एक ठंडी रात – सुधा जैन

“स्माइल प्लीज” फोटोग्राफर ने दिवाकर, उसकी पत्नी सुजाता बेटे रेयांश और बहन नेहा से कहा । सभी मुस्कुराने  लगे और फोटो क्लिक हो गया ।उसके बाद फोटोग्राफर ने कहा” चलो अब आपका एक फैमिली फोटो हो जाए” नेहा फैमिली फ्रेम से दूर हो गई ….मैं सोचने लगा क्या बहन  फैमिली की फ्रेम में नहीं आती है? मैंने नेहा को पास बुला कर कहा नेहा” मेरी फैमिली में तुम भी हो”वह मुझे प्यार से देख कर मुस्कुराने लगी। मैं सोच रहा था ‘जब एक मुस्कान से फोटो अच्छी आ  सकती है ,अगर हम जीवन भर मुस्कुराए तो जीवन कितना अच्छा हो।

नेहा मेरी छोटी बहन है। मुझ से 2 वर्ष छोटी है। मैं 36 का हूं ,और वह 34 वर्ष की है।

हम मेले का आनंद ले रहे थे। फोटो सेशन होने के बाद सुजाता ने चूड़ियां ली। नेहा को कहा” दीदी आप भी पसंद कर लो “

नेहा बोली “भाभी मैं चूड़ियां कहां पहनती हूं, मैं तो सिर्फ कड़े ही पहनती हूं”

नेहा इन दिनों बहुत उदासी और नीरस जिंदगी जी रही है ,इसका कारण यह है कि नेहा की शादी होते होते रुक गई। शादी के 15 दिन पहले ही लड़के वालों ने दहेज की मांग कर दी ,जो हम पूरी नहीं कर पा रहे थे, और नेहा ने सब कुछ समझ कर स्वयं इस विवाह को ना करने का फैसला ले लिया था।

मां इस बात से बहुत दुखी हुई और नेहा के लिए की शादी के सपने लिए इस दुनिया से विदा हो गई। नेहा को शादी से नफरत हो गई थी ,इसलिए अब हमारे घर में उसकी शादी की बात नहीं होती। मेले से हम सब शाम को घर आ गए।

अगले दिन हमारा कॉलेज का एलुमनी प्रोग्राम था ।सारे दोस्त इकट्ठे होने वाले थे। मैं सुबह तैयार होकर जा रहा था, तब नेहा ने मुझसे कहा” क्यों भाई वहां पर देव भी आएंगे क्या ?

कहते हुए उसकी आंखों में एक सूनापन था। मैंने बोला “हां जरूरआएगा”

देव”

मेरा बचपन का दोस्त हम सब साथ में खेले पढ़ें। देव का मेरे घर पर  निसंकोच आना जाना था। मम्मी और नेहा जब भी घर पर कुछ अच्छा बनता, देव को जरूर खिलाते ।देव को देखकर नेहा खुश भी हो जाती, जब हमारा ग्रेजुएशन हो गया, तब देव ने कहा” मैं आगामी पढ़ाई के लिए अमेरिका जा रहा हूं”।


समय गुजरता रहा ।मेरी शादी हो गई ,, देव की शादी हो गई पर नेहा के जीवन में उदासी थी।  आज जब  एल्यूमिनी पार्टी के दौरान मेरा देव से  मिलना हुआ, उसके चेहरे पर एक अजीब सी उदासी थी ।वह मेरा बचपन का दोस्त था ,मैंने उसका हाथ अपने हाथों में लेकर कहा” क्या बात है? -तुम्हारे चेहरे की रंगत क्यों बिगड़ी हुई है? जब उसने बताया कि मेरा डाइवोर्स हो चुका है, सुनकर मुझे बहुत  बुरा लगा।

रात को मैं घर आ गया, और सो गया। सुबह नेहा मुझसे पूछ रही थी “भाई देव आए थे क्या? कैसे हैं?

मैंने नेहा से बोला ” देव का डाइवोर्स हो गया,” सुनकर नेहा की आंखों में आंसू आ गए। शाम को जब मैं रेयांश को होमवर्क करा रहा था, तब पेंसिल के लिए नेहा के रूम में गया। उसकी किताबों के बीच में एक पत्र पढ़ा था, और पत्र पर देव और नेहा दोनों के नाम लिखे थे। मैं अपने आप को रोक नहीं पाया, और उसे पढ़ा। देव ने लिखा था” नेहा ,मैं तुमसे प्यार करता हूं, लेकिन यह बात में दिवाकर या तुम्हारे घर वालों से नहीं कर सकता, मुझे लगता है यह विश्वासघात है,  मुझमें इतना साहस नहीं है कि मैं अपनी बात कर सकूं और दिवाकर का सामना कर सकूं, इसलिए मैं भारत छोड़कर जा रहा हूं ,मुझे माफ कर दो, पर तुम हमेशा मेरे दिल में रहोगी। “तुम्हारा देव “

यह पत्र पढ़कर दिवाकर सन्नाटे में रह गया। रात होने लगी, दिसंबर की ठंडी रात में वह छत पर चला गया। थोड़ी देर में नेहा भी वहां आ गई, अपने साथ शाल भी लेकर आई थी, बोली भाई , ठंडी रात में तुम ऊपर क्यों आ गए? मेरे हाथ में वह पत्र भी था, मैंने उसे नेहा को देते हुए कहा “मुझे कभी भी कुछ भी क्यों नहीं बताया “?प्यारी बहन “

नेहा आंखों में आंसू बहाते हुए बोली “क्या बताती भाई ?

“मुझे माफ कर दे मेरी प्यारी बहन, एक भाई होकर भी क्यों मैं अपनी बहन के मन को पढ़ नहीं पाया और देव का अच्छा दोस्त होते हुए भी देव के मन को भी क्यों नहीं पढ़ पाया”

मुझे इस बात का बहुत अफसोस है, वो भी मुझसे एक बार बोलता तो कौन सा विश्वास घात हो जाता , लेकिन कोई बात नहीं मैं अपनी भूल का सुधार अब करूंगा। मैं अपने प्रिय दोस्त देव से तुम्हारे लिए उसका हाथ मांग लूंगा,

कहते हुए उसने नेहा को गले से लगा लिया।

समझ में नहीं आ रहा था कि दिवाकर के आंखों में खुशी के आंसू थे, कि बहन की विदाई के,

ठंडी रात बहुत कुछ कह रही थी।

सुधा जैन

रचना मौलिक व अप्रकाशित

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