मां तुम्हे हो क्या है आज कल…. कल भी तुमने मेरा सारा होमवर्क गलत करवा दिया था आज भी ।देखो ये मैथ्स के उत्तर गलत लगाए है तुमने रहने दो नहीं पढ़ाना है तो मत पढ़ाओ पर गलत तो मत बताओ कितनी डांट पड़ी थी कल मुझे क्लास में तुम्हे क्या पता…बेटा नमन दुखी स्वर में चिल्ला उठा था।इसीलिए कहता रहता हूं फिर से ट्यूशन लगवा दो मेरे सभी दोस्त जाते हैं नीति दीदी भी तो कोचिंग जाती है ना फिर मुझे ही क्यों नहीं भेजते आप लोग!!
रागिनी हौले से उसका सिर सहला कर सॉरी बोल कर चुप रह गई थी ।कैसे कहे कि नमन की ट्यूशन क्लास में कुछ बच्चे उसका मजाक उड़ाते थे लड़ाई करते थे अपशब्दों का प्रयोग करते थे जिनसे नमन भीतर ही भीतर आहत भी हो रहा था और अनर्गल सीख भी रहा था। इसीलिए रागिनी ने उसका ट्यूशन बंद करवा दिया था।उसे खुद रोज पढाती थी उसका सारा होमवर्क करवाती थी।लेकिन इन दिनों वह खुद एक मानसिक बवंडर से गुजर रही थी ।इसीलिए नमन की पढ़ाई भी प्रभावित हो रही थी।मन्मथ के पास तो समय ही नहीं है।ऑफिस के इतने सारे टेंशन रहते हैं पढ़ाने का समय कहां!!
इस समय उसकी परेशानी का सबब था उसके पति मन्मथ का तबादला।
वैसे तो खुशी की बात थी क्योंकि उसके पति की पदोन्नति हुई थी और यह तबादला भी उसी के कारण था।लेकिन मूल कारण तबादला नहीं था बल्कि तबादले का शहर था।उसकी ससुराल वहां थी सास ससुर जेठ जेठानी देवर देवरानी और उनके बाल बच्चों से भरा हुआ संयुक्त परिवार थी उसकी ससुराल जहां रहने के नाम से ही रागिनी को तीव्र घुटन का अनुभव हो रहा था।पर अब उन्हें वही जाकर रहना पड़ेगा।
“…रागिनी इसी संडे को हमे चलना है।सामान बाद में आता रहेगा ।नीति और नमन की टीसी सम्भाल कर रख लेना ।वहां जाते ही स्कूल में नाम लिखवाना पड़ेगा वरना दोनों का पढ़ाई में बहुत नुकसान हो जाएगा वैसे भी इस साल दोनों के बोर्ड्स रहेंगे….मन्मथ ने शाम को ऑफिस से लौटते ही कहा ।
यही सोच सोच कर मैं परेशान हूं मन्मथ इस साल यही रुक जाते तो… रागिनी के दिल की परेशानी जुबान से मुखर हो गई थी।
परेशानी किस बात की रागिनी घर ही तो जा रहे हैं कहता मन्मथ अपने कमरे में चला गया कुछ जरूरी फाइल पूरी करनी थी उसे।
घर ही तो जा रहे है …मन्मथ का ये वाक्य जैसे कहीं चुभ गया था रागिनी को।
घर नहीं भीड़ कहते हैं उसे।
यहां ऑफिस से मिला इतना लंबा चौड़ा मकान है दोनों बच्चों के अलग अलग कमरे हैं मन्मथ और उसका भी अलग कमरा है।बैठक,दालान,गार्डन,ऑफिस कक्ष, स्टडी कक्ष,किचेन …. और साथ लगा हुआ सर्वेंट क्वार्टर।
और वहां ससुराल का अजीब अव्यवस्थित मकान जिसमें इतने सारे लोग पहले से ही रहते हैं अब हम चारों कहां रहेंगे ..!! जेठानी तो सबसे बड़ी बहू है घर की और देवरानी सबसे छोटी बहू है बीच में फंसी हूं मैं ।देवरानी रूनी तो जॉब भी करती है सुबह से देवर संजय के साथ ऑफिस चली जाएगी घर का सारा काम सबकी तीमारदारी मेरे जिम्मे आएगा।
जब से मन्मथ को हाई ब्लड प्रेशर हुआ है उनकी दवाई और डाइट का ज्यादा ध्यान रागिनी को रखना पड़ता है। दोनों बच्चों नीति और नमन अब बड़ी कक्षाओं में आ गए हैं उनकी पढ़ाई का विशेष ध्यान भी रागिनी ही रखती है।इन दिनों नमन भी अन्यमनस्क सा रहने लगा है।कोई भी टोका टाकी पर खीझने लगता है।बात ही नहीं सुनता।
सुनिए नमन के डॉक्टर से बात कर लीजिए रागिनी ने चिंता से कहा।
क्या बात करनी है रागिनी मन्मथ ने फाइल में सिर घुसाए हुए पूछा।
याद है पिछली बार जब हम डॉक्टर के पास गए थे तो वे काफी चिंता कर थे ।दवाई भी चेंज की थी उन्होंने दो माह बाद फिर आने बोला था।अब यहां से जाने के बाद इतने अच्छे डॉक्टर कैसे मिलेंगे यहां तो तबियत फिर भी संभल जाती थी ।मुझे भी ध्यान देने का समय मिल जाता था वहां तो दूसरों के काम करने में ही सारा समय निकल जाएगा. .. रागिनी धीमे स्वरों में अपने मन की अकुलाहट खोलती जा रही थी।
मन्मथ सब सुन भी रहा था समझ भी रहा था। उसे अपनी समझदार पत्नी पर पूरा भरोसा था।वह समझ रहा था कि अपने पति बच्चों घर पर पूरी तरह ध्यान केंद्रित रखने वाली उसकी पत्नी अपने इस ध्यान के विकेंद्रीकरण हो जाने की आशंका से दुश्चिंताओं में घिर गई है।
रागिनी ज्यादा मत सोचो घर ही तो जा रहे हैं मैं तुम्हारा साथ दूंगा।शुरुआती समय में हो सकता है कठिनाइयां आएं लेकिन मुझे तुम पर भरोसा है जैसे तुमने यहां इस अजनबी शहर में आकर भी हम सबका इतना ध्यान रखा घर बाहर सबसंभाला वहां अपनों के बीच भी धीरे से सब सहज हो जाएगा ठीक हो जाएगा।और अगर कोई परेशानी आएगी तो घर में सबके साथ बैठ कर बता कर रास्ता निकाल लेंगे हंसकर मन्मथ ने कहा तो रागिनी के चेहरे पर भी हल्की से मुस्कान आ गई लेकिन उसका मन अब भी दुविधाग्रस्त था।
जाने का दिन आ ही गया ।उनके घर पहुंचते ही सासू मां ने दरवाजे पर पानी उतार कर सबका स्वागत किया।सभी बच्चे आ आकर चरण स्पर्श करने लगे तो रास्ते भर चुप्पी साध कर बैठने वाले नमन और नीति भी स्वयंमेव ही सबके चरण स्पर्श करने लगे यह देख रागिनी सुखद आश्चर्य से भर गई ।
जेठानी की बड़ी बेटी दीप्ति ट्रे में तरह तरह के पकवान सजा कर लाई तो नीति आश्चर्य चकित रह गई।उनके घर में तो ये सभी काम नौकर ही किया करते थे।
ये लो नमन तुम्हारी फेवरेट आइसक्रीम दीप्ति ने लाड़ से कहा तो नमन खुश हो गया।
आपको कैसे पता दीदी मेरी पसंद लपक कर आइसक्रीम लेता हुआ पूछ बैठा।
अरे छोटे भाई के बारे में दीदी को पता नहीं होगा तो किसे होगा पगले दीप्ति ने दुलार से कहा तो नमन निहाल हो गया।
नमन आओ तुम्हे एक मस्त चीज दिखाएं कहता देवर का बेटा धवल उसका हाथ पकड़ कमरे ले जाने लगा तो रागिनी ने रोकना चाहा था ।रागिनी को डर था नमन कुछ उल्टा सीधा ना बोल जाए लेकिन मन्मथ ने इशारे से उसे मना कर दिया।
रागिनी दी आपने तो कुछ खाया ही नहीं इतनी दूर से यात्रा करके आ रही हैं भूख नहीं लगी देवरानी रूनी ने कचौड़ी की प्लेट बढ़ाते हुए कहा तो रागिनी असमंजस में पड़ गई।
तभी नमन के जोर जोर से हंसने की आवाज सुन कर चकित रागिनी तेजी से उसके कमरे की तरफ दौड़ पड़ी।
बड़ी मम्मी नमन तो बहुत अच्छी बातें करता है धवल ने उसे देखते ही कहा।
रागिनी ने नमन को इतना खुश आज तक नहीं देखा था।खुल के हंस रहा था उसका बेटा जिसे लेकर वह सबसे ज्यादा चिंतित रहती थी तरह तरह की दवाएं खिलाती रहती थी।
मां देखो धवल भैया ने मेरा सारा होमवर्क मिनटों में पूरा करवा दिया वो भी एकदम सही सही अब मैं आपसे बिल्कुल नहीं पढूंगा।और आगे के प्रश्न भी समझा दिए जो मेरी टीचर से भी अभी नहीं बनते हैं जोर से हंसकर उसने कहा तो रागिनी भी खिल कर हंस पड़ी।नमन का ऐसा मजाकिया अंदाज आज वह पहली बार देख रही थी।कितनी जल्दी वह धवल दीप्ति सोनू और चिंकी के साथ घुल मिल गया था कि मां को भी भूल गया था।
रागिनी ने गहरी सुकून की सांस ली।
मां लो चाय पियो मैने बनाई है दीप्ति दीदी की सहायता से तभी नीति चहकती हुई आ गई।उसके हाथ में कायदे से ट्रे पकड़ी हुई थी जिसमें चाय के कप थे।
दीदी लाइए मैं करवा देती हूं आपके साथ रागिनी ने जल्दी से किचेन में पहुंचकर जेठानी से कहा तो वह मुस्कुरा दीं।नहीं रागिनी अभी तुम थक कर आई हो सभी का नाश्ता हो गया है और अब किचेन में कुछ काम भी नहीं है।
हां रागिनी क्योंकि आज का डिनर बाहर से आएगा सबकी अपनी अपनी पसंद का।आप भी ऑर्डर दे दीजिए रूनी ने पीछे से उसके गले में हाथ डालकर कहा तो रागिनी फिर चकित हो गई।
डिनर बाहर से आएगा!! मां पिता जी बाहर का खा लेते है? वे लोग तो परहेज करते थे ना।
अरे ना बहू कैसा परहेज अभी इतने भी बूढ़े नहीं हुए हैं सासू मां ने चुहल की तो पिता जी भी पीछे नहीं रहे अरे हां कभी कभी तो तुम्हारी मां के हाथ के बेस्वाद खाने से आजादी मिल पाती है कह ठहाका लगाने लगे।
बेटों की मां – शिप्पी नारंग : Short Hindi Inspirational Story
देख बहू तू किसी प्रकार की चिंता मत करना।वहां जो काम तू अकेली करती थी यहां सब बाँट कर कर लेंगे जा तू अपना जरूरत का सामान व्यवस्थित कर ले गाड़ी आ गई है सामान लेकर फिर बात करते हैं मां ने मुस्कुरा कर कहा ।
चलिए चाची मै भी आपके कमरे तक साथ चलती हूं दीप्ति साथ में चलती हुई बोल पड़ी।
ये रहा आपका कमरा और बगल वाला हाल हम सब बच्चों का कमरा बन गया है दीप्ति बता रही थी और रागिनी देख रही थी उसके कमरे में जरूरत की सभी वस्तुएं पहले से ही मौजूद थीं।दीप्ति ने फुर्ती से रागिनी का बाकी सामान भी जमा दिया ।चाची अब आप थोड़ी देर आराम कर लीजिए कहती दरवाजा बंद करती चली गई थी।
इतना ख्याल उसका भी हो सकता है सोचती रागिनी बिस्तर पर लेट गई।गहरी नींद लेने के बाद रागिनी झटके से उठी तो बगल वाले कमरे से खिलखिलाहट की तेज आवाज सुनाई दी।
पहुंच कर देखा तो देवर भी सब बच्चों के साथ मजे कर रहे थे।बड़ा सा केरम रखा था सामने।
मन्मथ तुम चिंता मत करो अपने ऑफिस जाओ वहां के काम देखो मैं दोनों बच्चों का एडमिशन करवाने जाऊंगा ….मन्मथ पिता जी के साथ अपने ऑफिस की कोई समस्या डिस्कस कर रहा था और जेठ जी नमन और नीति की टीसी लेकर कल एडमिशन के लिए जाने की चर्चा कर रहे थे।
अचानक रागिनी को यूं महसूस हुआ मानो वह कितनी निश्चिंत हो गई है उसके सिर से दुश्चिंताओं का बोझ एक झटके से हट गया था।नमन कितना सहज दिख रहा था उसकी पढ़ाई की चिंता ट्यूशन की चिंता सब तिरोहित हो गई थी।मन्मथ आज एक अरसे के बाद प्रफुल्लित दिखाई पड़ रहे थे।नीति भी कितनी घुल मिल गई है।इस उम्र में बराबरी के बच्चों का स्नेह भरा साथ बच्चों में सुरक्षा और आत्मविश्वास का भाव भर गया था।
आपने अपनी बीपी की दवा ले ली घड़ी देखते हुए रागिनी पूछ बैठी।आज बहुत लेट हो गए।
नहीं बहू मैने दे दी थी।मैं भी वही दवा लेता हूं जो मन्मथ लेता है पिताजी ने कहा तो रागिनी का दिल भर आया।पिता का स्नेह मां का दुलार घरवालों का अपनत्व इतना जादू भरा होता है महसूस कर रही थी बह।
संयुक्त परिवार के भी कितने लाभ हो सकते है आज पहली बार इस तरफ उसका ध्यान गया था।
बहू तुम देखना कल से मेरे साथ वॉक पर जाएगा और एक महीने के अंदर इसकी बीपी की दवा बंद करवा दूंगा पिताजी हंसकर कह रहे थे ।
मन्मथ रागिनी की तरफ मुस्कुरा कर देख रहा था मानो कह रहा हो मैने तो पहले ही कहा था घर ही तो जा रहे हैं इसमें क्या परेशानी..!!
संयुक्त परिवार#
लतिका श्रीवास्तव