ऑनर किलिंग- डॉ संगीता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : क्या??क्या कह रहे हो रेशू के बापू??तुम मार दोगे दोनो को?कौशल्या बेहोश होते हुए बोलीं।

और नहीं तो क्या?तुम्हें क्या लगा कि दूसरी जाति की लड़की को घर ब्याह कर ले आऊंगा अपने बेटे की दुल्हन बना कर? चौधरी राजवीर गर्जा।

लेकिन तुम भूल गए हमारा रेशू कितनी मन्नतों बाद पैदा हुआ था,कितने व्रत,उपवास किए थे हमने,कहां कहां नहीं भटके थे इसके लिए…किसी मौलवी, पीर बाबा,मंदिर मस्जिद गुरुद्वारे को नहीं छोड़ा था जहां माथा न टेका हो और अब इतना गुस्सा??

तो क्या रेशू की जिद के सामने,खानदान की इज्जत दांव पर लगा दूं?वो लड़का जवानी के नशे में चूर है,उसे वो छोटी बस्ती की लड़की ही मिली थी जीवन संगिनी बनाने को?मार डालूंगा मै दोनो को…गुस्से से कांपता वो बोला।

लेकिन पुलिस आपको पकड़ लेगी फिर,ये भी सोचा है आपने?आखिर दो दो हत्या का इल्जाम आएगा आप पर!

परवाह नहीं मुझे…हमारे परिवार में सब खानदान की इज्जत को सर्वोपरि मानते हैं इसके लिए चाहे कुछ भी कुर्बान क्यों न करना पड़े।

लेकिन पलभर ये तो सोचो…आपको पुलिस पकड़ लेगी,इकलौते बेटे को मार डालोगे तो मै 

अकेली किसके खानदान का नाम और इज्जत बचाऊंगी?खानदान की इज्जत रखने के लिए खानदान होना भी तो जरूरी है?

राजवीर पलभर ठिठक कर रुक गया,वो अपना चाकू चमका रहा था और दूसरे हथियार दुरुस्त कर रहा था।उसे लगा,कोशल्या सही तो नहीं कह रही कहीं?खानदान में कोई बचेगा हो नहीं तो कैसी इज्जत और बेइज्जती?

तभी उसके बड़े भाई युद्धवीर का फोन आया…कहां रुक गया छोटे? सारे इंतजाम हो गए हैं,खबर मिली है कि आज रात को गांव के पुराने मंदिर के पीछे वो दोनो शादी कर रहे हैं…वक्त से पहुंच जाना,और इंतजाम भी देखने हैं।

राजवीर ने सिर झटका और वहां जाने को उद्धत हुआ, मै भी कहां औरतों की बात पर ध्यान देने लगा था।

रेशू के बापू!किसका फोन था? कौशल्या बोली,

वो घबरा गई थी,गिड़गिड़ाई थी उसके आगे वो,

“मेरी बात सुनो!खून खराबे में कुछ नहीं रखा, मै समझाऊंगी रेशू को,वो मान जायेगा,तुम उसकी चौधरी दुर्जन की बेटी से शादी कराना चाहते हो न,वो मान जायेगा…”

मानना होता तो कब का मान गया होता कौशल्या..अब पानी सिर के ऊपर से निकल रहा है,आज वो शादी कर रहा है।

अपने पति के सिर पर भूत सवार है मरने मारने का ये देख,कौशल्या कांप गई।

बेटे रेशू को फोन लगाने जा रही थी कि उसके फोन की घंटी बजी,देखा रेशू का फोन था।

अम्मा!हमें आशीर्वाद देने आज रात को पुराने मंदिर आ जाना चुपचाप,बापू तो मानेंगे नहीं इसलिए उन्हें ना बताना।

उससे पहले मुझे मिल अभी,एकदम अभी पुलिया किनारे…

अम्मा!हम बहुत बिजी हैं,रात को मिलेंगे। वो बोला।

नहीं..वो गुस्से में चीखी,बिलकुल अभी आ।

थोड़ी देर में,रेशू अपनी मां को बता रहा था कि वो मर जायेगा लेकिन शादी सुमन से ही करेगा, उस चौधरी की अहंकारी लड़की राका से नहीं।

लेकिन तेरा बाप तुम दोनो को जान से मार डालेगा, इससे क्या हासिल होगा किसी को भी बेटा?वो रोने लगी।

मां!बापू जानता भी है कुछ राका के बारे में,वो शहर से पढ़ी लड़की है,घनी पैसे वाली है,क्या वो कभी तुम्हारी और बापू की इज्जत कर पाएगी?मुझसे मिली थी पहली बार तो छूटते ही बोली थी,क्यों रेशू!मेरे लिए सबसे पहले बंगला बनाएगा?

मैंने कहा, हमारी इतनी बड़ी हवेली है तो?

तो वो बोली,ये हवेली तो भूतों का डेरा लगती है,यहां बूढ़े बुढिया के साथ मै न रहूंगी पलभर भी…कहे देती हूं…

लाओगी ऐसी लड़की को बहू बनकर और दूसरी तरफ को सुमन है,क्या हुआ जो थोड़े छोटे परिवार से है,पढ़ी लिखी है,संस्कारी है,सारे घर को एक सूत्र में जोड़ के रखेगी और तुम्हें किस खानदान के सामने धन वैभव का प्रदर्शन करना है शादी के वक्त?

जब कभी हमारा कोई विवाद हो जायेगा किसी बात पर भी,ये कोई खानदान वाले आकर नहीं खड़े होंगे आपका साथ देने को…जिस खानदान का नाम लेकर आप इतने खतरनाक काम को अंजाम देते हो,वो कहीं आपके साथ नहीं है किसी दुख तकलीफ में…मेरी बात बुरी लग रही हो तो आजमा के देख लो।

उफ्फ…न बाप सुनता मेरी और न बेटा! मै करूं तो क्या करूं?

कौशल्या उल्टे पांव घर लौटी,पति को सारी बात समझाई,देखो जी!कितने ही किस्से इस तरह के सुन चुके जहां नासमझी में पेरेंट्स अपने ही बच्चों को मार डालते है लेकिन उनके

हाथ पछतावे के सिवा कुछ नहीं लगा।

राजवीर ने जब अपने बड़े भाई दुर्जन को अपनी उलझन बताई तो वो ठठा के हंसा, तू अपनी औरत के चक्कर में खानदान को कलुषित करने को तैयार है।

तो आप ही खत्म कर देना फिर उन दोनो को…मेरे बस का नहीं है भैया,वो बोला।

मै क्यों मुजरिम बनूं?तुम्हारा लड़का तुम जानो,दो टूक जबाव देकर वो चल दिया।

राजवीर अवाक होकर देखता रह गया,किसके नाम के लिए वो भिड़ा हुआ था वो अपने बेटे  की खुशियों के साथ?जिंदगी का असली मजा सबके साथ है, अपनो के ऊपर किया विश्वास और इज्जत है,इसलिए किसी को सताना नहीं चाहिए कभी।मेरे खानदान की इज्जत मेरे बेटा बहू अपने अच्छे कार्यों से बढ़ाएंगे न की ये  मेरी छोटी सोच…आज मैं कैसा भयंकर अनर्थ

करने जा रहा था।

राजवीर की आंखों से आंसू बह रहे थे और वो असली खानदान की इज्जत करना सीख चुके थे,खानदान की इज्जत होती है उनके परिवार के आपसे विश्वास और सहयोग से न की इन  बेकार की बातों से।एक अपराध होते होते बचा था एक इंसान या एक पिता के मन के भावों को सही गति देने से और कौशल्या झट ये खुश खबरी रेशू को देने के लिए दौड़ी।

डॉ संगीता अग्रवाल

वैशाली गाजियाबाद।

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