खानदान – सुषमा यादव : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : तुमने तो हद ही कर दी। इतनी रात को अकेले घर से भागकर बारह कोस चलकर अपनी ससुराल से यहां मायके भाग कर आई हो। अभी भोर है, इससे पहले की गांव वाले तुम्हें देखें,सौ सौ बातें बनाये, तुम फौरन वापस लौट जाओ। गुस्से में कुसुम के भैया उसे डांट रहे थे।जो अपने ससुराल से लड़-झगड़कर गुस्से में रात को चुपके से उठकर मुंह छुपाये हुए खेतों से होते हुए इतनी दूर अपने मायके आ गई थी। भैया की फटकार सुनकर कुसुम बोली,वह मर जाएगी,पर हरगिज उस घर नहीं जाएगी। जहां इतने लोग भरे पड़े हैं,कितना काम करना पड़ता है। ऊपर से सबके ताने उलाहने अलग से सुनो।

भैया मेरा तो आप तलाक करवा दो या पंचायत बिठा कर मुझे उस घर से छुटकारा दिला दो।

भैया चीख पड़े, खबरदार, कुसुम तुमने तलाक या छुटकारे की बात कही तो। तुम अच्छी तरह से जानती हो कि हम किस खानदान से ताल्लुक रखते हैं। दूर दूर तक लोग हमारे ऊंचे खानदान की मिसालें देते हैं। हमारे खानदान में तलाक शब्द गाली मानी जाती है।

मेरे भी बेटे-बेटियां हैं,कल को मेरे ऊपर सब थूकेंगे। अगर तुम्हारे साथ वो लोग मारपीट करते हैं,बुरा व्यवहार करते हैं तब तो मैं तुम्हारे साथ हूं। परंतु इतनी छोटी सी बात पर तुम ऐसे कहोगी तो मेरे घर के दरवाजे हमेशा के लिए बंद रहेंगे। तुम अपने पति के साथ आओगी या मैं तुम्हें विदा करके लाऊंगा तो इस घर में तुम्हारा स्वागत है।

दरअसल, कुसुम का मायका धनाढ्य था। वो अपने गांव के जमींदार थे। पंचायत में उनके निष्पक्ष और सही न्याय के लिए उनके ही खानदान से हमेशा सरपंच चुना जाता था। वो जो भी निर्णय देते सभी गांव वाले उसे बिना ना-नुकुर किये स्वीकार कर लेते। कभी भी विरोध के स्वर नहीं उठे।

कुसुम के माता-पिता नहीं थे। कुसुम को बड़े ही प्यार दुलार से उसके भाई भाभी ने पाल-पोस कर पढ़ाया लिखाया और बड़ी धूमधाम से उसकी शादी कर दी। कुसुम से भैया भाभी ने कभी कोई काम नहीं करवाया। सरपंच की बहन होने के कारण वह सब पर खूब रौब झाड़ती और हमेशा अपनी मनमानी करती। अपने गांव के लड़के लड़कियों को परेशान करती।भाई की दुलारी होने के कारण  उसकी शिकायत करने के लिए सब डरते थे।भाई के प्यार दुलार ने कुसुम को बिगाड़कर रख दिया था। वह बदजुबान और उद्दंड हो गई थी।

ससुराल में संयुक्त परिवार था,

पांच भाई में वह चौथे नंबर की बहू थी। सबके दो तीन बच्चे थे।दो बड़ी ननदें भी यदा कदा अपने बच्चों के साथ आकर मायके में डटी रहती। अब कुसुम ने अपने घर में कभी कोई काम तो किया नहीं था, इसलिए जब अधिक काम पड़ता या कभी खाना ढंग से नहीं बनता तो सभी लोग उसे डांटते, समझाते।पर वह अपने भाई के सरपंच और बड़े घर की होने का दंभ भरती और सबसे जबान लड़ाती।

यह देखकर बड़ी बहुएं भी उसी राह पर चलने की कोशिश करतीं।

घर का माहौल बिगड़ने लगा था।

सास श्वसुर पति डांटते तो भाई से दिखवा लेने की धमकी देती और मायके जाने धौंस जमाती।

एक दिन उसने बीमारी का बहाना किया और अपने कमरे से ही नहीं निकली। घर में मेहमान आये थे। पति और सबने उसे बाहर आने को कहा पर वो नहीं आई। बाद में पति और परिवार वालों से उसने खूब झगड़ा किया। उसे उसके कमरे में चाय नाश्ता खाना क्यों नहीं पहुंचाया गया। मैं अभी अपने भैया के पास जातीं हूं, मेरे भैया एक एक की खबर लेंगे तब पता चलेगा।

सबने कहा अभी तुरंत चली जाओ। तुम्हारे भैया से जो बन पड़े वो कर लेंगे। तुम जैसी लड़ाकू से हमें भी छुटकारा मिल जाएगा।

यह सुनकर कुसुम आग-बबूला हो गई, सबके सामने तो वह जा नहीं सकती थी और अगर जाती भी तो कोई उसे जाने भी नहीं देता, इसलिए वह रात के तीसरे पहर चादर ओढ़ कर भाग गई, ताकि गांव वालों को भी पता ना चले और ना मायके वालों को।

पर भैया की डांट फटकार सुनकर उसका सारा घमंड चूर चूर हो गया।

भाभी आईं और उसने चुपके से उसे अंदर किया। उसे प्यार से समझाते हुए बोलीं, कुसुम, हर लड़की मायके में बड़े प्यार दुलार से पलती है। उससे ज्यादा काम नहीं कराते हैं कि यहां कुछ दिन वो अपना बचपन अपनी जिंदगी आराम से बिताए।कल को तो उसे ससुराल में सभी काम करना पड़ेगा। ये हर स्त्री को करना पड़ता है। तुम भी सबके साथ सामंजस्य बिठाकर और समझौता करके चलोगी तो आगे चलकर तुम सबके दिलों की रानी बन जाओगी।

यदि तुम इस तरह रूठकर मायके में बैठ जाओगी तो वो तो अपने बेटे की दूसरी शादी कर देंगे और हमारे खानदान में तो तलाक का नाम लेना ही अपशब्द है तो तुम्हारे भैया यह तो होने नहीं देंगे।

हमारे भी बेटियां हैं, कौन उनसे रिश्ता जोड़ेगा।

अब तुम ठंडे दिमाग से सोच लो कि तुम्हें क्या करना है।

जाना हो तो हम तुम्हें उजाला  होने के पहले चुपचाप पहुंचा देंगे।

किसी को पता भी नहीं चलेगा, कोई पूछे तो कह देना मैदान गई थी। 

कुसुम ने अपने भाई भाभी से माफी मांगी। आप सही कहते हैं।

अब मैं कभी आपके बिना बुलाए मायके नहीं आऊंगी। हमेशा अपने खानदान की नाक ऊंची रखूंगी। मेरे कारण आपके प्रसिद्ध ऊंचे खानदान पर कभी भी आंच नहीं आयेगी। 

अपने ससुराल आकर कुसुम ने सबसे अपनी गलतियों की माफी मांगी। सबने उससे कहा, कोई बात नहीं, समय रहते तुम सुधर गई, हमारे लिए यही बहुत है।सासू मां ने कहा, असली खानदान की बहू है और सब हंसने लगे।

सुषमा यादव पेरिस

स्वरचित मौलिक अप्रकाशित

#खानदान

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