खराब किस्मत – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : कृष्णा अपने छोटे से परिवार के साथ बहुत खुश थी ।दो प्यारे प्यारे बच्चे और पति का छोटा सा बिजनेस था। ज्यादा कुछ नहीं था फिर भी कृष्णा खुश रहती थी । जबतक बच्चे पंद्रह साल के हुए तब तक सबकुछ अच्छा चल रहा था हंसी खुशी से समय कट रहा था । फिर अचानक पता लगा कि बेटी को कुछ प्राब्लम है डाक्टरों से लोकल में चेकअप कराया तो कुछ पता नहीं चला उसे बाहर ले जाने की सलाह दी गई ।

उसे फिर लखनऊ पीजी आई में चेकअप कराया तमाम टेस्ट वगैरह हुए की बार हासपिटल के चक्कर लगाने पड़े तो बेटी को कुछ जनेटिक हार्मोन्स प्राब्लम सामने आई जिसका कोई इलाज नहीं था बस दवाएं और समय-समय पर चेकअप बस यही एक रास्ता था ।बस इसी तरह परिस्थितियों से जूझते हुए समय निकलता रहा । बेटी को हर तीन महीने में लखनऊ लेकर जाना पड़ता था । बच्चे बड़े हो रहे थे सो पढ़ाई लिखाई के साथ साथ अन्य खर्चे भी बढ़ रहे थे 

बच्चों के बेहतर भविष्य की चिंता भी थी ।सो जोड़ तोड़ कर समय निकलता रहा ।

              कहते हैं न कि जब किस्मत खराब हो तो कुछ भी अच्छा नहीं होता । बच्चों की पढ़ाई लिखाई के साथ बिजनेस भी ठप्प होने लगा । चाइना से अच्छा और सस्ता मिल आने की वजह से बिजनेस पर बुरा असर पड़ने लगा और एक दिन बंद करना पड़ा । फिलहाल तब तक बच्चों की पढ़ाई लिखाई निपट चुकी थी और बस नौकरी की तलाश थी । किसी तरह नौकरी लगी लेकिन उसी समय कृष्णा के घर भाई बहनों में तीन तीन शादियां आ गई । एक भारी भरकम खर्चा सामने आ गया । लेकिन चाहे जैसी परिस्थितियां आए निकलना तो पड़ता ही है और आपको रिश्तेदारी भी निभानी पड़ती है । सबकुछ रीति रिवाज और देना लेना भी पड़ता है ।

                बेटे को नौकरी करते दो साल हो रहे थे और अब उसकी शादी की चर्चा घर में होने लगी । कृष्णा बेटे की शादी को लेकर बहुत उत्साहित थी क्यों न हो आखिर बच्चों की शादियों का तो सभी को अरमान रहता है । कृष्णा ने की पेपर और मेट्रो मोनियल साइड पर बेटे का प्रोफाइल डाल दिया और रिश्ते आने शुरू भी हो गए ।जिस किसी लड़की को कृष्णा पसंद करती बेटा मना कर देता वो किसी भी रिश्ते में राजी नहीं हो रहा था ।

फिर बेटे ने एक लड़की को पसंद किया वो भी किसी मैगजीन के जरिए ही था । कृष्णा को लड़की थोड़ी तेज तर्रार लग रही थी कृष्णा ने मना किया इस रिश्ते को लेकिन बेटा नहीं माना । लड़की ने बेटे को फोन करके बात की कि वो उससे मिलना चाहती है ।बेटा कृष्णा की बिना अनुमति के उससे मिलने चला गया । कृष्णा के मना करने पर नाराज़ होने लगा बेटा ।और आखिर में वही शादी करने की जिद पकड़ ली । कृष्णा की और पापा की कोई सलाह नहीं मानी बेटे ने । दोनों शादी को तैयार थे । फिर लड़की के पापा का फोन घर पर आया मिलना चाहते हैं जब सबकुछ तय कर लिया था तो फिर क्या । कृष्णा ने भी बेटे की जबरदस्ती पर शादी के लिए हां कर दी और शादी हो गई ।

              फिर वही किस्मत कह लीजिए जब किस्मत में खराब होना लिखा हो तो अच्छा कैसे होगा । शादी के बाद हनीमून पर ही दोनों का झगड़ा हो गया ।बहू फोन करके तमाम शिकायतें बेटे की लगाने लगी ।और बार बार झगड़े को निपटाने के लिए कृष्णा और पति उधर लड़की के मां बाप दोनों आते रहे ।ये झगड़ा उस समय तो निपट जाता लेकिन फिर चालू हो जाता ।ये सिलसिला दो साल तक चला और फिर आखिर में तलाक़ की नौबत आ गई और काफी जद्दोजहद के बाद दोनों का तलाक हो गया ।

                  बेटे के तलाक़ के एक साल बाद कृष्णा फिर बेटे की घर गृहस्थी के बारे में सोचने लगी आखिर बेटे का घर तो बसाना था न मां बाप ताउम्र बच्चों की चिंता में घुले जाते हैं । फिर एक लड़की पसंद की कृष्णा ने बेटे को दिखाई बेटे से बोला थोड़ा समझ बूझ लो लड़की को थोड़ा जान लो जल्दी मत मचाना मां बाप तो अच्छा सोंचते है बच्चों के लिए लेकिन बच्चे जहां अपनी मनमानी करते हैं मुंह के बल गिरते हैं ।

फिर मनमानी कर ली बेटे ने यही पर जिद पकड़ कर बैठ गया जो लड़की कृष्णा ने दिखाई थी । कृष्णा ने समझाया अपनी जात से थोड़ा हटकर है जल्दबाजी न करो थोड़ा समय लेकर समझ लो लेकिन बेटा नहीं माना और फिर शादी हो गई और फिर वैसे ही हालात बन गए ।बहू सांस को कुछ समझती ही न थी । ससुराल ही नहीं आना चाहती थी जबकि मायका और ससुराल लोकल ही था

जब भी आती मायके में पड़ी रहती यहां घर पर कृष्णा और पति से मिलने भी न आती थी । सारे अरमान कृष्णा के धरे के धरे रह गए बहू के लिए जो सपने देखे थे । किस्मत खराब हो तो कुछ भी नहीं मिलता । एक से नहीं मिला बहू का सुख तो दूसरे से भी नहीं मिला ।बस किस्मत का खेल मानकर बैठे गई कृष्णा क्या करें ।अब बार बार तलाक तो नहीं कराएगी न।जब किस्मत में कुछ अच्छा न लिखा हो तो यही होता है ।

मंजू ओमर

झांसी उत्तर प्रदेश

#किस्मत 

 

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