हृदय परिवर्तन – गोमती सिंह

—–एक गांव के उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में एक शिक्षक हुआ करते थे श्रीमान राजेश पटेल , इनका एक नियम था कि 12 वीं की परीक्षा के परिणाम घोषित होने वाले दिन उस विद्यालय में अध्ययन रत 12वीं कक्षा के सभी विद्यार्थियों को सिर्फ आधे घंटे  की सामाजिक विज्ञान की अतिरिक्त शिक्षा  देते थे ।

         तुषार का बारहवीं कक्षा का  आज परिणाम घोषित होना था वह घर में अपने माता पिता को डरा धमका कर आया था कि आज अगर जब मैं स्कूल से वापस आऊं तब मेरे लिए बाइक  लाकर खड़ा कर दिए रहना वर्ना मैं घर से बाहर निकल जाऊँगा कहीं दूर ।

                परीक्षा परिणाम में उत्तीर्ण होने पर नियमानुसार   वह श्रीमान पटेल जी के विशेष क्लास में उपस्थित हो गया

      क्लास में सभी विद्यार्थियों को शान्ति मय वातावरण में बैठाकर पहला प्रश्न दिया गया–

1- तुम अपने घर में कौन सी जिम्मेदारी उठाते हो?

2- तुम्हारे माता-पिता की कुल आमदनी कितनी है ?

   तुषार पहले प्रश्न से ही भौचक्का रह गया! वह सोचने लगा सब्जियां लेने माँ  जातीं हैं  , राशन का सामान पिताजी लाते हैं,  आटा पिसवाने मेरी दीदी जाती है और मै???उसका मस्तिष्क ये सवाल खुद से करनें लगा । मैं ….मै…तो सिर्फ खाता पीता हूँ घर में शान से रहता हूँ और स्कूल चला आता हूँ।  पहले ही प्रश्न से उसे शर्मीदगी होने लगी । दूसरा प्रश्न देखकर वह आत्मग्लानी से भर गया।  मैंने तो कभी माँ-पिता जी से ये जानने की कोशिश ही नहीं किया कि घर खर्च करने के लिए पैसे कहाँ से और कितने आते हैं??? उसकी आँखों के सामने अंधेरा जाने लगा और घर में एक एक पैसा कहाँ से आता है यह दृश्यमान होने लगा – मेरे पिताजी ऑटो रिक्शा चालक हैं,  मेरी दीदी कपड़े सिलाई करके कुछ पैसे कमा लेती हैं और  मेरी माताजी दो चार घरों में कुछ मजदूरी करके कुछ पैसे ले आती है और मैं घर का छोटा बच्चा हूँ करके मेरी सभी फरमाइशे पूरी करते रहते हैं ।



               तुषार तुरंत अपना उत्तर पुस्तिका टेबल पर रख दिया और अपने शिक्षक श्रीमान राजेश पटेल जी की पैरों पर लिपट गया।

              शिक्षक महोदय ने उसे दोनों हाथों से उठाते हुए सबसे पहले अपने सीने से लगा लिया,  अपने हृदय की शान्ति उसके हृदय में  प्रवाहित करने लगे फिर जब तुषार की धड़कने शान्त हुई तब अपने सम्मुख खड़े कर दिए और पूछने लगे – क्या हुआ बेटा  ? इतना ब्याकुल क्यों हो गये हो  ! तब तुषार ने गुरूजी के दिए गए प्रश्नों के बारे में अपने उत्तर मौखिक बताना शुरू किया किस तरह प्रतिकूल परिस्थितियों में भी उसके माँ-पिताजी और उसकी दीदी मिल कर उसके सभी शौक पूरी करते रहते हैं।  और वह सिर्फ मौज मस्ती ही किया करता है।  आज आपके दिए गए प्रश्नों से में जाग उठा हूँ  गुरूजी,

              गुरूजी के चरणस्पर्श करके वह भागते हुए घर पहुंच गया देखा उसकी दीदी कुछ पैसे लेकर घर के बाहर ही खडी थी । अपने भाई को देखकर पैसा आगे बढ़ाते हुए कहने लगी लो भाई ये रहे तुम्हारे बाइक लेने के लिए पैसे। 

         नहीं दीदी मुझे माफ कर दो मैं बाइक नहीं खरीदूंगा और पिताजी कहाँ हैं ?  पिताजी का ऑटोरिक्शा मैं चलाऊंगा आज मुझे मेरी गलती का अहसास हो गया है दीदी। 

                  मैं आप सभी से माफ़ी मांगता हूँ।  और तुषार  गैराज में रखे ऑटोरिक्शा उठा कर तेजी से स्टेशन की ओर चलने लगा माँ पुकारती रही बेटा कुछ खा पीकर जाओ बेटा …….

       इस तरह एक शिक्षक के समुचित शिक्षा से तुषार जैसे उश्रृंखल नवयुवक का हृदय परिवर्तन हुआ। 

         आज हमारे देश में ऐसे विद्यार्थी और ऐसे शिक्षक की नितांत आवश्यकता है जिससे देश का भविष्य उज्जवल होगा ।

                 ।।इति।।

              -गोमती सिंह

स्वरचित, मौलिक, अप्रकाशित

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