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औलाद का कुछ बनने से ज्यादा जरूरी है उसका होना – संगीता अग्रवाल

” हेलो क्या मैं वंश के पेरेंट्स से बात कर सकती हूँ !” वैशाली के पास एक फोन आया ।

” जी मैं वंश की मम्मी बोल रही हूँ कहिये ?” वैशाली ने कहा।

” वो मैडम मैं आपके बेटे के कॉलेज से बोल रही हूँ आप जितनी जल्दी हो सके यहां पहुँचिये !” फोन करने वाली ने कहा।

” जी सब ठीक तो है ना वंश ठीक तो है ?” वैशाली तड़प कर बोली।

” जी आपके बेटे ने आत्महत्या की कोशिश की है वो अस्पताल मे है आप जल्दी यहाँ पहुँचिये !” वहाँ ये ये बोल फोन रख दिया गया।

“नितिन ….नितिन !” वैशाली रोते हुए पति को आवाज़ देने लगी। अपनी इकलौती औलाद के आत्महत्या की कोशिश की खबर से टूट गई थी वैशाली।

” क्या हुआ वैशाली सब ठीक तो है ना ?” नितिन दूसरे कमरे से वहाँ आ बोला। 

” वो वंश …!” रोते रोते वैशाली ने फोन पर हुई बात बता दी । नितिन ने फटाफट जरूरी सामान लिया और दोनो मेरठ से चंडीगढ़ के लिए निकल गये। रास्ते भर वैशाली की आँख से आँसू रुकने का नाम नही ले रहे थे रोते रोते वो मन ही मन ईश्वर से अपनी औलाद् की सलामती की दुआ कर रही थी। इधर नितिन भी सकते मे था पर पिता था तो आंसू नही बहा सकता था बस सोच रहा था कि अभी छह महीने पहले ही तो बेटे का एमबीबीएस् मे दाखिला करवाया था हालांकि वंश का बिल्कुल मन नही था डॉक्टर बनने का फिर भी पिता के कहने से उसने ग्यारहवीं मे विज्ञान विषय लिया वरना तो उसका मन वकालत करने का था। 




वंश जिस अस्पताल मे भरती था दोनो उसमे पहुंचे वहाँ जाकर पता लगा सेमिस्टर एग्जाम मे कम नंबर आने पर उसने अपनी नस काट ली थी । icu मे भरती था वंश बाहर से जब वैशाली ने अपने हँसते खिलखिलाते बेटे को यूँ बेजान सा पड़ा देखा तो उसकी आँखों के आगे अंधेरा सा छा गया और वो पछाड़ खाकर गिर गई। नितिन जैसे ही उसे संभालने आया। 

” हट जाइये आप मेरे बेटे का जो ये हाल है आपके कारण ही है कितना मना किया था उसने उसे नही बनना डॉक्टर उसे सफ़ेद कोट नही काले कोट से प्यार है पर नही आपको तो अपने दोस्तों मे अपनी शान दिखानी थी ना क्या हो जाता अगर वो डॉक्टर की जगह वकील बन जाता कम से कम यूँ जिंदगी मौत से तो ना जूझता !” खुद को संभालती वैशाली रोते हुए बोली।

” वैशाली मेरी भी इकलौती औलाद है वो उसके अच्छे के लिए ही उसे यहाँ भेजा था मुझे क्या पता था ऐसा होगा !” नितिन रुधे गले से बोला।

” कर लिया अच्छा उसका इतना अच्छा कि उसे इस मोड़ पर ला छोड़ा जब उसे जिंदगी से ज्यादा मौत आसान लग रही है मैं कहे देती हूँ अगर मेरे बच्चे को कुछ हो गया ना तो उस घर से दो लाशे निकलेंगी !” वैशाली बोली।




” नही वैशाली ऐसा मत कहो कुछ नही होगा हमारे बच्चे को !” काँपती आवाज़ मे नितिन बोला । कहने को वो कह गया पर मन ही मन डरा भी हुआ था। बस यही दुआ कर रहा था ईश्वर एक पति और एक पिता को निराश मत करना तुम । उधर वैशाली आंसू बहाते हुए ईश्वर की तस्वीर के सामने हाथ जोड़ खड़ी हो गई । वैशाली को समय का भी होश ना था कि वो कबसे वहाँ खड़ी है और इधर नितिन के लिए एक एक पल सदियों जैसा था वो खुद को कोस रहा था मन ही मन जाने कितनी बार वंश से माफ़ी भी मांग चुका था । 

” वंश को होश आ गया !” नर्स की आवाज़ के साथ ही नितिन वैशाली की तरफ लपका वैशाली ईश्वर को धन्यवाद दे वंश की तरफ भागी। 

” मम्मी पापा मुझे माफ़ कर दो मैं आपका अच्छा बेटा नही बन पाया । पापा मैं अब पूरी कोशिश करूंगा आपकी उम्मीद पर खरा उतरने की !” वंश माता पिता को देख कराहते हुए बोला।

” बस मेरे बच्चे कुछ मत बोल तू! ” वैशाली वंश की आह से तड़प उठी। तड़प तो नितिन भी रहा था पर वो दिखा नही पा रहा था अपनी तड़प को मर्द जो था।

” पापा आप मुझसे नाराज हो ना !” नितिन को दूर खड़ा देख वंश नज़र चुराते हुए बोला।

” हाँ नाराज़ तो हूँ पर ये नाराजगी बाद मे निकलूंगा मैं अभी तू जल्दी से ठीक हो जा फिर तेरे लिए काला कोट भी तो सिलवाना है !” नितिन भरी आँखों से बोला ।




” क्या !” वंश हैरानी से कभी पिता को कभी माँ को देखने लगा।

” ऐसे क्या देख रहा है भई तेरी माँ मुझे तेरा और उसका गुनहगार समझ रही है अब तू ही तो मेरी तरफ से केस लड़ेगा और उसके लिए तुझे वकील तो बनना पड़ेगा ना !” नितिन बोला तो वंश के दर्द मे डूबे चेहरे पर भी चमक आ गई । 

दोस्तों ये सच है कोई माँ बाप अपनी औलाद का बुरा नही चाहते पर कभी कभी कुछ माता पिता अपने बच्चो पर अपनी मर्जी थोप उन्हे वो बनने को मजबूर करते जो वो उसे बनाना चाहते है ऐसे मे कुछ बच्चे ये तनाव बर्दाश्त नही कर पाते और आत्महत्या जैसा कृत्य करने से भी नही चूकते यहाँ वैशाली और नितिन की किस्मत अच्छी थी जो उनका बेटा मौत के मुंह से वापिस आ गया वरना कुछ माता पिता इतने खुशनसीब नही होते।

यहाँ मैं वंश जैसे बच्चो से ये भी कहना चाहूंगी मौत किसी परेशानी का हल नही अगर आपको पढ़ाई या किसी भी चीज का तनाव है तो अपने माता पिता से इस बारे मे बात करे क्योकि किसी भी माता पिता के लिए उनकी औलाद का कुछ बनने से ज्यादा जरूरी उनका होना है। 

#औलाद 

आपकी दोस्त 

संगीता अग्रवाल ( स्वरचित )

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