“गले पडना” – ‌ पूजा शर्मा : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : घर में घुसते ही राकेश ने मालती को बताया कि  वैशाली कुछ दिन के लिए हमारे घर रहने आ रही है उसके सामने कोई तमाशा मत करना,  मम्मी पापा तो रहे नहीं अब उसके पास हमारे सिवा कौन है मायके के नाम पर, मैंने उसे बताया था कि तुम्हारा  पथरी का ऑपरेशन होना है डॉक्टर ने बोला है जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी करा लो,  तुमसे मिलने के लिए ही अपने बच्चों को सास ससुर के पास छोड़कर वह यहां आ रही है,  तुम्हारी बहुत चिंता कर रही थी वह,  शायद इसीलिए खुद को रोक नहीं पाई आने से।  मालती रसोई में से अपने पति के लिए चाय बनाकर ले आई और कहने लगी।

सर्दियों में भी आपकी बहन को चैन नहीं,  मुंह उठा कर चली आती है रहने के लिए ,गर्मियों की छुट्टियो तक तो ठीक है लेकिन इतनी ठंड में मुझसे तो अपने ही घर का काम सही से नहीं होता मैं कैसे उनकी जिम्मेदारी उठा सकती हूं । उन्हें तो पता भी है मेरी तबीयत ठीक नहीं रहती, खुद के घर तो काम वाली भी लगी हुई है यहां तो सारा काम ही अकेले करना पड़ता है अब तो डॉक्टर ने भी  साफ-साफ ऑपरेशन करने को बोल दिया है उसमें ही कितने पैसे चाहिए ,

जाने कैसे कैसे पैसों का इंतजाम हो पाएगा, कुछ दिन पहले ही तो इतने पैसे अंशुल के इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला कराने में लगे थे।  अब तो मैं भी कपड़े नहीं सिल पाती हूँ,  बहुत देर तक बैठा नहीं जाता।सबको मना कर दिया है मैंने। अम्मा खुद तो दुनिया से चली गई और तुम्हारी बहन की जिम्मेदारी भी मेरे गले पड़ गई।  पहले उनकी पेंशन आती थी तो थोड़ा बहुत गुजारा चल जाता था। देखो मालती तुम चिंता मत करो मैं सब पैसों का इंतजाम कर लूंगा बस तुम अपना ध्यान रखो और मेरी बहन के साथ भी अच्छी तरह से रहना, 

वह कुछ लेने के लिए नहीं, तुमसे मिलने के लिए ही यहां पर आ रही है। मालती बिना कुछ कहे ही रसोई की तरफ  खाली कप उठाकर चली जाती है। राकेश भी मन ही मन काफी परेशान था,  एक छोटी सी बर्तन की दुकान ही तो है उसकी,  पिताजी की सरकारी नौकरी होने की वजह से उसकी मां की पेंशन आती थी जिससे घर का खर्चा अच्छी तरह चल जाता था लेकिन उनके मरने के बाद घर की आर्थिक स्थिति थोड़ी सी  डावांडोल हो गई थी।

क्योंकि उसने अपने बेटे का भी प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन करा दिया था। मालती भी कपड़ों की सिलाई किया करती थी। अगले दिन वैशाली आ जाती है और अपने भाई भाभी के गले लगकर मिलती है। थोड़ी देर उसके पास बैठने के बाद मालती  चाय  नाश्ता लेकर आ जाती है। चाय पीने के बाद वैशाली अपने बैग से कुछ खाने-पीने का सामान निकाल कर मेज पर रख देती है और फिर अपने पर्स में से  साठ हजार रुपये अपने भाई के हाथ पर थमाती हुई कहती है 

भैया आप डॉक्टर से जल्दी ही  भाभी के ऑपरेशन की डेट ले लीजिए घर की परेशानियां मुझसे छुपी हुई नहीं है,  मम्मी और दिनेश जी ने ही मुझे यहां पर पैसे देकर भेजा है और ये भी कहां है कि तुम अपने मायके में जब तक तुम्हारी भाभी बिल्कुल ठीक नहीं हो जाती तब तक रह सकती हो बच्चों की बिल्कुल चिंता मत करना मुसीबत के समय भाई-बहन ही एक दूसरे के काम नहीं आएंगे तो रिश्तो का फायदा क्या है ।

  वह जबरदस्ती अपने भाई के हाथ पर उसके मना करने के बाद भी पैसे रख देती है। मालती की आंखों में आंसू आ जाते हैं उसे खुद पर बहुत शर्मिंदगी महसूस हो रही थी।  वैशाली उसके आंसू पोछते हुए कहती है भाभी आप कोई चिंता मत कीजिए सब ठीक हो जाएगा। मालती के आंसुओं में उसके मन की सारी कड़वाहट धुल गई थी। वह अपने पति से भी आंख नहीं मिला पा रही थी।

         ‌   ‌ पूजा शर्मा

                स्वरचित

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