जिम्मेदारी – अनु इंदु

‘ मम्मी , यह दूध का डिब्बा आधा कैसे रह गया ?  अभी कल ही तो खरीद कर लाया था मैं , आप क्या गिन्नी को सारा दिन दूध ही पिलाते रहते हो, आप को तो पता है कि स्पून को लेवल करके ही बच्चे का दूध बनाया जाता है ,30ml में एक levelled स्पून ‘  रोहित की आवाज़ थी । वंदना किचन में थी । आवाज़ सुन कर फटाफट बाहर आई तो बेटा रोहित मिल्क पाउडर का डिब्बा हाथ में लिये झल्ला रहा था । वंदना ने कहा ‘ कल इंटेरनेट वाले आये हुये थे, ठीक करने ,  दो घंटे उनके कारण बिज़ी थी मैं , उसके बाद R.O.ठीक करने वाले आये हुये थे , उनसे काम करवाना था इसलिए दूध तो वर्षा ने बनाया था,  । उसको भी तो महिमा ने समझा रखा है , दूध तो अक्सर वही बनाती है । उसने ज्यादा डाल दिया होगा । मैं घर में अकेली क्या क्या देखूँ । आप दोनों लोग छः महीने की गुड़िया छोड़ कर काम  पर चले जाते हो , यह भी नहीँ सोचते कि माँ क्या क्या देखेगी इस उम्र में “। “रहने दो मम्मी , सब जानता हूँ , आप बच्चे का ध्यान नहीँ रखते , सारा दिन मोबाइल पर लगे रहते हो , पता नहीँ क्या लिखने का भूत सवार हुआ है आप पर । इससे बच्चे की आँखों पर भी बुरा असर पड़ता है “रोहित गुस्से से बड़बड़ा रहा था । वंदना को भी गुस्सा आ गया , उसने कहा “अगर बच्चे की इतनी फिक्र है तो महिमा से कहो बाहर जॉब करने की बजाये अपना बच्चा संभाले। इतनी टोका टोकी से तो मैं बच्चा नहीँ रख सकती। दिन में चार बार महिमा का फोन आता है’ मम्मी उसने क्या खाया क्या पिया , कितना पिया । मैं क्या पल पल का हिसाब देती फिरूँ? नौकरानी वर्षा से तो तुम लोग पूछते हुये भी डरते हो कि कहीं वो छोड़ के ना चली जाये , मगर माँ की नौकरानी से भी बुरी हालत है । मेरी अपनी निजी जिंदगी का क्या ? मेरा अपना सोशल सर्कल है । मेरे किट्टी ग्रुप हैं । मैं उनमें नहीँ जा पाती । मैंने अपने किसी काम से जाना हो तो तुम्हारी मेड को और बच्चे को साथ लेकर जाऊँ । मैंने किसी से फोन पर भी बात करनी हो तो नहीँ कर पाती क्यूंकि सारा दिन मेड सिर पर सवार रहती है । तुम दोनों तो वीक एंड पर घूमने निकल जाते हो मगर माँ के बारे में कभी सोचा है ? “

इतने में महिमा भी ऊपर से उतर कर आ गई । और सास पर बिफर पड़ी “आप अपने आप को माँ कहती हो , आप इस लायक नहीँ हो। बहुत शौक था न बच्चों का , क्या हुआ ? संभालो इनको”। वंदना ने कहा कि हर माँ बाप की तरह हमारी भी ख्वाहिश थी कि आँगन में बच्चा खेले । मैं बच्चा रख भी लेती अगर इतनी टोका टाकी न होती । शादी से पहले ही हमने तुम्हारे परिवार वालों से कह दिया था कि बहू जॉब नहीँ करेगी , हमारे घर में किसी चीज़ की कोई कमी नहीँ बच्चा अभी बहुत छोटा है , उसे देखना तुम्हारा फर्ज़ है।बच्चा थोड़ा बड़ा हो जाये तो जॉब भी कर लेना , लेकिन अभी बच्चे को तुम्हारी ज़रूरत है । मुझे घर के और सब काम भी देखने होते हैं ।  हम दादा दादी भी जितना वक्त अपनी सुविधा से दे पायेंगे उतना ही देंगे । तुम लोग इस बात के लिये हमें बाध्य नहीँ कर सकते । सुबह तुम दोनों का ब्रेकफास्ट तैयार करूँ , लंच पैक करके दूँ , दिन भर बच्चा संभालूं । रात को फिर डिनर तैयार रखूँ , मुझ से यह सब नहीँ होगा । बेहतर यही होगा कि अपना किचन अलग कर लो । अपनी अपनी जिम्मेदारी ख़ुद संभालो । बच्चे से हमें भी प्यार है मगर प्यार और जिम्मेदारी में फ़र्क होता है”,कह कर वंदना किचन में चली गई । महिमा वहीँ खड़ी अलग होने के फायदे और नुक्सान के बारे में सोच रही थी।

अनु’ इंदु ‘

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