Monday, May 29, 2023
Home  कविता भड़ाना"अपग्रेडिंग बुढ़ापा" (एक कदम साहस भरा) - कविता भड़ाना

“अपग्रेडिंग बुढ़ापा” (एक कदम साहस भरा) – कविता भड़ाना

क्या???? ये क्या सुन रहे है हम मां… क्या कह रही हो आप?? ऐसा भी कही होता है क्या… रेवती जी की बात सुनने के बाद दोनों बेटों और बहुओं के मुंह आश्चर्य से खुले रह गए… 

क्यों बच्चो ऐसी क्या अनोखी बात कह दी मैने जो तुम लोग इतना हैरान हो रहे हों… आज तक क्या मैने और तुम्हारे पापा ने कभी तुमसे कोई सवाल जवाब किए?

जब तुम दोनों भाइयों ने हमें छः- छः महीने के लिए बांट लिया था वो भी हमारी मर्जी जानें बैगर… और जब

तुम्हारे पापा 2साल पैरालाइज्ड रहे तब क्या तुम दोनों को जरा भी खयाल आया की बूढ़ी बीमार मां कैसे संभाल पायेगी, तब तो तुम दोनों भाइयों को सिर्फ़ अपना फैमिली फॉरेन टूर याद था…

और उसके बाद भी बस हफ्ते भर मेहमानों की तरह रह कर चले गए थे… रेवती जी ने अपने आंसुओं को पोंछा और बोली.. माना पूरा जीवन घर गृहस्थी और तुम दोनों के लालन पालन में होम कर दिया, सोचा था बुढ़ापा चैन से गुजारेंगे पर क्या पता था कि जब भी जरूरत होगी हमारे बच्चे ही सबसे पहले हाथ खड़ा कर देंगे…अरे तुम से अच्छे तो हमारे नौकर निकले, पैसे देते थे काम के उन्हें, पर हर मुश्किल घड़ी में हमेशा उन्हें ही साथ पाया,…. आज तुम्हारे पिता को गए 20 दिन भी नही हुए और आ गए बंटवारे के लिए……

तुम लोग चाहते हो की में ये घर , खेत सब बेच कर तुम दोनो के यहां अनचाही वस्तु की तरह इधर से उधर धकेली जाती रहू, तो तुम लोग कान खोल कर सुन लो की में तुम दोनो में से किसी के भी पास नहीं रहूंगी, अरे बेटा जब मेरे पति के जीते जी तुम “इज्जत”, मान -सम्मान और प्यार नही दे पाए तो अब तो में तुमसे क्या उम्मीद करु..




पति थे तो परिस्थितियों से समझोता कर लिया था लेकिन अपना बुढ़ापा में रो भिगोकर और किस्मत को कोसते हुए नही बिताऊंगी, जब तक मेरे प्रभु चाहेंगे ये बुढ़िया अपने दम पर और अपने अधूरे शौको को पूरा करने और अपनी बरसों की एक तमन्ना पूरी करके सुकून भरा जीवन जिएंगी

सोचा था कुछ समय बाद तुम लोगो को ये बात बताऊंगी और  दिल में एक आस भी थी की शायद मेरे बच्चे मेरा दर्द समझ मुझे इज्जत से अपना ले, लेकिन अच्छा ही हुआ की तुम्हारा ये स्वार्थी रूप जल्दी ही मेरे सामने आ गया तो जैसा मैंने तुम्हे बताया कि मैने ये घर , खेत सब बेच कर गोवा में घर खरीद लिया है और 10 दिन बाद में हमेशा के लिए वहा शिफ्ट हो जाऊंगी, मेरे कॉलेज की बहुत ही प्यारी सखी,जो मेरी तरह ही अपनो से ठोकर खाई हुई है, वो भी मेरे साथ जा रही है तो मेरी चिंता तो तुम लोग करना ही नहीं….

गोवा मेरे सपनों का शहर है…

हमेशा मेरे दिल की तमन्ना रही थी की जीवन संध्या बेला में  तुम्हारे पापा और मैं गोवा में समुंदर किनारे एक घर खरीदे और वहां रहे पर किस्मत को ये मंजूर नहीं था,  ये घर भी तुम्हारे पापा ने अपने पैरालाइज्ड होने के बाद अपने एक दोस्त की मदद से अपने जाने के कुछ समय पहले ही मेरे नाम से खरीदा है, जिसका आधा हिस्सा मैने वृद्ध आश्रम को दे दिया है , जीवन यापन के लिए मेरी पेंशन ही बहुत है, तो मेरे बच्चो तुम्हे अपनी मां से मिलने का मन हो तो गोवा आ जाया करना और हां गोवा वाला घर भी मेरे बाद वृद्ध आश्रम को ही दे दिया जायेगा….




अपनी बात खत्म करके रेवती जी ने अपने बच्चो की तरफ देखा तो बेटे बहुओं की नजरों में उन्हें सिर्फ तिरस्कार ही नजर आया और अगले दिन सुबह सुबह सब चले गए अपनी मां से मिले बैगर ही…

रेवती जी ने खिड़की से उन्हें जाते देखा और आंसुओ को रोकते हुए नए बसेरे में जाने की तैयारी करने लगी…

स्वरचित, काल्पनिक

#इज्जत

कविता भड़ाना

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular

error: Content is protected !!