Moral stories in hindi: रत्ना को सुबह ही फ़ोन आया था बेटी सुलभा का कि माँ आप दूसरी बार नानी बनने वाली हैं । दिल ख़ुशी से झूम उठा परंतु उसने एक बात कही जिसे सुनकर दिल थोड़ा सा उदास हो गया था । सुलभा ने कहा माँ मेरी सास कह रही थी कि पहली बार तुम्हारी माँ सिर्फ़ दो महीने के लिए आई थी और यह कहकर चली गई थी कि मेरी छुट्टियाँ इतनी ही हैं । स्कूल होने के कारण ज़्यादा दिन तक रह नहीं पाऊँगी । मुझे बच्चे को सँभालना पड़ा कोई बात नहीं है वह मेरा ही पोता है ।
इस बार तो वे रिटायर हो गई हैं तो उन्हें छह महीने तक रहना पड़ेगा। मैं पहले से ही बता दे रही हूँ ताकि वे वैसे ही तैयारी करके आएँ । उन्हें मेरी छोटी ननंद के पास जाना है ।
सुलभा की बात सुनकर रत्ना का दिल उदास हो गया था क्योंकि तीन महीने पहले माँ को ब्रेन हेमरेज हो गया है और वे बिस्तर पर पड़ी हैं ।
उसके दो भाई हैं पर वे अमेरिका में बस गए थे ।
माँ जब तक स्वस्थ थीं उनका वहाँ आना जाना लगा रहता था । पिताजी के गुजर जाने के बाद वे वहाँ ही ज़्यादा रहती थी । तीन चार महीने यहाँ रहतीं थीं फिर वापस चली जाती थी ।
एक साल से वे यहीं पर हैं क्योंकि दो बार गिर जाने से उनके पैरों में फ्रेक्चर हो गया था। बड़ा बेटा विजय एक महीने रह कर गया । उसके जाने के बाद दूसरा बेटा आया । इस तरह बारी बारी वे आते थे या रत्ना तो है ही वही करती थी ।
भाइयों को फ़ोन किया बड़े भाई ने कहा रत्ना तुझे खबर है ना मेरे बेटे की शादी है अभी ही बेटा बहू को लेकर आता हूँ माँ का आशीर्वाद दिलाकर पंद्रह दिन रहकर चला जाऊँगा फिर शादी होने तक मुझे फ़ुरसत नहीं मिलेगी । छोटे ने कहा दीदी मुझे अभी ही प्रमोशन मिला है और मैं बहुत व्यस्त हूँ । बीच में एक बार दस दिन के लिए आ जाऊँगा । रत्ना को लगा मैं प्लेजर ट्रिप पर थोड़े ही जा रही हूँ मेरी भी मजबूरी है । वैसे उन्हें भी कुछ कह नहीं सकते हैं ।
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माँ घर में सबसे बड़ी बहू बनकर आई थी । उनके देवर देवरानियाँ ननंद सब उन्हें बहुत प्यार करते थे। सब उन्हें माँ का दर्जा देते थे । उन्होंने जब रत्ना से इस बारे में सुना तो कहा बेटा तुम तीनों भाई बहनों ने माता-पिता के लिए जो समर्पण किया है आज हम बहुत कम लोगों में देखते हैं । तुम बच्चे बहुत अच्छे हो । तुम्हारे माता-पिता ने हम लोगों के लिए भी बहुत किया है तो हमारा भी उनके प्रति कुछ ज़िम्मेदारी है तू आराम से ख़ुशी ख़ुशी अपनी बेटी के पास जा हम सब भाभी माँ को देख लेंगे ।
उन लोगों के मुख से यह सुनकर रत्ना और भाइयों की आँखों में नमी आ गई थी परंतु यह सब माँ के कर्म थे जो उन्हें इतने लोगों का प्यार मिल रहा है। जबकि वे सब भी छोटे नहीं थे सबने सत्तर पार कर लिया था । उनके अंदर जो समर्पण की भावना थी उसके लिए हम भाई बहन सेल्यूट करते हैं ।
रत्ना के अमेरिका जाने के पहले पूरे घर में सी सी टी वी केमरा पिक्स कराया गया । माँ के लिए नर्स खाना बनाने के लिए रसोइया घर का काम करने के लिए आउट हॉउस में एक परिवार को भी रखा गया ।
रत्ना सुकून से अमेरिका बेटी के पास गई और सब परिवार के सदस्यों ने अपनी ज़िम्मेदारी पारी पारी से ख़ुशी से निभाई ।
दोस्तों परिवार में सदस्य ऐसे एक दूसरे के प्रति समर्पण का भाव रखे तो हमारे परिवार में ख़ुशियों को आने से कोई रोक नहीं सकता है ।
स्वरचित
के कामेश्वरी
#समर्पण