दोस्ती का दुश्मन – कुमुद मोहन   : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi :

सुमित और समर बचपन से साथ-साथ बड़े हुए,,पढ़ लिखकर शहर के नामी गिरामी कालेज में टीचर हो गए! 

नौकरी मिल जाने पर दोनो ने एक छोटा सा टू बेडरुम का घर किराए पर ले लिया!खाना बनाने और घर की साफ-सफाई के लिए एक नौकरानी रख ली!

दोनो दोस्त अपनी नौकरी और घर में मस्त रहते!

आसपास के लोग उनकी दोस्ती  पर रश्क करते!

जहां सुमित धीर गंभीर कम बोलने वाला था वहीँ समर वाचाल,मस्त ,बेफिक्र,चंचल और मजाकिया टाइप का!दोनों एक दूसरे से एकदम विपरीत होते हुए भी गहरे दोस्त थे!

सुमित के मां-बाप की रोज-रोज की लड़ाइयों से तंग आकर सुमित गृह कलह के कारण  अन्तर्मुखी हो गया था इसी वजह से कम बोलता!बस जब वो और समर साथ होते तो उसके चेहरे पर हंसी दिखाई देती! 

समर की विधवा मां पास के गाँव में रहती कभी-कभार दोनों दोस्त उनसे मिलने जाते!वह समर के साथ सुमित को भी बहुत प्यार करती!

कालेज के यूथ फेस्टिवल के दौरान सुमित की मुलाकात सुमी से हुई! सुमी एक संभ्रांत परिवार की बेटी थी,बहुत संस्कारी,सुन्दर और सुशील!

सुमी से मिलकर सुमित को लगा जैसे जैसी जीवन साथी की उसे तलाश थी,जैसी संगिनी उसे चाहिए थी सुमी शत-प्रतिशत वैसी ही है!

सुमी महिला कालेज में प्रख्याता थी अपने कालेज को रिप्रजेंट कर रही थी!

दो चार दिन के साथ में ही दोनों को लगने लगा जैसे वे एक दूजे के लिए बने हैं!

बिना किसी लाग-लपेट के सुमित ने सुमी को प्रपोज कर दिया!सुमी ने अपने मां-बाप से सुमित को मिलवा दिया!

सुमित ने सबसे पहले सुमी को समर और उसकी मां से मिलवाया यह कहकर कि मेरा असली परिवार यही है!

समर के पैर तो जैसे जमीन पर पड़ नहीं रहे थे!

ब्याह की पूरी रस्मों के दौरान वह सुमी से मजाक करता रहा!कभी कहता” मैं और सुमित दो जिस्म एक जान हैं,मैं तुम्हें भाभी कहने से रहा,मेरा भी उसी तरह ख्याल रखना पड़ेगा जैसे सुमित का रखोगी”

ब्याह हो गया समर ने अलग घर ले लिया पर उसने घर सजाने का जिम्मा सुमी को दे दिया!परदे सोफा,बेड सब सुमी ने पसंद कर दिया!

समर सुमी के बनाए खाने की तारीफ़ के पुल बांधे रहता!

समर की माँ अक्सर सुमी से कहती कि जल्दी से समर का घर भी बसवा दो!तब समर कहता सुमी!अपने जैसी लड़की दिला दो तो कल ही दुल्हा बन जाऊं ,सुमी की कोई बहन भी तो नहीं वर्ना उसी को ब्याह लाता”!

सुमी कभी कभी समर की हर वक्त की तारीफ़ें सुनकर असहज हो जाती!समर मजाक करता तो सुमी की नज़र सुमित पर जाती तो उसे लगता सुमित कह कुछ नहीं रहा पर उसे पसंद नही आ रहा!

सुमित सुमी को जी जान से प्यार करता था पर उन दोनों के बीच तीसरे की उपस्थिति उससे बर्दाश्त नहीं होती थी!

समर रोजाना ही सुमित के घर चक्कर लगा लेता था फरमाइश करके अपनी मनपसंद डिश बनवाता और घंटों सुमित और सुमी के साथ समय व्यतीत करता!उसकी तो सुमित के अलावा कोई कंपनी थी ही नहीं!

ब्याह के पहले वे छुट्टी के दिन कभी लांग ड्राइव पर कभी पिकनिक पर जाते थे!ब्याह के बाद जब समर भी उनके साथ जाता तो सुमित को बिल्कुल अच्छा नहीं लगता!प्रोग्राम बनने पर वह किसी न किसी बहाने कैंसिल कर देता!सुमी की वजह पूछने पर वह कहता कि सुमी उसे वक्त बेवक्त आने को मना कर दिया करे!इसपर सुमी कहती दोस्त उसका है वह कैसे मना करे!करना हो तो सुमित उसे न आने को कहे!

बिना किसी वजह के सुमित और सुमी के बीच अजीब सी दूरी आने लगी थी!

और तो और सुमित को लगने लगा था कहीं दोनों के बीच कुछ चल तो नहीं रहा,वह कामवाली को भी चुपके से पूछता कहीं समर उसके पीछे घर तो नहीं आता?शक का बीज सुमित के दिल में धीरे धीरे अंकुरित हो रहा था!

कई दिन से सुबह उठकर सुमी को लगता उसकी तबियत ठीक नहीं है!उसकी बचपन की सहेली रेखा गायनोकोलोजिस्ट थी पास में ही उसका क्लीनिक था 

उसने सोचा रेखा को मिल भी लेगी चेक अप भी करा लेगी!

वह आटो से गई चेक अप कराया तो पता चला वह प्रेगनेंट हैं!सुमी का तो खुशी के मारे ठिकाना नहीं रहा! रेखा ने फोन उठाकर सुमित को खबर देना चाही तो सुमी ने कहा इतनी बड़ी खुशी वह खुद सुमित को देगी!उसे बेटी का बहुत शौक है,वह बहुत खुश होगा!

क्लीनिक से निकली तो थोड़ी दूर पर देखा समर की कार खड़ी है !भरी दुपहरी में समर मेकैनिक का इंतज़ार कर रहा है!सुमी ने कहा “इतनी घूप में खड़े रहने से अच्छा है घर चलो मेकैनिक गाड़ी ठीक करके पहुँचा देगा,खाना खाकर निकल जाना”

समर आ गया !सुमी बहुत खुश नज़र आ रही थी!उसने घर आकर खाना लगवाया,समर खाना खाकर निकलने ही वाला था कि सुमित जो अपनी कोई फाईल ढूंढ रहा था घर आ पहुँचा!

समर को देखते ही उसका पारा सातवें आसमान पर जा चढ़ा!

गुस्से से उसका मुँह लाल हो गया सुमी ने पहली बार सुमित का ये रूप देखा था वह जोर से चिल्लाया”कब से ये रास लीला चल रही है!तुम दोनो डूब मरो, कमीने तूने मेरी दोस्ती का ये सिला दिया समर कि मेरा ही घर तोड़ दिया,अब सब समझ में आ गया शुरू से ही तुम्हारी नीयत खराब थी,निकल जाओ और कभी अपनी सूरत मत दिखाना”!

और सुमित ने समर को दरवाज़े से बाहर निकाल कर जोर से बंद कर दिया!

तभी उसकी नजर डाक्टर रेखा की क्लीनिक के लिफाफे पर पड़ी खोलकर देखा तो सुमी की प्रेग्नेंसी की रिपोर्ट थी!

गुस्से से सुमित की मुट्ठियां बंध गई तमतमाते हुए बोला तो उसके साथ जाकर डाक्टर के पास चेकअप भी करा आई!मैं मर गया था क्या?अब समझ में आया मेरी गैर मौजूदगी में सब क्या हो रहा था!

सुमी ने कुछ कहना चाहा पर सुमित ने हाथ उठाकर रोककर कहा बेहतर है मुझे और मेरे घर को छोड़कर जहाँ चाहो चली जाओ!तुमने मेरे प्यार और विश्वास से खिलवाड़ किया है!अब यहाँ तुम्हारी कोई जगह नहीं!और सुमित ने बेडरूम में जाकर दरवाज़ा बंद कर लिया!

सुमी अपने पिता के पास चली गई फिर अंतराल में उसे कालेज से घर अलाट हो गया!

समर की माँ सुमित के नाम समर की चिट्ठी दे गई! समर ने ख़ुदकुशी कर ली !उसने अपने और सुमी के निर्दोष होने का सबूत लिख दिया था!

सुमी के मां-बाप जानते थे सुमी और समर की कोई गलती नहीं थी!एकाध बार उन्होने सुमित को मिलने की कोशिश की पर निराशा ही हाथ लगी!

फिर पता चला सुमित लंदन चला गया!

सुमी को बेटी हुई! हूबहू सुमित जैसी!

सुमी और उसके मां-बाप ने नन्हीं सिया को बड़े लाड-प्यार से पाला!

सिया कुछ बड़ी हुई तो सुमी से पूछती सबके पापा हैं मेरे पापा कहां हैं?

सुमी कह देती नहीं हैं!

सिया ग्यारवें क्लास में आई तो उसका एडमिशन शहर के सबसे अच्छे कालेज में कराया!

सिया पहले दिन कालेज गई तो सुबह की असेम्बली के बाद स्कूल के नये प्रिंसिपल ने आगे की लाईन में खड़ी सिया को बुलाकर उसका नाम पूछा !नाम सुनते ही वह चौंक गया!

यही नाम तो उसने और सुमी ने अपनी बेटी के लिए सोचा था!

उसकी आँखें भर आई आंसू पोंछने के लिए चेहरे पर लगा मोटा चश्मा उतारा तो सिया के मुँह से पापा सुनकर स्तब्ध रह गया!सिया ने कहा उसने मम्मा के पास अपने पापा की फोटो देखी है आप बिल्कुल वैसे हो!पर मम्मा ने तो कहा था मेरे पापा नहीं हैं”सुनकर सुमित दुखी हो उठा कि सुमी के लिए मैं मर चुका हूं!

सुमित सिया को लेकर सुमी के घर आया!

सुमी के चेहरे पर चश्मा और बालों में चांदी सी चमकती सफेदी के अलावा कुछ भी नहीं बदला था!वह वैसी ही सौम्य,शांत दिख रही थी!

सुमित को देखकर उसे आश्चर्य नहीं हुआ क्योंकि नये कालेज के प्रिंसिपल के बारे में वह जान चुकी थी!

“अंदर आने को नहीं कहोगी?सुमित नार्मल होने की कोशिश कर रहा था!

“आइये!”

“मुझे माफ कर दो सुमी!मैने बहुत बड़ी गलती कर दी!तुमने सिया को बताया उसके पापा नहीं हैं क्यूं?”

सिया ठंडी सांस लेकर बोली “क्या कहती कि उन्होंने मुझ पर शक किया और छोड़कर चले गए! क्या इज्ज़त रह जाती उसके दिल में आपके लिए?”

“खैर जो हुआ वो नहीं होना चाहिए था” क्या आपको नहीं लगता आपके एक बेवजह के शक ने कितनी जिन्दगियां तबाह कर दी!मुझसे मेरा सुहाग छिन गया,सिया से पिता का साया ,उसका बेहतरीन बचपन जो हम दोनों मिलकर उसे देते,समर ने जान दे दी तुमने भाई से भी बढ़कर दोस्त खो दिया और उसकी माँ बुढ़ापे में दर बदर हो गई! एक हंसता खेलता परिवार कैसे उजड़ गया कभी सोचा है,शक एक ऐसा कीड़ा है जो एक बार लग जाए सबकुछ खोखला कर तबाहकर देता है जरूरत थी उसे वहीं खत्मकर देने की”?

सुमित रोने लगा एक बार माफ कर दो अपने घर चलो,सब पहले जैसा हो जाऐगा!

पर सुमी ने कहा “आपने मेरा विश्वास तोड़ा,मेरी ज़िन्दगी तो आपसे शुरू होकर आप पर ही खत्म होती थी,आपने मेरे चरित्र पर कीचड़ उछाला,मेरा आत्मसम्मान इसे गवारा नहीं करता!आप सिया के पिता हैं,थे और हमेशा रहेंगे!मुझे माफ करें मैं अब आपको पति का दरजा नहीं दे पाऊंगी!”

कुमुद मोहन

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