लड़के वाले सीजन -3 (भाग – 2) : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : जैसा कि आप सबने अभी तक पढ़ा कि उमेश ने शुभ्रा के लिए करवा चौथ का व्रत रखा हैँ और शुभ्रा ने उमेश के लिए… दोनों फ़ोन पर बात कर रहे हैँ… तभी उमेश हर बार की तरह शुभ्रा से वो तीन जादुई शब्द बोलने को कहता हैँ…ज़िन्हे सुन जवान क्या बूढ़े लोगों का भी मन प्रफुल्लित हो उठे… शुभ्रा बोलती ही हैँ कि तभी पीछे से शुभ्रा की ताई कमर पर हाथ रख उसे घूरने में लगी थी…

अब आगे…

अरी मोरी मईया ….जे आई लब जूँ … साई लब जूँ…. चल रई हैँ यहां….. कब ते आवाज लगाये रही कि मेहंदी लगाये दे छोरी पर यहां तो प्रेम लाप चल रहो हैँ…..

ताई की आवाज सुन उमेश ने फ़ोन काट दिया…..

शुभ्रा सकपकाती हुई बोली… लाओ ताई जी मेहंदी लगा दूँ…..

ताई जी ने उसे मेहंदी पकड़ायी … पूरो हाथ भरकर लगाना छोरी नहीं तो अभाल बताती हूँ बाऊ जी को तेई जे हरकत ….

अरे ना ना ताई जी… कहों तो पैरों में पूरे हाथों में भी लगा दूँ….

ताई जी हंस पड़ी…. दोनों लोग नीचे आयी… मेहंदी लगाने का सिलसिला शुरू हुआ….

शुभ्रा अब तक घर के सभी लोगों को मेहंदी लगाकर थक चुकी थी… तभी माँ बबिता पानी और मीठा लेकर आयी… ले मेई लाड़ो … पानी पी लै … हार गयी होगी….

पानी का नाम सुन शुभ्रा को लगा अब तो चोरी पकड़ी जायेगी… वो बोली… माँ रख दो… थोड़ी देर में पी लूँगी…. तभी सामने आंगन में बैठे दादा नारायण जी बोले…. ए री छोरी…. पी लैं पानी…. काय कूँ ना पी रई …. ब्याह के नैंक से दिना बचे हैँ… अपनो ख्याल राख…. ला तोये अपये हाथ ते रोटी खबाये दूँ जैसे छोटे पे खिलातो … आज़ नारायण जी को अपनी पोती शुभ्रा पर बहुत लाड़ आ रहा था….

वो दादा जी… अभी मन नहीं….. सुबह ही दो रोटी खायी थी मेथी के साग से…..

का बोली छोरी….. सब्जी तो अभाल उतारी चूल्हे ते … तूने रोटी कब खाये ली…. चाची शुभ्रा को आश्चर्य से देखते हुए कहती हैँ….

अब तो शुभ्रा से कुछ ना बोला गया….

तो तू झूठ भी बोले हैँ अपये बाबा ते…मोये कब हूँ ऐसी उम्मीद नाई छोरी तो ते…. दादा नारायण जी थोड़ा रोष में बोले…

सोरी दादा जी…. वो मेरा पेट खराब हैँ….. इसलिये बोल दिया….

फिर झूठ बोले हैँ…. सच बोल रई य़ा नाये….. मोये पतो हैँ तूने वो कुँवर जी के लई उपवास राखो हैँ ना … सही सही बता…. नारायण जी पेट हिलाके हंसते हुए बोले…

शुभ्रा ने आँखें नीची कर हाँ में सिर हिलाया….

नेक पास आ छोरी… तोये एक बात बताऊँ ….

शुभ्रा नारायण जी के पास ज़ाती हैँ…

नारायण जी उसके कानों को पास ला कहते हैँ… मै ऊँ उपासो रहो तेई अम्मा के लिए…. और तेई अम्मा भी जब ब्याह पक्को हैँ गयो….

तो दादा जी… उस टाइम तो फ़ोन था नहीं आपको कैसे पता कि दादी ने भी आपके लिए उपवास रखा था…. शुभ्रा धीरे से नारायण जी से बोली….

वो तेई दादी ने ब्याह के बाद बतायी… तेई तरह मैं ऊँ चोरी से व्रत राखो ….. फिर भी अल्का (पत्नी) मोते पहले चली गयी…. बोलते हुए नारायण जी की आँखों में आंसू आ गए झुर्री वाले गालों पर आयें आंसुओं को वो धीरे से धोती से पोंछने लगे….

दादा जी…. आप तो स्ट्रोंग हो…. रोते नहीं…. पता हैँ आपको जो औरत सुहागन होकर ज़ाती हैँ दुनिया से वो बहुत सौभाग्य वाली होती हैँ…मेरी दादी बहुत किस्मत वाली थी…. शुभ्रा दादा नारायण जी को समझाते हुए बोली..

तू तो बड़ी सयानी हैँ गई है लाली….. छोटी सी हती …. कहां देखत देखत ब्याह को ऊँ समय आये गयो….

चलो पूजा की तैय़ारी कर लेओ….. हाल संझा हैँ जावेगी … ताई की आवाज आयी….

जा तैय़ारी कराएं लै … नारायण जी ने शुभ्रा से कहा …

घर में पूजा की सारी तैय़ारी पूरी हो गयी….

शाम हो चली….

इधर उमेश के पेट में बिना पानी पीये दर्द सा होने लगा….

राहुल आया…. भाई तेरा चेहरा कैसे लटका हैँ… चेहरे पर 12 बज रहे हैँ…

कुछ नहीं तू जा यहां से….

तू ये पागलों की तरह आसमान को क्यूँ देख रहा हैँ… अच्छा भाई साहब ने व्रत रखा हैँ शुभ्रा भाभी के लिए… ओये होये…. चन्दा मामा का इंतजार हो रहा….

हां यार….. कैसे रख लेती हैँ ये औरतें इतने व्रत … मेरी तो एक दिन में बैंड बज गयी….. तू तो सुबह से ठूँस रहा हैँ….

हा हा …. तो मैने कौनसा तुझे खाने से रोका था…… चल मिलकर गाना गाते हैँ….

आजा रे आजा…. चन्दा… तू लाख दुआयें पायेगा…. तुझको देखकर भाई पानी गले से नीचे सरकायेगा ….

भाग यहाँ से… गाना गा रहा हैँ य़ा चिढ़ा रहा हैँ…

तेरे लिए लोटा और पूजा का सामान ले आऊँ …. तभी तो तू व्रत तोड़ेगा …. मेरे हाथ से पानी पी लेना भाभी समझकर …

इससे पहले उमेश कुछ कहता… उसके फ़ोन की घंटी बजी … घर से फ़ोन था….

रुक जा तुझे बाद में देखता हूँ…

हेलो…. राधे राधे भाई…

राधे राधे छोटे…. सब लोग कैसे हैँ…. माँ ,,पापा ,,,तू …. बाकी सब घर में ….

भाई सब लोग ठीक हैँ… आज माँ का करवाचौथ का व्रत हैँ…. आपको तो पता ही हैँ…. माँ की बिना पानी के क्या हालत हो ज़ाती हैँ…. बस किसी तरह तैय़ारी कर रही हैँ पूजा की…. पापा भी साथ में करवा रहे हैँ काम….

कितनी बार कहा है माँ से कि पानी पी लिया करो … पर माँ नहीं मानती…

कहां हैँ…. जरा बात तो करा ….

ठीक हैँ भाई…

माँ भाई का फ़ोन हैँ…. लो….

बता मेरे लाल… कैसा हैँ…. खाना खाया तूने ?? माँ वीना जी बोली….

पैर छू माँ….. मैं अच्छा हूँ…. बस खाने जा रहा हूँ…. आपसे एक शिकायत हैँ मुझे….

हां बोल बेटा…. मुझसे क्या गलती हो गयी….

माँ… तुमसे हर साल बोलता हूँ… तुम्हारी तबियत खराब हो ज़ाती हैँ… फिर भी तुम पानी भी नहीं पीती… क्यूँ ??

बेटा… ये जो पत्नी होती हैँ ना वो अपने पति के लिए कुछ भी करने को तैयार रहती हैँ… इतने सालों से ऐसे ही रहती आ रही हूँ…. अब ज़ितनी ज़िन्दगी हैँ उसे और अपने पापा के लिए ऐसे ही व्रत कर लेने दे …..मन को अच्छा लगता हैँ… जब बहू आ जायेगी तब उस से भी कहके देखना… मानती हैँ कि नहीं तेरी… वैसे तो मैं उसे पानी पिला दूँगी…. आजकल की लड़कियां नाजुक होती हैँ…. उस पर ना होगा….

उमेश मन ही मन सोचा…. बहू क्या आपका बेटा भी आज व्रत किये हुए हैँ….

माँ चाँद आ गया… आप पूजा कर लो….

ठीक हैँ बेटा…. अच्छे से रहना….

राधे राधे माँ….

इधर उमेश शुभ्रा के फ़ोन का इंतजार कर रहा हैँ…. सुबह ताई जी के डर से उसकी हिम्मत नहीं हो रही फ़ोन करने की….

तभी फ़ोन की घंटी बजी….

हेलो…. चन्द्रमा आ गया हैँ…. आपने पानी पिया….?? शुभ्रा बोली…

नहीं…. तुमसे बात किये बिना कैसे पी सकता हूँ…

सच में आप भी ना … पी लीजिये …

तुमने पिया?? पहले तुम पियो शुभ्रा??

नहीं पहले आप….

ऐसा करते हैँ दोनों साथ में पीते हैँ.. …

ठीक हैँ… सुनिये… आपके पैर छूती हूँ…. मुझे आशीर्वाद दीजिये…

ओह… मेरी शुभ्रा अभी से ही मुझे देवता बना रही हैँ….

सदा सौभाग्यवती भव….. मेरा और तुम्हारा साथ सात जन्मों तक बना रहे….

शुभ्रा शर्मा जाती हैँ…

अब पानी पियो … दोनों लोग पानी पीते हैँ….

सच बताऊँ शुभ्रा…. व्रत बहुत मुश्किल से रख पाया… पर जैसे ही तुम्हारा चेहरा सामने आता तो सोचता… थोड़ा सा टाइम और बचा हैँ….. मैने व्रत तोड़ दिया तो कहीं तुम मुझसे दूर ना हो जाओ….

मुझे आपसे कोई चाहकर भी कभी दूर नहीं कर सकता….

चलिये…. अब खाना खा लीजिये आप….

सुनो…. मुझे तुम्हे देखना हैँ…. एक फोटो भेज़ दो अपनी … तभी खाना खाऊंगा ….

जी…पर आपके फ़ोन पर होगी ना ??

हां… पर मेरी शुभ्रा के चेहरे पर व्रत की कितनी रौनक आयी हैँ ये देखना हैँ… भेजो ना तुम …. सवाल बहुत पूछती हो…

सच में आप भी बहुत ज़िद्दी हैँ… भेजती हूँ…. आप भी भेजियेगा …. वैसे मेरे उमेश….

क्या कहा … फिर से बोलो..

जी कुछ नहीं… अच्छा बाय ….

आई लव यू शुभ्रा… उस से पहले ही शुभ्रा फ़ोन काट देती हैँ….. जब भी रोमांस शुरू होता हैँ….. भाभी फ़ोन काट देती हैँ….

तेरी किस्मत बड़ी खराब हैँ… पीछे से हंसता हुआ राहुल आया…. तू बस दूसरों की बातें ही सुना कर …. चल अब… पेट में घाव हो रहे हैँ… खाना खाते हैँ….

अगले दिन शुभ्रा के ताऊ रमेश जी और पापा नरेश शुभ्रा के घर आयें हुए हैँ….

जी राम राम…

राम राम… समधी जी….और बताओ कैसे हाल चल आप सबन के … बबिता पानी पत्ता लै आ… दादा नारायण जी बोलते हैँ….

जी… बस चाय वाय रहने दीजिये … थोड़ा ज़रूरी बात करनी थी….

चाय तो पीनी पड़े हैँ…. बताओ… का सेवा करें ….

वो…. गाड़ी की तो बतायी थी आपको … तो आपकी तरफ से क्या व्यवस्था हैँ… ताऊ रमेश जी बोले….

व्यवस्था काये बात की… वो तो आप लोग अपई इच्छा ते खुद ही लै रहे ना ?? नारायण जी पालथी मारते हुए बोले….

जी… ऐसी बात कब हुई…..पर … आपने तो कहा था ….

आगे की कहानी कल…. एक लाइक और कमेंट ज़रूर करे … लेखक का हौसला बढ़ता हैँ…. राधे राधे आप सब को….

मीनाक्षी सिंह की कलम से

आगरा

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