस्कुराता

हर सदस्य की जान होती हैं

हर एक का ख्याल रखती थी जो कोई भी घर आता तो जब वह नहीं रहती तो सब यही कहते कि उसके बिना घर सूना- सूना लगता है पर शायद नहीं पता था कि एक दिन ऐसा आएगा कि वह हमेशा के लिए घर को सूना कर के चली जाएगी। पापा की परी छोटे भाई की लाडली दीदी ……9 अगस्त की शाम अपने पिता के साथ करीब 7:30 बजे गोमतीनगर स्थित वेव माल के करीब पैदल जा रही थी मेरी बेटी अपने पिता के साथ सड़क को पार कर रही थी कि तभी उसी समय एक युवक तेज रफ्तार से बाइक चला रहा था और सड़क पार करती हुई मेरी बेटी को इतनी तेज टक्कर मारी की बेटी उछलकर डिवाइडर पर गिरी और उसका सर डिवाइडर से टकरा गया बेटी के सर पर गंभीर चोट लगी। 9 अगस्त की रात करीब 9:00 बजे केजीएमयू के ट्रामा सेंटर लाया गया यहां उसी दिन देर रात चोटों की सर्जरी की गई।




9 अगस्त से 11 अगस्त तक उसका इलाज चला लेकिन उसकी स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ। 12 अगस्त की शाम बिटिया को ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया हम लोगों की आंखों के आगे अंधेरा छा गया फिर हम दोनों ने एक फैसला लिया बेटी के ऑर्गन दान करने का मेरे पति ने कांपते हाथों से ऑर्गन डोनेशन के शपथ पत्र पर हस्ताक्षर कर दिए वर्ल्ड ऑर्गन ट्रांसप्लांट ट्रांसप्लांट डे की एक शाम पहले परिवार ने बेटी के 5 ऑर्गन दान किए इस पहल की एक मिसाल कायम कर दी जैसे ही सहमत मिली तुरंत डॉक्टरों की टीम ऑर्गन रिट्रीव करने में जुटी और उसी वक्त लखनऊ प्रशासन शहर ग्रीन कॉरिडोर बनाने में जुट गया। एक घंटे में ऑर्गन रिट्रीव हुआ तो अगले 18 मिनट में लीवर को लखनऊ एयरपोर्ट पहुंचा दिया गया मेरी बेटी का लीवर किडनी और कार्निया डोनेट कर पांच लोगों को नई जिंदगी मिली।यह कहानी मेरी सहेली की बेटी की है उनकी सहमति मिलने के बाद मैंने यह कहानी आप सब के समक्ष प्रस्तुत की है उनकी बेटी अब इस दुनिया में नहीं है लेकिन अभी भी वह पांच लोगों में जिंदा है यह कहानी बताते हुए रेनु जी की आंखों से आंसू गिरने लगते हैं….जाने वाले लोग चले जाते हैं पर उनकी यादें हमेशा दिलों में जिंदा रहती हैं अभी वह यह सब मुझे बता ही रही थी कि तभी उनकी बहू ने दोनों हाथों से रेनू जी को अपनी बाहों में समेट लिया मम्मी जी मैं भी तो आपकी बेटी हूं।

हां बहू मैं बहुत खुश हूं कि मुझे मेरी बेटी बहू के रूप में मिल गई है यह कहते हुए रेनू जी ने भी अपनी बहू को हृदय से लगा लिया ।

यह सच्ची घटना समाज के लिए एक मिसाल है और मुझे नही लगता कि यह केवल एक मंच तक सीमित रह जाय इसको जितना भी शेयर किया जाय और पढ़ा जाय कम है ।

किरन विश्वकर्मा

लखनऊ

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