वैसे तो माँ – बाप के बाद ये बहनों का ही रिश्ता इतना पवित्र और निःस्वार्थ होता है कि कोई शक या लांछन की गुंजाइश न हो । उन दोनों बहनों का रिश्ता अच्छा भी और मजबूत भी था । निष्ठा बड़ी और आस्था छोटी थी । जब निष्ठा के लिए लड़के देखने की शुरुआत हुई तो चार जगह से लड़के वालों ने मना कर दिया ।
कारण निष्ठा का हाथ था, काम में तो वह दक्ष थी लेकिन हाथ हल्का सा टेढ़ा दिखता और तो और शक्ल से भी औसतन थी । इसके ठीक विपरीत आस्था थी जितनी प्यारी उतनी सुंदर ।देखते – देखते उम्र अट्ठाइस पार हो रही थी । निष्ठा का मन भीतर से दुःखी हो गया लेकिन उसने मम्मी – पापा से कहा..”मेरी फिक्र आपलोग मत करिए, अगर मुझे कोई नहीं पसन्द कर रहा तो इसमें आस्था का क्या दोष…?
आपलोग आस्था के लिए बात आगे बढ़ाइए । धीरज यूँ तो निष्ठा को देखने आया था लेकिन उस दिन धीरज के परिवार वालों ने आस्था को एक ही नज़र में पसन्द कर लिया । धीरज के मम्मी – पापा ने आस्था के मम्मी पापा के आग्रह पर ये कहकर निष्ठा को नापसंद कर दिया कि मन सुंदर तो बाद में दिखता है पहले सुंदर , कंचन तन चाहिए ।
चेहरा भी ..बस हो सके तो हम आपकी छोटी बेटी आस्था के लिए तैयार हैं । आस्था की मम्मी का मन इस रिश्ते को छोड़ देने का था लेकिन निष्ठा की ज़िद के आगे वो विवश थीं ।धीरज अच्छे घर का था और उच्च पद पर आसीन था । रोका की रस्म शुरू होने से पहले ही आस्था को टायफाइड ने जकड़ लिया ।
देखते – देखते तीन महीने हो गए और अभी तक आस्था बीमारी से नहीं उबर पाई थी, शरीर में दर्द रहता बहुत और चलने में, काम करने में कठिनाई होती थी ।
एक दिन धीरज की मम्मी अनिता जी ने घर आकर आस्था की मम्मी से कहा…”दिन ऐसे ही बढ़ते जा रहे हैं, आस्था की तबियत भी ठीक नहीं हो रही, कब तक इंतजार करते रहेंगे । शादी जल्दी हो जाती तो धीरज को भी विदेश के लिए उड़ान भरने में आसानी होती । आस्था के मम्मी – पापा के चेहरे पर परेशानी और चिंता की लकीरें साफ दिखने लगीं ।
हाथ जोड़ते हुए आस्था के पापा ने कहा…”शरीर ही तो है बहन जी, इसमें किसी का क्या दोष ? थोड़ा समय दीजिए कि वो बिना किसी सहारे के मंडप पर बैठ जाए तो हम बात आगे बढ़ाएं । जैसे ही ठीक होती है आपको फोन करेंगे । इन्हीं बातों के बीच जब धीरज के मम्मी पापा अंदर आस्था को देखने गए तो देखा निष्ठा बहन के पैर सहला रही थी ।
बीच – बीच में वही चाय नाश्ता भी परोस रही थी और जब जाने के लिए तैयार हुए तो निष्ठा ने चेहरे पर बिना शिकवा शिकन लिए ज़िद किया खाना खाकर जाने के लिए ।
जब इस रिश्ते से अलग ही होना था तो कोई तुक नहीं बनता था खाकर जाने का, लेकिन निष्ठा की प्यार मनुहार भरी आत्मीयता के कारण रुकना पड़ गया खाने के लिए । अनेक तरह के व्यंजन सजाकर उसने डायनिंग टेबल पर परोसा , जी खुश तो हो गया लेकिन मन अभी भी उहापोह में था । धीरज के मम्मी – पापा आँखों – आँखों मे ही बात करके खाने लगे ।
फिर निष्ठा को धन्यवाद देते हुए और उसके मम्मी – पापा को दिलासा देते हुए कि घर जाकर हम एक – दो दिन में कुछ बात करेंगे दोनों पक्षों ने हाथ जोड़ लिया और धीरज के मम्मी – पापा अपने घर आ गए ।
दो दिन बाद आस्था के मम्मी पापा ने धीरज के मम्मी – पापा को कॉल किया तो कोई जवाब नहीं मिला । एकपल के लिए आस्था की मम्मी के मन में विचार आने लगे कि ये लोग भी शायद ऐसे ही हैं। मुँह पर मीठी बातें बनाकर पीछे से रंग दिखाने वाले । फिर खुद को दिलासा देकर शांत किया । ऐसे ही एक सप्ताह बीत गए तो धीरज की मम्मी ने फोन करके कहा..”नमस्कार बहन जी !
समझ नहीं आ रहा बात कैसे शुरू करें । “जी कहिए न ! आस्था की मम्मी ने सकुचाते हुए कहा तो धीरज के पापा फोन लेकर बोलने लगे …”बात तो हम आपकी छोटी बेटी के लिए कर रहे थे, पर अगर आप बुरा न माने तो एक बात कहूँ ?
मुझे आपकी बड़ी बेटी बहुत सभ्य , शालीन और विचारों से अच्छी लगी । हमने सिर्फ चेहरा देखकर फैसला ले लिया था पर अब विचार बदल रहे हैं । आस्था की तबियत तो अभी खराब है , ठीक हो जाएगी तो उसे मिल ही जाएगा कोई न कोई । हमें निष्ठा बहुत पसंद है । अपने बेटे धीरज की बात आगे बढ़ाना चाहेंगे उससे ।
इतना अच्छा भला परिवार, अच्छे लोग । आस्था को नहीं अपनाने के लिए माफी चाहेंगे लेकिन निष्ठा को अपनाकर अपनी गलती का # प्रायश्चित करना चाहते हैं ।
शरीर ही तो है, कब क्या हो जाए कोई नहीं जानता । ये बात आपने बिल्कुल सही कही थी । आपके घर से हम मिलकर वापस आ रहे थे तो एक गाड़ी वाले ने तेज टक्कर मार दी, क्या सोचकर आए थे और क्या हो गया । “ज्यादा चोट तो नहीं लगी..? घबराते हुए आस्था के पापा ने पूछा । आपसे धीरज की मम्मी बात करेगी बोलते हुए धीरज की मम्मी को फोन पकड़ा दिया ।
अब बातों का सिलसिला शुरू हुआ । धीरज की मम्मी ने बताया दुर्घटना में हाथ में कम और पैर में , पीठ में और मुँह ज्यादा चोट लगी है । धीरज को गर्दन और सिर में चोट आई है ।आस्था की मम्मी ने सांत्वना देते हुए कहा..”कल आस्था को जाँच कराने जाना है उसके बाद आकर मिलते हैं आपसे ।
“नहीं ..नहीं” ! आराम से आस्था की तबियत ठीक होने दीजिए तब आइयेगा , ऐसे हड़बड़ में मत आइए । ऐसा कहकर फोन रख दिया । सारी बातें निष्ठा और आस्था बहुत ध्यान से सुन रही थीं ।
आस्था के मम्मी और पापा आपस में बातें करने लगे । ये तो हमारे लिए बहुत मुश्किल घड़ी हो गयी ।कैसी परीक्षा ले रहे हैं भगवान । हमे बिल्कुल दुविधा में डाल दिया । इतनी मुश्किल से एक रिश्ता दोनों तरफ से पसन्द था और ये बीच में क्या हो गया ।
पास पड़ोस और लोग मुझे ही कोसेंगे कि बेटी की कैसी तकदीर थी लड़की देखकर गए और ऐसा हो गया ।
आस्था के पापा ने कहा…”इतना लोड क्यों ले रही हो, लड़का कुशल मंगल है शुक्र मनाओ । शरीर तो धीरज की मम्मी का दो – तीन महीने में पूरी तरह ठीक हो जाएगा, नकारात्मक न हो के सकारात्मक सोचो ।बीच मुश्किल घड़ी में उन्होंने हमारे लिए हल निकाला तो हमें भी तो उनके लिए सोचना चाहिए । या फिर किसी और लड़के के बारे में पता लगाने बोलते हैं चाचा जी को ।
अब निष्ठा ने कहा…”पापा आप बुरा न माने तो मैं यही कहना चाहती हूँ मुझे कोई आपत्ति नहीं धीरज से शादी करने में ।आपलोग फिजूल टेंशन मत लीजिए । जिसे जो कहना हो कहने दीजिए । और शादी के लिए मुझे पूरी तरह ठीक होने का इंतज़ार नहीं करना जितनी जल्दी उन्हें सहूलियत है मैं तैयार हूँ । निष्ठा के दो टूक बोलने से मम्मी पापा खुश भी थे और हैरान भी । आस्था भी आकर दीदी से गले मिलते हुए बोली “दीदी सही कह रही है पापा !
एक सप्ताह बाद आस्था के मम्मी – पापा धीरज के घर गए । घर में सिर्फ नौकरों का राज हर तरफ दिख रहा था । धीरे से कमरे के अंदर प्रवेश किया तो देखा धीरज की मम्मी सोई हुई थीं , बगल वाले कमरे में धीरज सोया हुआ था और दवाओं की अम्बार लगी हुई थी ।
धीरज के पापा छत से उतर कर आए तो हैरान रह गए । हाथ जोड़कर अभिवादन करते हुए कहा…”अरे आपलोग ! बता देते तो कमल (रसोइया) कुछ बना लेता । आपलोग बैठिए मैं धीरज की मम्मी को उठाता हूँ और अपने नौकर कमल को मिठाई लाने के लिए बोलकर कमरे में गए । आस्था के मम्मी – पापा ने मिठाई के लिए मना कर दिया । और धीरज की मम्मी के पास बैठ गए । धीरज की मम्मी ने कहा..पूरा दिन एक कमरे में बिस्तर पर निकल जाता है , पहले से बता देते तो हम कुछ तैयारी करते ।
“आपको परेशान नहीं करना था बहन जी ! इसीलिए तो नहीं बताए । आपको सिर्फ देखने और हालचाल जानने नहीं आए बल्कि आपकी होने वाली बहु का संदेश लेकर आए हैं ।उसकी इच्छा है जितनी जल्दी आपलोग ठीक हों उतनी जल्दी शादी हो जाए आपके घर मे भी रौनक हो जाएगा ।हम सोचे ये खुशी घर जाकर बताएँ तो कितना अच्छा होगा । “पहले तो यही देखकर बहुत अच्छा लग रहा है समधन जी कि आपके जैसी खुबसूरत सोच वाले लोग भी हैं दुनिया में ।
मैं जल्दी ही शादी का मुहूर्त निकलवाती हूँ । बीस दिन बाद डॉक्टर ने प्लास्टर हटाने कहा है पूरी तरह तो नहीं ठीक होगा लेकिन फिर भी रस्मे तो कर लूँगी धीरे धीरे और निष्ठा घर आ जाएगी तो वैसे भी ठीक हो जाऊँगी जल्दी ।
धीरज पीछे से सारी बातें सुन रहा था । अचानक से सबके मुरझाए चेहरे खिल उठे । धीरज के मम्मी पापा ने आस्था के मम्मी पापा को गले से लगा लिया और धीरज ने भावी सास ससुर के पैर छू लिए ।
शादी का शुभ दिन आ गया । लाल जोड़े में सजी – सँवरी निष्ठा दुल्हन के रूप में अच्छी तो लग ही रही थी और उसके सुंदर मन से उसके चेहरे पर एक अजीब सा तेज़ दिख रहा था ।”बारात आयी..”बारात आयी की गूँज से माहौल में जबरदस्त रौनक हो गयी थी । निष्ठा अब धीरज के संग सात फेरों में बंधने को तैयार थी ।
(अर्चना सिंह)
#प्रायश्चित