होवे वही जो प्रभु रची राखा – संगीता अग्रवाल

” देखिये सुशीला जी आपकी बहु के गर्भ मे पल रहे बच्चे का लिंग मालूम नही हो पा रहा है !” डॉक्टर सुशीला जी जो की अपनी बहु के गर्भ मे पल रहे बच्चे का लिंग जानने आई थी से बोली।

” ऐसे कैसे डॉक्टर पहले भी तो एक बार तुमने लिंग पता लगाया है ना …लगता है तुम्हारी मशीन खराब हो गई है !” सुशीला जी भड़क कर बोली।

” मशीन खराब नही हुई है बल्कि बच्चे के लिंग के ऊपर अमरनाल आ रही है जिससे अल्ट्रासाउंड मे बच्चे का लिंग नही पता लग रहा !” डॉक्टर बोली

” कोई तो उपाय होगा लिंग पता करने का मैं ज्यादा पैसे देने को तैयार हूँ आप कुछ कीजिये !” सुशीला जी अधीरता से बोली अंदर उनकी बहु सब सुन रही थी वो दुआ कर रही थी कोई उपाय ना मिले ऐसा कम से कम इस बार तो वो माँ बनने का सुख पा जाये पिछली बार तो उसकी अजन्मी बच्ची को मार दिया गया था।

” हां एक उपाय है आप अपनी बहु को सीढ़ियां चढ़वाओ , कूदने को बोलो थोड़ा हो सकता है इससे अमरनाल खिसक जाये !” डॉक्टर कुछ सोचती हुई बोली। डॉक्टर की बात सुन मानो सुशीला जी मे जान सी आ गई हो वो फटाफट बहु के पास आई और उसे लेकर सीढ़ियां चढ़ने उतरने लगी। उसे धीरे धीरे उछलने को कहने लगी । बेचारी बहु जो सास से वैसे ही डरती थी उसकी हर आज्ञा का पालन कर रही थी पर मन ही मन दुआ भी कर रही थी कि ये उपाय फेल हो जाये।

” हाहाहा !” ऊपर स्वर्गलोक मे बैठी एक छोटी सी बच्ची जोर से हंस पड़ी ।



” क्या हुआ ऐसे क्यो हंस रही है वो भी इतनी जोर से !” एक दूसरी नन्ही सी बच्ची ने पूछा।

” वो देख मेरी दादी सुशीला कैसे पागल हो रही है ये जानने को कि मेरी माँ के गर्भ मे लड़का है या लड़की !” वो बच्ची हँसते हुए बोली।

” पर तुझे क्या पता वो तेरी दादी है ?” दूसरी बच्ची ने पूछा !

” बहुत अच्छे से जानती हूँ इन्हे मेरी हत्यारिन है ये और वो डॉक्टर क्या इन्हे नही पहचानूंगी !” वो बच्ची जो अभी तक हंस रही थी दर्द भरे कठोर शब्दों मे बोली।

” ओह्ह मतलब तुम्हारी हत्या हुई थी मैं तो पैदा होते वक़्त मरी थी !” दूसरी बच्ची उदास हो बोली।

” अच्छा मतलब तुम्हारी दादी ने तुम्हारी मम्मी के गर्भ की जांच नही करवाई थी ?” अब चोंकने की बारी पहली बच्ची की थी।

” अरे नही नही मेरी दादी तो बहुत अच्छी है उन्होंने तो यही कहा था अगर लड़का हुआ तो कृष्ण भगवान आएंगे लड़की हुई तो माँ लक्ष्मी …पर मेरे जन्म के समय माँ की हालत बहुत खराब हो गई और फिर डॉक्टर ने उन्हे बचाना ज्यादा जरूरी समझा।” दूसरी बच्ची बोली।

” तुम कितनी लकी हो एक मेरी दादी है जो लड़की पैदा नही होने देना चाहती एक तुम्हारी दादी है जो लड़की को लक्ष्मी का रूप मानती है ..काश मैं तुम्हारी माँ के गर्भ मे होती !” पहली बच्ची वही दर्द मे डूबे शब्दों मे बोली।

“नही नही वहाँ तो मैं ही जाउंगी मैने भगवान से बोल दिया है कि मुझे वापिस उसी घर मे जन्म लेना है और इस बार जिंदा भी रहना है !” दूसरी बच्ची एकदम से बोली।

” हाँ हाँ तू ही चली जाइयो अभी तो मेरी दादी को देख कैसे परेशान हो रही है !” पहली बच्ची बोली और वापिस धरती पर देखने लगी और हँसने लगी।



” अब क्या होगा तो ?” दूसरी बच्ची बोली।

” होगा क्या मेरी बहन तो हर हाल मे दुनिया मे आएगी मेरी माँ इतने सच्चे मन से दुआ जो कर रही है। दादी कितना जोर लगा ले ये अमरनाल नही हटेगी और बिना लिंग जाने दादी गर्भपात तो करवाने से रही …!” बच्ची बोली।

” बहु थोड़ा और तेज कूद! ” धरती पर सुशीला जी अभी भी प्रयत्न् कर रही थी ।

” बस बस सुशीला जी इससे ज्यादा ना तो बच्चे के लिए अच्छा है ना आपकी बहु के लिए …मैं इसका फिर से परीक्षण करती हूँ !” डॉक्टर बोली और सुशीला जी की बहु को अंदर ले गई।

” हे भगवान इस बार लिंग का पता लग जाये और बेटा ही हो मैं तुम्हे सवा मनी चढ़ाऊंगी !” सुशीला जी भगवान से दुआ मांगने लगी।

” देखा तुमने मेरी दादी को गलत काम करने के लिए भगवान को लालच दे रही है ये !” पहली बच्ची फिर दूसरी से बोली।



” बेटा ये मानव स्वभाव ही ऐसा है बस अपना स्वार्थ देखता है उसके लिए ईश्वर को लालच देने से भी नही चूकता जबकि जो कुछ उसके पास है वो ईश्वर का दिया ही है । बजाय गलत काम करके भगवान को लालच देने के अच्छे काम करे , मानवता की सेवा करे तो उसके जीवन मे कोई दुख ही ना आये !” तभी वहाँ से गुजरती एक परी बच्ची की बात सुनकर  बोली।

” माफ़ कीजिये सुशीला जी आपकी बहु के गर्भ की जाँच मुमकिन ही नही क्योकि अमरनाल टस से मस नही हुई है !” डॉक्टर हार मानते हुए बोली।

” अब मैं क्या करूँ फिर डॉक्टर ?” सुशीला जी चिंतित हो बोली।

” अब तो आप बस आने वाले बच्चे के स्वागत की तैयारी कीजिये भले वो लड़का हो या लड़की …क्योकि ऐसा लगता है इस बच्चे पर ईश्वर का हाथ है और जिसपर ईश्वर का हाथ हो वो जन्म लेकर ही रहता है आप या मैं उसे रोक नही सकते क्योकि होवे वही जो ईश्वर रची राखा !” डॉक्टर ये बोल वहाँ से चली गई। सुशीला जी की बहु मन ही मन ईश्वर को धन्यवाद देने लगी ।

” हुर्रे …मेरी बहन अब दुनिया मे आएगी मेरी दादी हार गई !”  पहली बच्ची खुश होते हुए बोली।

” मुबारक हो तुम्हे…. चलो मैं चलती हूँ अब मेरा धरती पर जाने का समय आ गया मेरी दादी दिन रात दुआ मांग रही है मेरे आने की !”  दूसरी बच्ची पहली के गले लग कर बोली और वहाँ से चली गई।

” मम्मा अपना और मेरी बहन का ख्याल रखना !” ये बोल पहली बच्ची भी अंतर्ध्यान हो गई।

दोस्तों मेरी ये काल्पनिक कहानी कुछ घरों की हकीकत भी है इस हलकी फुलकी कहानी के जरिये मैने कुछ लोगो की सोच पर कटाक्ष जरूर किया है पर किसी गलत भावना से नही फिर भी अगर ऐसा हुआ है तो मैं क्षमाप्रार्थी हूँ ।

#दर्द 

आपकी दोस्त

संगीता अग्रवाल 

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