ईश्वर करे मुझे भी ऐसा ही पति मिले – के कामेश्वरी    : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : पदमा ने जैसे ही घर में कदम रखा वैसे ही श्याम सुंदर ने कहा कि पदमा जल्दी से तैयार हो कर आजा मैंने खाना बना दिया है । हम मूवी देखने चलते हैं । पदमा ने हाँ में सर हिलाया और फ्रेश होने के लिए चली गई थी । 

वह तैयार हो कर बाहर आई तो श्याम ने उसके हाथ में चाय की प्याली पकड़ा दी । 

उसी समय पड़ोस में रहने वाली पूनम की बेटी पूजा अंदर आई पदमा आंटी इस कटोरी में थोड़ा सा दूध दे दीजिए ना अभी मेरे हाथ से सारा दूध गिर गया है । 

श्याम उसके हाथ से कटोरी लेता है और कहता है पदमा तुम इत्मिनान से चाय पियो मैं दे देता हूँ । 

श्याम के रसोई में जाते ही पूजा पदमा से कहती है कि वाहह आंटी आप की क़िस्मत कितनी अच्छी है कि आपको इतने अच्छे पति मिले हैं जिन्हें खाना बनाना आता है । ईश्वर करे कि मेरी क़िस्मत में भी ऐसा ही पति हो तो कितना अच्छा होगा ना । 

पदमा मुस्कुराती है लेकिन कुछ नहीं कहती है । श्याम दूध लाकर दे देता है । पूजा के जाते ही दोनों चप्पल पहन कर दरवाज़ा बंद करके मूवी देखने चले जाते हैं । 

वे लोग तो चले गए पर पूजा सोचने के लिए मजबूर हो गई थी कि मुझे कैसा पति मिलने वाला है। पूजा ने भी इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की थी और वह एक कंपनी में नौकरी कर रही थी । माता-पिता उसके लिए वर की खोज कर रहे थे। 

दूसरे दिन पूजा ऑफिस के लिए तैयार हो रही थी कि

 माँ —- पूजा कल ऑफिस से छुट्टी ले ले बेटा। 

पूजा— कल कहीं जाना है या कोई आने वाला है?

माँ— कल तुझे देखने के लिए लड़के वाले आ रहे हैं । इकलौता लड़का है अच्छी नौकरी करता है और क्या चाहिए । 

पूजा ने हाँ में सर हिलाया और ऑफिस के लिए निकल गई । रास्ते में सोच रही थी कि सब कुछ अच्छा है पर उसे खाना बनाना आता है कि नहीं !!!!!

पूजा दूसरे दिन ऑफिस नहीं गई तो देर से उठी । माता-पिता दोनों बहुत सारी तैयारियों में जुटे हुए थे । उन्हें लगता था कि अच्छा रिश्ता है शादी तय हो जाएगी तो पूजा वहाँ खुश रहेगी । 

शाम को पाँच बजे वे लोग आ गए थे । माँ ने पूजा को अंदर बुलाया तो वह चाय की ट्रे लेकर बैठक में पहुँच गई । उसने धीरे से अपना सर उठाया और सौरभ को देखा अच्छा लग रहा था।

उसके माता-पिता भी बहुत खुश मिज़ाज के लग रहे थे । माँ ने पकौड़ों की प्लेट सौरभ की तरफ़ बढ़ाया एक पकौड़ा खाने के बाद सौरभ माँ से कहने लगा कि आंटी पकौड़े बहुत टेस्टी बने हैं पर बेसन में आप थोड़ा सा चावल का आटा मिला देतीं थीं तो और कुरकुरे बनते थे ।

उसी समय उनकी माँ ने कहा बहन जी बुरा मत मानिए सौरभ को खाना बनाना बहुत अच्छा लगता है इसलिए वह मेरे पीछे रसोई में घुस कर कुछ ना कुछ नए व्यंजन बनाता ही रहता है। 

यह सुनते ही पूजा का दिल बल्लियों उछलने लगा।  वह खुश होकर ईश्वर से प्रार्थना करने लगी थी कि सौरभ ही उसका पति बन जाए ऐसा वरदान दे दीजिए । 

ईश्वर ने उसकी प्रार्थना सुन ली और सौरभ के परिवार को भी पूजा पसंद आ गई थी। फिर क्या था दोनों पक्ष के लोगों ने बातचीत की और दोनों की शादी तय कर दी । शादी के लिए अभी थोड़ा सा समय था । 

इस बीच दोनों बहुत बातें करते रहे । पूजा ने ध्यान दिया था कि सौरभ को बहुत सारे व्यंजन बनाने आते हैं वह बार बार कहता था कि शादी के बाद हम दोनों ही रहेंगे ना तो मैं तुम्हारी बहुत मदद कर दिया करूँगा । 

पूजा ने पदमा को भी बताया था कि आंटी सौरभ बहुत अच्छा खाना बनाता है । पदमा मन ही मन सोचती है कि यह इतनी खुश हो रही है आगे पता चलेगा कि खाना बनाना आने वाले पति के साथ निभाना बहुत मुश्किल है क्योंकि वे मीनमेख बहुत निकालते हैं । 

पूजा और सौरभ शादी के बंधन में बंध गए थे । ससुराल के कुछ रस्मों के बाद दोनों बैंगलोर चले गए । पूजा ने भी वहीं पर अपना तबादला करा लिया । 

अब रोज़ पूजा के उठने के पहले उसे सौरभ चाय बनाकर दे देता था । पूछता था कि आज लंचबॉक्स के लिए क्या बनाएँगे आदि । पूजा कभी-कभी कहती थी कि चलो ना आज होटल में खाना खाकर मूवी देखने चलते हैं तो सौरभ कहता था क्या ज़रूरत है पूजा बाहर खाने की तुम तैयार होने जाओ मैं हल्का सा कुछ बना देता हूँ । पूजा को बहुत ग़ुस्सा आता था कि होटल में खाना खाकर कितने दिन हो गए हैं और सौरभ को होटल में खाना पसंद नहीं है । 

घर पर भी कोई आता था तो वह कहता पूजा तू बैठकर बातें कर मैं चाय बना देता हूँ । उसने ऑफिस में भी सुना था लोग उसके बारे में कहते थे कि पूजा का पति औरतों के समान पूरे घर के काम कर देता है कितनी ख़ुशक़िस्मत है पूजा जिसे रसोई में क़दम भी नहीं रखने पड़ते हैं । पूजा को लगता था कि ये मेरी तारीफ़ कर रहे हैं या टाँग खींच रहे हैं । खैर!!!!!

अब पूजा को सौरभ पसंद नहीं आ रहा था । 

उसे लगता था कि जब देखो तब खाने के बारे में ही बातें और तो और उनके रिश्तेदार आते हैं तो सौरभ तू यह बना दे वह बना दे कहते रहते थे । 

अब वह सौरभ को बातें भी सुनाने लगी थी । वह सुबह चाय बनाता था तो बेमन से पीती थी उसमें आए इस बदलाव को सौरभ ने भी महसूस किया धीरे-धीरे उसने पूजा के सामने खाने के बारे में बातें करना बंद कर दिया और रसोई में भी कम जाने लगा था जिसके कारण पूजा को खाना बनाना पड़ रहा था । 

उसके चेहरे को देखती थी तो पूजा को दया आ जाता था परंतु फिर डर लगता था कि थोड़ा सा हँसने लगूँ तो फिर खाने की बातें शुरू कर देगा। 

एक दिन ऑफिस के कैंटीन में बैठी हुई थी तो रंजनी रोते हुए अपनी सहेली को बता रही थी कि उसका पति उसकी कुछ भी मदद नहीं करता है खाना बनाती हूँ तो उसमें कमियाँ निकाल कर रोज बाहर से मँगा कर खाता है पैसे तो बर्बाद होते ही हैं सेहत भी ख़राब होती है कहने पर झगड़ा करता है कि पहले खाना अच्छे से बनाना सीख फिर मुझसे कहना । मैं तो तंग आ गई हूँ अपनी फूटी क़िस्मत पर रोती हूँ कि मुझे ही ऐसा पति क्यों मिला है । 

पूजा सोचने लगी थी कि सब में कुछ ना कुछ कमियाँ तो होती ही हैं । मेरी क़िस्मत में जो मिला है उसमें खुश रहूँगी तो मेरी ज़िंदगी में भी ख़ुशियाँ भर जाएँगी मैं बेकार में ही सौरभ को जली कटी सुनाती हूँ । पूजा ऑफिस से घर आई तो देखा सौरभ पहले ही से घर में था । पूजा ने चहकते हुए कहा सौरभ प्लीज़ चाय बना दो ना मेरे सर में बहुत दर्द हो रहा है । 

सौरभ ने आश्चर्य चकित होकर पूजा की तरफ़ देखा कहीं मज़ाक़ तो नहीं कर रही है । उसके चेहरे की तरफ़ देखा तो वह आँखें मूँदकर सोफ़े पर बैठी हुई थी ।  वह झट से उठा और रसोई में जाते हुए कहने लगा पूजा तू फ्रेश होकर आजा हम दोनों साथ मिलकर चाय पीते हैं चाय के साथ पकौड़े भी तल देता हूँ । 

पूजा को लगा जैसे सौरभ की खोई हुई खुशी वापस आ गई है । उसका चेहरा एकदम खिल उठा था । पूजा भी उसके बनाए खाने की तारीफ़ करने लगी । इस तरह पूजा ने थोड़ी सी सूझबूझ से अपनी शादीशुदा जीवन में ख़ुशियाँ भर ली थी । 

के कामेश्वरी

तरह पूजा ने थोड़ी सी सूझबूझ से अपनी शादीशुदा जीवन में ख़ुशियाँ भर ली थी ।
के कामेश्वरी

#किस्मत

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