कोशिश – शालिनी दीक्षित

अब शादी की भागदौड़ भगदड़ सब समाप्त हो गई है, सभी रिश्तेदार अपने अपने घर जा चुके हैं। नेहा भी बहुत खुश है कि उसने कितने अच्छे से अपने छोटे भाई की शादी की सभी तैयारियां करवाई थी और अच्छे से शादी हो गई, अपने बुजुर्ग माता-पिता की आखिरी जिम्मेदारी निभाकर नेहा बहुत खुश है।

दोनों बहनों की शादी तो मम्मी पापा ने बहुत अच्छे से करी थी लेकिन अब भाई की शादी का समय आते आते माता-पिता को किसी न किसी बीमारी ने घेर लिया और कुछ उम्र का असर भी हो गया तो दोनों बहनों को ही मिलकर शादी की सब रस्मों को अच्छे से निभाने में माँ की मदद करनी थी।

“अरे दीदी ! जल्दी आइए देखें मम्मी को क्या हुआ है?” —निशा की परेशान आवाज सुनकर नेहा दौड़ी-दौड़ी नीचे आई।

मम्मी बेसुध सी बिस्तर पर पड़ी थी बहुत आवाज देने पर भी कोई असर नहीं हुआ जल्दी से एंबुलेंस बुलाकर उनको हॉस्पिटल ले जाया गया।

सब एकदम परेशान है ऐसी हालत में उनको देखकर के किसी को कुछ समझ में नहीं आ रहा है । डॉक्टर ने  तुरंत आईसीयू में शिफ्ट करने को कहा । डॉक्टर्स का कहना था कि वह कोमा में चली गई है।

“डॉक्टर साहब क्या कह रहे हैं आप? कोमा में कैसे जा सकती है? बताइए मम्मी को कब होश आएगा “नेहा ने बहुत ही परेशान होकर डॉक्टर से कहा।

“पता नहीं कुछ कह नहीं सकते हो सकता है दस मिनट में ही होश आ जाए या फिर दस महीनों में कुछ नहीं कहा जा सकता कोमा के बारे में।” —डॉ ने कहा।

दवाइयां इलाज सब चालू हो गया ड्रिप चढ़ना शुरू हो गई, डॉ० का यही कहना है हम कोशिश तो कर सकते हैं पर बता नहीं सकते कि कोमा से इंसान बाहर कब आएगा।


सभी बहुत परेशान हैं, हॉस्पिटल में आईसीयू में ज्यादा लोगों को रुकने नहीं दिया जाता इसलिए भाई और निशा घर जा चुके हैं नेहा रूम से बाहर निकलने को तैयार ही नहीं है। 

इसलिए पापा बाहर की कुर्सी पर बैठ कर इंतजार कर रहे हैं।

“मम्मी उठो ना तुमको तो कभी इतनी गहरी नींद में सोते नहीं देखा। —नेहा रोते-रोते बोल रही है।

 

“तुम हमेशा कहती रहती थी कि शाम को कोई सोने का वक्त होता है देखो शाम होने को आई अब तुम क्यों सो रही हो।”

नेहा ने सुन रखा है कि कोमा में भी इंसान सुनता सब कुछ है बस हरकत नहीं करता उसको भी लग रहा है वह जो कुछ कह रही है वह सब मम्मी के दिल तक तो पहुंच रहा है, लेकिन वह जवाब नहीं दे पा रही है।

माँ और बच्चे का रिश्ता दिल का रिश्ता होता है अपने जीवन का पहला प्रेम और लगाव बच्चा जिस के साथ महसूस करता है वो माँ ही होती है , बाकी सारे रिश्ते और उन से जुड़े अहसास बाद में उपजते है।

शायद इसलिए ही नेहा की अति प्रेम और करुणा मिश्रित दिल से निकली आवाज उसकी माँ के दिल तक अपना असर पहुँचा रही होगी ऐसा उसको विश्वास है।

उसको याद आ रहा है कि कैसे मम्मी उसको उठाया करती थीं जब वह कभी संडे को जब देर तक सोती थी। तब मम्मी वह कक्षा तीन की कविता गाने लगती थीं— 

उठो लाल अब आंखें खोलो

पानी लाई हूं मुंह धो लो।


और आखिरी लाइन-

बीती रात कमल दल फूले

उनके ऊपर भंवरे झूले।

आते-आते नेहा उठी जाती थी।

धीरे-धीरे रात गहराती जा रही है नेहा का मन बहुत भारी होता जा रहा है।

 मम्मी के कान में जाकर नेहा धीरे से बोली— “मम्मी आज तुम्हारे लिए मैं कविता गाती हूँ,   मम्मी प्लीज उठ जाओ।”

“बीती रात कमल दल फूले

उनके ऊपर भंवरे झूले।” 

नेहा सुबकते हुए आगे की लाइन बोलती है।

बहने लगी हवा अति सुंदर

मेरे प्यारे अब मत सो ओ।

कोई भी अंतर ना देख करके उसका गुबार फट पड़ता है वह दबी आवाज में रोना शुरु कर देती है रोते-रोते कान के पास गुनगुनाने लगती है— “बीती रात कमल दल फूले मेरी प्यारी मम्मी उठ जाओ बीती रात कमल दल फूले।”

 

अचानक से मम्मी के दाएं हाथ की उंगली में हरकत महसूस हुई नेहा जोर से चिल्लाई— “पापा ! जल्दी अंदर आइए।” पापा और नर्स दोनों अंदर आ गए थोड़ी देर में डॉक्टर भी आ गए डॉक्टर के मना करने पर भी नेहा बेतहाशा मम्मी के माथे पर प्रेम के चिन्ह अंकित करे जा रही थी।

डॉक्टर ने बोला— “भगवान ने आपकी प्रार्थना सुन ली है होश में आने के पूरे आसार है, अब मरीज किसी भी समय आंखें खोल सकता है।”

डॉक्टर की बात सुन कर सभी की खुशियों के कमल दल खिल चुके थे पापा के चेहरे पर राहत की सांस थी।

#दिल_का_रिश्ता

शालिनी दीक्षित

स्वरचित/ मौलिक

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