माँ को ऐसे ही रहना चाहिए – आभा अदीब राज़दान

“ अजीत जी के घर में देखा है तुमने, उन की अम्मा के कितने नखरे हैं । उनके घर जाओ तब जितनी देर बैठो वहां उन की अम्मा जी ड्राइंग रूम में बैठी ही रहती हैं । अजीत जी भी अपनी माँ से कुछ कहते नहीं । अधिक ही सम्मान करते हैं उनका । हर बात में उन की सहमति ली जाती है ।” मुक्ति ने अपने सखी नम्रता से कहा ।

“ तो ग़लत क्या है, अजीत जी सही करते हैं । वह क्यों अपनी माँ से कुछ कहें, किसी भी घर में माँ को तो इसी तरह से सदा हँसी ख़ुशी मान सम्मान के साथ ही रहना चाहिए । तुम्हारी बात का अर्थ मुझे समझ में नहीं आया मुक्ति, तुम कहना क्या चाहती हो । किसी भी घर में माँ को ऐसे नहीं तब फिर कैसे रहना चाहिए ।” नम्रता ने कहा ।

“ आजकल माता पिता का इतना सम्मान कौन करता है । कितने ही घरों में देखे है मैंने माता पिता बैठक में आते तक भी नहीं है । अब छोटों को भी प्राइवेसी तो चाहिए ही होती है ।” मुक्ति ने कहा ।

“ प्राइवेसी यह घर परिवार में प्राइवेसी क्या होती है । जिसका जहां मन करे वह वहां बैठे और फिर अनुशासन क़ायदे कानून तो बच्चों पर चलाए जाते हैं घर के बुजुर्गों पर नहीं । माँ हैं जहां भी उनका मन करेगा वह बैठ सकती हैं जिससे मन करेगा बात कर सकती हैं ।” नम्रता ने कहा था ।

“ अब यह तो अजीत जी की ज़्यादती है । इसी वजह से उनकी पत्नी भैरवी कितने टैंशन में रहती है । कभी तुमने इस बात पे ध्यान दिया है ।” मुक्ति ने कहा ।

“ भैरवी को किस बात की टैंशन है । एक बात तो बताओ, क्या कल वह स्वयं बूढ़ी नहीं होगी और क्या तब वह इसी तरह से हँसी ख़ुशी रहना नहीं चाहेगी जिस तरह आज उसकी सासू माँ रह रही हैं ।” नम्रता ने मुक्ति से पूछा ।

“ हाँ क्यों नहीं भैरवी भी रहना तो ऐसे ही चाहेगी ।” मुक्ति ने कहा ।

“ हाँ तो फिर आज भैरवी को टेंशन क्यों  हो रहा है । इंसान अपने बड़े बुजुर्गों से वैसा ही व्यवहार करें न जैसा कि कल वह स्वयं अपने लिए चाहता है । मुक्ति तुम्हारी बात तो पूरी तरह से अनैतिक है । अच्छा होगा यदि तुम शीघ्र ही अपनी इस सोंच को सही करो ।” नम्रता ने भी खरी बात कह दी थी ।

अब मुक्ति तो चाह कर भी कुछ नहीं बोल पाई थी ।

आभा अदीब राज़दान

लखनऊ

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!