जोबन अनमोल – अनुज सारस्वत

“बाली उमरिया कोरी चुनरिया

जुल्मी नथनिया हाय-2

रूप नगर में लूट मचाई है

सब कुछ बिकले बिकाये

लगा ले तू भी मोल बलमा-3

जोबन अनमोल बलमा-3″

टीवी पर गीत चल रहा था रवि और अनीता बैठ कर देख रहे ।लोकडाउन की बजह से सारा दिन खाना और टीवी यही चलता ।

“बताओ इन तबायफों का जीवन भी कैसा है,लोगों की प्यास बुझाकर कितनी बदनामी लेती हैं दुनिया से कट जाती हैं।”

अनीता गहरी सांस छोड़ते हुए बोली।

रवि-“अरे तो क्या हुआ मोटा पैसा मिलता है ,बड़े बड़े कांटेक्ट होते इन लोगों के।पैसा सब करना सिखा देता।”


अनीता-“मैं यह नहीं मानती ,इन लोगों की बजह से हम लोगों की इज्जत बची हुई है ,जो अति कामुक लोगों को शांत करती वरना तो सड़क पर चलना दूभर हो जाये।तुम आदमियों को तो बस पैसा ही दिखता हर चीज में।पीछे की बात नहीं जानते।जरा फील करके देखो सड़क पर चलते हुए हजार आंखे तुम्हें देखती हैं हर कदम और आंखो से ही चीर हरण कर लेते ।कैसा लगता है हमें? अगर हम हर बात तुम पतियों को भाईयों को बतायें तो रोज दंगे हो ।यह लोग समाज से अलग नही है अलग कर दिया गया है। “

रवि-“तुम लोगों का सही है ,यही बात मैं कहता तो सीबीआई कर लेती मेरी,और कहां का लिंक कहाँ जोड़ती। जी मैडम तो आप ही बताइए क्या किया जाये?”

अनीता-“देखो औरत ही औरत की परेशानी जान सकती है ,इस शरीर के अलावा भी बहुत चीजें होती।मेरे दिमाग में एक आइडिया आया है ।”

उसने रवि के कान में कुछ फुसफुसाया

रवि-“अरे क्या बात कर रही हो तुम नाक कट जायेगी समाज में “

अनीता-“वो तो देखा जायेगा कटती है या जुड़ती है “

मार्केट का टाईम 3 घंटे था खुलने का।दोनो ने पहुंचकर कुछ सामान खरीदा और गाड़ी में रखा ।फिर चले शहर के दूसरे छोर पर ।जहाँ रास्ता बेहद संकरा था टूटी फूटी सड़क से जैसे तैसे पहुंचे ।एक पुरानी कोठी थी जो खस्ताहाल थी ।उसके गेट पर चार पांच आदमी घूम रहे थे ।रवि ने बात करके अंदर जाने की परमीशन ली ।अंदर जाकर देखा बहुत सारी खिड़कियां के किनारे औरतें ,लड़कियां बैठी थी ।सब उन दोनों को देखकर चौंक गयी थी क्योंकि किसी आदमी को पत्नी के साथ आते हुए नही देखा था ।वह शहर का रेडलाईट ऐरिया जो था ।

नीचे एक तगड़ी औरत बैठी थी वो बोली।

“ऐ रणवीर कपूर और दीपिका का काम हैं ? यहां तुम दोनों का करन आये हो?कोनो रेड फेड तो नही डालन आये हो?वैसे ही ससुरा कोरोना जिंदगी बर्बाद कर गया।”

अनिता-“अरे माँ जी ऐसी बात नही है ।वो लोकडाउन चल रहा था ।तो हमने सोचा आप लोग कैसे रह रहे होंगे। खाने पीने की दिक्कत होगी ।तो हम कुछ सामान लाये हैं।आपकी इजाजत हो तो हम मिलकर बाँट देते हैं।”

औरत-“का बोली “माँ जी” बेटा यह शब्द तो तुम इज्जतदार लोगन को सूट करे है।हम कहाँ नाली के कीड़े की तरह रहने बालों के लिए नही हैं।पैसे के खातिर शरीर को पत्थर बनाकर जो बेचते ।कहां से पालें इनको अब ।”

इतना कहते हुए आंखो में आंसू आ गए उस औरत के ।

अनीता-“देखिये मन छोटा ने करिये आप लोग हम लोगों को सुरक्षा दिलाती हो ।वरना रोजाना रेप की संख्या लाखों में बढ़ती। हमारा भी कुछ फर्ज है कि हम कुछ करें आपके लिए। औरत का काम औरत से चिढ़ना नही वरन उसकी मदद भी करना है ।”

“बेटी कौन है तू ?मैने तो कभी इतनी अच्छी बातें करने बाली नहीं देखी ।जा तेरे को जो बांटना है बांट दे”

अनिता और रवि ने मिलकर खाने पीने का सामान ,कपड़े और कुछ पैसे सभी लोगों को बाँटे।और वहां से चले गये।

“अरे अब क्या हुआ ?

तुमने कर ली ना अपने मन की अब किस सोच में डूबी हो?”

रवि ने कार चलाते हुए कहा

अनिता-“कुछ कमी रह गयी मन नही मान रहा “

इतना कहकर उसने फोन खोला और कुछ टाईप करने लगी ।

दरअसल उसने अपनी सहेलियों के वहाटसअप ग्रुप में उन सब सेक्स वर्कर्स की मदद करने का विचार रखा ।थोड़ा ना नुकुर करने के बाद सब राजी हो गयीं ।अब हर दिन उस कोठी पर खाना पीने,कपड़े का इंतजाम अनीता का ग्रुप करता ।जब तक लोकडाउन चला ।उसके बाद उन सेक्स वर्कर्स के लिए सिलाई कढ़ाई की कोचिंग का लक्ष्य रखा ताकि आत्मनिर्भर बन सके ।


आज सभी सेक्स वर्कर्स वहाटसअप ग्रुप पर अनीता के साथ अटैच है ।और उस दलदल से निकलने की तैयारी में है।उनकी लीडर को अनीता ने मना लिया है और समाज में सभ्य जीवन दिलवाने के लिए प्रयासरत है।

“धुंधला जाएँ जो मंजिलें

इक पल को तू नज़र झुका

झुक जाये सर जहाँ

वहीं मिलता हैं रब का रास्ता

तेरी किस्मत तू बदल दे

रख हिम्मत बस चल दे

तेरा साथी, मेरे क़दमों के हैं निशां

तू न जाने आस पास है खुदा -2″

आजकल यही गाना वो सारी सेक्स वर्कर्स सुनती हैं अनिता के कहने से।

-अनुज सारस्वत

(कहानी नं-101)

(स्वरचित)

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