फ़र्क – अविनाश स आठल्ये : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : शाम के साढ़े सात बजे के तकरीबन वक़्त हुआ होगा, सूरज के धुँधलके को हटाकर अंधेरे ने अपनी चादर ओढ़ना प्रारंभ कर दिया था।मुज़फ्फरपुर में कपड़ों के लिये प्रसिद्ध “हीरा मार्केट” में रंजना आज राखी की खरीदारी के लिए नये कपड़े लेने निकली थी । बढ़ते हुये अंधेरे की वजह से रंजना चिंतित हो रही थी..

कपड़ों की खरीदारी करने के बाद उसने ऑटो रिक्शा की तलाश के लिये सड़क के चौराहे पर खड़े 3-4ऑटो चालकों से बात की..अव्वल तो उनके मुँह से आती शराब की दुर्गंध ऊपर से दुगने से ज्यादा किराया मांगें जाने से नाराज़ रंजना ने पैदल ही उस मार्केट से घर तक जाने का निश्चय किया।

सड़क मार्ग पर यहाँ वहाँ बाईक लहराकर आवारागर्दी करते लड़कों से बचनें के चक्कर में रंजना ने अपने घर तक की लगभग 3 किलोमीटर की सीधी सड़कमार्ग की घर तक की दूरी तय करने की बजाय अंदर की गलियों से लगभग ढाई किलोमीटर का पैदल चलना ज्यादा बेहतर समझा..

अभी 3 माह पूर्व ही तो रंजना के पति सुभाष का तबादला हुआ था पटना से मुजफ्फरपुर, उसे अब तक ठीक से सारे रास्ते भी नहीं पता थे। रंजना के पड़ोसियों ने ही बताया था कि शाम सात बजे के बाद मुजफ्फरपुर में महिलाओं का घर से बाहर निकलना कितना असुरक्षित है।

मार्केट से दूर निकलते ही स्ट्रीट लाइट की रोशनी भी कम होती जा रही थी, रंजना तेज तेज़ कदमों से अपने घर की तरफ़ बढ़ने लगी, तभी उसने महसूस किया कि कोई हेलमेट लगाये बाइक सवार उसका धीरे-धीरे पीछा कर रहा है..रंजना ने सशंकित होकर धीरे से पीछे मुड़कर देखा तो उसका शक सही था..

वह बाइक सवार उसके पास तक आकर बोला “अरे मैडम”… रंजना को न जाने क्या सूझी वह उस बाइक सवार से पीछा छुड़ाने के चक्कर में तेजी से चलकर सामने वाली उस तंग गली में घुस गई जहां बीच में सीवर लाइन की खुदाई की वजह से उस बाइक सवार का आना असंभव था..

जैसे ही रंजना को पीछे से बाइक सवार की बाइक की हेडलाइट की रौशनी आना बंद हुई, रंजना ने राहत की सांस ली..चलो पीछा छूटा..उस मवाली से..

रंजना की यह राहत की सांस लिये बमुश्किल मिनट दो मिनट ही हुये होंगें कि एक नई आफ़त उसके सामने खड़ी थी..उस गली में ही अंधेरे का फ़ायदा उठाकर गांजा फूँकते 4-5 वहशियों की नज़र अकेली घबराई हुई सी रंजना पर पड़ गई, वह सब हवस भरी नज़रों से रंजना के पीछे उसे पकड़ने को दौड़े..

रंजना किसी तरह वापस भागकर गली के उसी तरफ आ गई जहां से वह अंदर गई थी..

मग़र आज रंजना की परेशानी खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही थी…

वह बाइकसवार लड़का अब भी वहीं खड़े होकर शायद रंजना के निकलने की राह देख रहा था…

रंजना को आता देखकर वह युवक तेजी से अपनी बाइक स्टार्ट करके बोला.. “मैडम सुनिये तो ज़रा…”

मग़र दहशत से भरी रंजना कहां कुछ सुनने वाली थी..वह तेज़ी से लगभग दौड़ते हुये एक मकान के पास यूँ खड़ी हो गई जैसे वह उसका खुद का मकान हो.. और घबराहट में अपने पति को फोन करने लगी .. मग़र यह क्या..उसके मोबाईल में तो सिग्नल ही नहीं आ रहें थे..

अपने मकान के बाहर एक सुंदर महिला को देखकर उस मकान का स्वामी एक अधेड़ पुरूष बाहर आकर रंजना के यौवन पर हवस भरी नज़र डालकर बोला.. यहां बाहर क्यों खड़ी हैं आप..अंदर आइये न हम बात करतें हैं।

अब तक वह बाइक सवार भी पीछा करते करते उस घर तक पहुंच गया था।

रंजना के लिये इधर कुंआ उधर खाई वाली स्थिति थी..

अब तक वह अधेड़ पुरुष हिम्मत बढाकर रंजना का हाथ पकड़कर उसे अंदर खींचने का प्रयास करने लगा, उसे लगा कि वह हेलमेट धारी युवक यदि इस कृत्य में उसका साथ दे दे तो वह अपनी लूट में उस युवक को भी हिस्सा दे सकता है।

रंजना ने हिम्मत जोड़कर पूरी ताकत से उस अधेड़ को धक्का दिया, और एक बार फिर से अपने घर की दिशा में तेजी से निकल पड़ी, वह निश्चित कर चुकी थी कि यदि इस बार फिर से वह मवाली उसके क़रीब आया तो उसे जोर से धक्का देकर गिरा देगी।

★★

रंजना की आशानुरूप ही वह युवक एकबार फिर से धीरे धीरे बाइक चलाते हुये रंजना के करीब आया और बोला अरे मैडम सुनिये तो..

रंजना अब तक प्रतिकार के लिये ख़ुद को तैयार कर चुकी थी.. वह दहाड़कर उस युवक से बोली..कौन हो तुम? मेरा पीछा क्यों कर रहे हो? अगर अब पीछा किया तो मैं पुलिस को बुला लुंगी कहकर रंजना ने उसे डराने के लिए मोबाईल फोन निकाला..

अब वह युवक हेलमेट निकालते हुये सहमकर बोला “अरे दीदी” आपने मुझे नहीं पहचाना क्या..? मैं तुषार वर्मा हूँ, पटना में आपका स्टूडेंट था, आपने ही तो मुझे क्लास 9th और 10th में मैथ्स पढ़ाई थी। अब मैं मुजफ्फरपुर में जॉब लगने की वजह से शिफ्ट हुआ हूँ… मैं तो आपको देखते ही पहचान गया था, मैं इतनी देर से आपको मैडम मैडम कहकर आवाज दे रहा था और आप सुनकर रुक ही नहीं रहीं थीं। आप यहाँ कैसे? और मुझसे डरकर क्यों तेजी से भाग रहीं थी?

तुषार की बात सुनकर रंजना ने राहत की सांस ली उसे वह तुषार घने अंधेरे में प्रकट किसी देवदूत की तरह लगने लगा..उसे याद आया 8 वर्ष पहले तक वह पटना में ही एक प्रसिद्ध निजी स्कूल में गणित की अध्यापिका थी, उसके पढाये कई छात्र अब भी धीरे-धीरे सोशल मीडिया एवम सह अध्यापकों के माध्यम में पुनः सम्पर्क में है।

रंजना ने कहा कि उसके पति का यहाँ तबादला होने की वजह से वह अभी ही मुजफ्फरपुर शिफ्ट हुई है।

★★★

अच्छा चलिए दीदी मैं आपको आपके घर तक छोड़ देता हूँ, यहाँ रात में अकेले घूमना महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं है तुषार ने कहा।

रंजना के विश्वास के साथ तुषार की बाइक पर बैठते ही, तुषार ने उसके घर का पता पूछकर अपनी गाड़ी उस तरफ बढा दी..

एक बात पूछुं दीदी, मैं तो आपका स्टूडेंट था, आपको हमेशा अपनी बड़ी दीदी ही समझा था आप मुझसे डरकर इतनी तेजी से यहाँ वहाँ क्यों भाग रहीं थी, और यह पुलिस की धमकी क्यों?

रंजना ने तुषार को हल्की सी चपत लगाते हुए कहा, नालायक.. यदि तू मुझे पहले ही मैडम की जगह “दीदी” कह देता तो मैं इतनी मुसीबत में कभी नहीं पड़ती, तू यह मैडम और दीदी का “फ़र्क” कभी नहीं समझ सकता क्योंकि तू एक पुरुष हैं।

संकट के समय कोई भी स्त्री किसी अपरिचित पुरुष द्वारा “बहन” शब्द सुनकर जितना सुरक्षित महसूस करती है, उतना कोई अन्य शब्द नहीं है।

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अविनाश स आठल्ये

स्वलिखित, सर्वाधिकार सुरक्षित

श्रीमती संध्या त्रिपाठी

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