अजी सुनिए ना… चुन्नी के बापू
आपसे चुन्नी के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें करनी हैं।
जानकी ने चुन्नी के पिता से कहा।
बृजेश ने कहा – हां बोलो..
देखिए ना चुन्नी ने सोलह वर्ष पूरे कर लिए सत्रहवें में प्रवेश कर लिया मगर अब तक उसमें शारिरिक परिवर्तन नहीं हुआ।
स्त्रियों वाले वो लक्षण नहीं आए, जबकि उसकी दोनों छोटी बहनों के तो दो वर्ष पहले से हीं….
हां जानकी तुम ठीक कहती हो हमें चुन्नी को डाक्टर मैडम के पास ले जाना चाहिए।
दोनों पति-पत्नी बेटी को लेकर अस्पताल पहुंचे।
डाक्टर ने सारे चेक-अप किए और कहा कि,,
आप अकेले में आईए मुझे आपसे कुछ बात करनी है..
अल्हड़ सी चुन्नी हौले हौले माता-पिता के पीछे पहुंच गई डाक्टर के केबिन में…
डाक्टर ने कहा कि,, देखिए चुन्नी की शारीरिक संरचना भले हीं स्त्रियों वाला है परंतु इसमें स्त्रीत्व की वो कमी है जिससे वो कभी रजस्वला नहीं हो सकती…
वो कभी मां नहीं बन सकती…
ईश्वर ने चुन्नी की ऐसी संरचना बनाई है जिससे दिखती तो स्त्री है लेकिन वो स्त्री है हीं नहीं।
डाक्टर के मुंह से निकली ये बातें सुनकर चुन्नी तो जैसे आसमान से गिरी और अपने अंदर उठ रहे आंसुओ के सैलाब को वो रोकने के असफल प्रयास में चीख पड़ी..
नहीं…
डाक्टर के कमरे में मौजूद सबने एक साथ पलट कर देखा और चुन्नी की तरफ दौड़ पड़े…
चुन्नी बेतहाशा भागने लगी..
डाक्टर चीख पड़ी…
गार्ड, नर्स….
पकड़िए उसे कहीं वो छत से कूद कर अपनी जान ना दें दें…
अपने अस्तित्व की एक नयी पहचान पाकर चुन्नी शायद अपना आपा खो बैठी थी…
चुन्नी आगे आगे और अस्पताल के सारे कर्मचारी उसके पीछे-पीछे…
आंखों के आगे बीते दिनों की सारी बातें चलचित्र सी चलती जा रही थीं एक के बाद एक…
कैसे दोनों बहनों को मां हर महीने कहा करती थी,चौके से दूर रहो…
पूजा पाठ की चीजें मत छुओ…
आज भी कैसे समाज की नजरों में अशुद्ध थी वो…
चुन्नी के लिए स्त्रीत्व का वो अशुद्ध रूप आज कितना आवश्यक कितना महत्वपूर्ण था..
इस समय वो जिन मनोभावों से
गुजर रही थी,इस बात का अंदाजा लगाना भी शायद आम लोगों के वश के बाहर था…
दौड़ते दौड़ते सांसे फूलने लगी उसकी..
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यहीं वो क्षण था जब अस्पताल कर्मचारियों ने पकड़ लिया उसे..
छोड़ दो मुझे..
छोड़ दो..
जाने दो… मुझे..
मैं अपना अस्तित्व पाना चाहती हूं मैं…
स्त्री होना चाहती हूं मैं…
मां होना चाहती हूं..
मैं अशुद्ध होना चाहती हूं…
मैं अशुद्ध होना चाहती हूं मां..
कहते कहते चुन्नी अचेत होकर गिर पड़ी…
डोली पाठक
पटना बिहार