दिल के जख्म – रेखा जैन : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi : रीना ने भी अन्य लड़कियों की तरह ही ससुराल के सपने देखे थे।

B.SC. करते ही उसकी शादी हो गई। वो आगे पढ़ना चाहती थी लेकिन अच्छा रिश्ता होने की वजह से उसके माता पिता ने उसकी शादी कर दी।

उसकी मां ने शादी के पहले उसके सास, ससुर, और दोनो शादीशुदा ननदों के लिए बहुत अच्छे संस्कार और शिक्षा दी थी इसलिए उसने सोच रखा था कि शादी के बाद सास को पूरा आराम दूंगी,,मैं खुद सारा काम कर लुंगी। 

पूरी जिंदगी उनके साथ ही बितानी है,,अब वो ही मेरा घर है तो सास ससुर ही अब मेरे माता पिता है। दोनों ननद ही मेरी बहने है।

उसका ससुराल इंदौर में था,उसके ससुर वहां वकील थे  और उसके पति उज्जैन में जॉब करते थे इसलिए रीना को तो उज्जैन ही रहना था लेकिन उसके दिमाग में  अलग रहने की कोई सोच नही थी क्योंकि उसके हसबैंड अपने माता पिता के अकेले बेटे थे। 

लेकिन शादी के बाद उसके सारे ख्वाबों पर कुठाराघात हो गया। ससुराल आ कर पता चला कि सास तो उसे कोई अधिकार देना ही नहीं चाहती।  रसोई में वो अपनी मर्जी से कुछ बना ही नहीं सकती थी।

वो सास को आराम कैसे देती,,सास उसे रसोई में  अधिकार ही नहीं देती थी।  रीना कुछ बनाने जाती तो वो सामने खड़ी रह कर बनवाती। रीना ने सोचा, “नई शादी है इसलिए मम्मी जी सीखा रही है।”

जब वो पति के साथ उज्जैन आई तो पता चला कि पति की तनख्वाह शादी से पहले जो बताई गई थी,, हकीकत में उससे बहुत कम है।

सास ससुर हर शुक्रवार की शाम को उज्जैन उसके यहां आते और सोमवार की सुबह इंदौर वापस जाते।  साथ में राशन, सब्जी, फल ले कर आते।  बात बात में रीना को ताना देते कि तुम्हारा घर तो हम चलाते है।

रीना सोचती रह जाती कि पति की तनख्वाह कम है,,उसमे उसकी क्या गलती है।  इन लोगो ने ही शादी के पहले असली तनख्वाह नही बताई वरना तो रीना के मम्मी पापा यहां शादी ही नहीं करते।

उसके घर पर सास ससुर जो चीज जहां जैसे रख गए हो,,वैसे ही उसी पोजिशन में जब वो 4 दिन बाद वापस आए तो मिलनी ही चाहिए। रीना को अपनी इच्छा से 1 रुपए की चीज खरीदने का अधिकार नहीं था।  सास ससुर कहते, “जो चाहिए हम ला कर देंगे” और लाने के बाद ताने दे कर उसका जीना मुहाल कर देते।

वो उज्जैन में अपने पति के साथ रहती थी लेकिन वहां सब कुछ सास ससुर के हिसाब से चलता था।  वो शुक्रवार की शाम को इंदौर से आते तो आ कर सबसे पहले घर में घूम कर देखते की वो जैसे रख कर गए थे सब वैसा ही है,,, कहीं कोई बदलाव तो नही है!!!

रीना को मायके तो जाने ही नहीं देते कि महीप (रीना का पति) को खाने की दिक्कत होगी।  रीना समझ नहीं पाती थी कि इन लोगो ने बेटे की शादी ही क्योंकि जब मुझे अपनी इच्छा से सांस लेने का भी अधिकार नही है…सिर्फ बेटे के खाने की प्रोब्लम के लिए एक फ्री कूक चाहिए थी पत्नी के रूप में।

फिर रीना प्रेगनेंट हुई और कुछ कॉम्प्लिकेशन के चलते डॉक्टर ने बेड रेस्ट कहा तो सास ससुर रुकने को तैयार नहीं हुए और ना ही रीना को इंदौर ले जाने को माने।

  रीना के मम्मी पापा उसे मिलने आए और कुछ दिन रीना की मम्मी रीना के पास रूक गई तो ससुर ने लड़ाई कर के कहा, “बेटी के यहां बेशर्म बन कर पड़े रहते हो।”

ये अलग बात थी कि उनकी दोनों बेटियों के यहां भी उनका ही राज चलता था।  उनकी दोनो बेटियां शादी के एक साल बाद ही ससुराल से अलग हो गई थी।

रीना के ससुर के लड़ाई करने की वजह से रीना की मम्मी चली गई।  मेड रखने और कुक रखने जितनी उसके पति की तनख्वाह नही थी तो मरता क्या ना करता,,,रीना ने प्रेगनेंसी में सारा काम किया।

जैसे तैसे भगवान की दया से दिन निकल गए।  रीना को उसकी सास ने डिलीवरी के लिए मायके भेज दिया।

तब उनका रौद्र रूप दिखा।  रीना को सिजेरियन से बेटा हुआ लेकिन उसके स्टीचेस में इन्फेक्शन हो गया और करीब डेढ़ महीना तो स्टीचेज की ड्रेसिंग हुई।  बहुत दर्द होता था रीना को ड्रेसिंग के समय,,,इन्फेक्शन की वजह से स्टीचेज़ में दर्द भी बहुत था।  वो करवट भी नहीं ले पाती थी इतना ज्यादा दर्द था उसे।

उसी टाइम पर उसके सास ससुर कुछ मेहमानों को ले कर रीना से मिलवाने उसके मायके आए। वो आए उसके कुछ ही देर पहले कंपाउंडर रीना के स्टीचेस पर ड्रेसिंग कर गया था और रीना बहुत दर्द में थी।

 लेकिन उसकी सास उसे आ कर बोली, “तुम सभी के पैर छू कर आओ।”

रीना ने कहा, “मम्मी जी अभी मुझे ड्रेसिंग हुई है और मुझे बहुत दर्द हो रहा है,,मैं कैसे इतना झुक कर सबके पैर छू सकती हूं।  बहुत दर्द है।”

तब उसकी सास कुछ नहीं बोली लेकिन दूसरे दिन सुबह में रीना के ससुर का फोन उसके पापा के पास आया और कहा, “आपने अपनी बेटी को कोई संस्कार नहीं दिए है कि अपने से बड़ों के पैर छू ले।”

रीना के पापा ने कहा, “आज तक मेरी बेटी ने कभी ऐसी गलती नही की है लेकिन अभी उसको काफी तकलीफ है,,वो कमर से झुक नही सकती है इसलिए उसने पैर नही छुए।  फिर भी मैं उसकी तरफ से माफ़ी मांगता हुं!”

थोड़ी देर बाद रीना के पति का फोन आया और वो रीना से बोले, “तेरे सारे स्टीचेस टूटे या कमर टूटे सभी के पैर छुआ कर!”

उस दिन रीना ने अपने पापा से कहा, “पापा आपने गलत घर में मेरी शादी कर दी है।  इन लोगो के दिल में जरा भी दया नही है,,, जरा भी इंसानियत नही है,,,कैसे इंसान है ये!”

एक बार उसके हसबैंड ने उस पर हाथ उठा दिया था तो उसके सास ससुर बोले, “गलती करेगी तो मारे नहीं तो क्या करे।”

रीना के मम्मी पापा उसे वापस मायके ले जाना चाहते थे लेकिन रीना वापस मायके नही गई।  उसने अपनी पढ़ाई आगे शुरू की और जॉब करने लगी।  उसने सोच लिया कि अब वो अपने खुद के खर्चों के लिए सास ससुर पर निर्भर नहीं रहेगी।

समय गुजरता गया।  लेकिन रीना और उसके पति का रिमोट उसके सास ससुर के पास ही रहा।  वो उन दोनो की जिंदगी के सारे डिसीजन लेते रहे।  उन दोनो के बीच लड़ाई करवाना उनका प्रिय शगल था।

धीरे धीरे रीना के पति की तनख्वाह काफी अच्छी हो गई। रीना भी कमाती थी। समय ऐसे ही गुजरता रहा।

शादी के दस वर्षो पश्चात रीना के ससुर को कैंसर हो गया तो उसके सास ससुर इंदौर छोड़ कर उसके पास ही रहने को आ गए।  रीना ने भी सारी पुरानी बातें भुला कर ससुर की सेवा की। 

 उसके पति तो रीना के भरोसे ही सास ससुर को छोड़ कर टूर पर चले जाते।  रीना ही ससुर को डॉक्टर के पास ले जाती, दवाइयां लाती, कीमोथेरेपी करवाती, और घर पर भी खान पान से ले कर सभी सेवा करती।

लेकिन…लेकिन…उसके दिल के किसी कोने में पुराने जख्म कभी कभी टीस दे ही जाते थे।

  वो सब सेवा करती लेकिन इंसानियत और फर्ज के तौर पर….एक पापा के जैसा दिल में फीलिंग्स नहीं आती थी।

कुछ महीनो के पश्चात ससुर गुजर गए।  अब सास रीना के पास रह गई।  सास की अकड़ कुछ कम हुई लेकिन पूरी तरह से खत्म नहीं हुई।  वो रीना से खींची खींची रहती थी।  

कुछ वर्षों पश्चात रीना की सास के घुटनों का ऑपरेशन करवाया।  उनकी भी रीना ने पूरी सेवा की।  सास को एक महीने तक रीना ने नहलाया,  दिन में तीन बार एक्सरसाइज करवाती, दो महीनो तक बिस्तर में ही चाय, दूध, खाना, नाश्ता देती, हर संभव सेवा की उसने। 

 लेकिन …लेकिन अपना फर्ज समझ कर,,,,दिल में प्यार की भावना नहीं आई।

एक दिन उसकी सास से बेड से नीचे कुछ गिर गया तो उसने रीना को वो चीज उठा कर देने को कहा।  तब रीना ने उठा कर दे दिया लेकिन  कहा, “मम्मी जी आपने क्यों नही उठाया,,थोड़ा सा ही तो झुकना था।”

उसकी सास ने जवाब दिया, “मुझे घुटनों में ऑपरेशन हुआ है और मुझे कितना दर्द है तुझे क्या पता,,,मैं कैसे झुक सकती हुं।”

तब रीना ने आखिर इतने वर्षो बाद जवाब दे ही दिया, “मम्मी जी मुझे भी बेटे के समय पेट पर ऑपरेशन हुआ था और मुझे तो स्टीचेज में इन्फेक्शन भी हो गया था और आपने मुझसे पैर छुवाने के लिए कितनी लड़ाइयां करवाई थी,,,अब तो आपको एहसास हुआ होगा कि मैं भी कैसे झुक सकती थी उस समय।”

तब उसकी सास चुप हो गई।  उसके हसबैंड भी पास में ही खड़े थे,,,उनका चेहरा भी उतर गया।

उसके बाद तो उसकी सास की दो बार एंजियोप्लास्टी हुई,,रीना ने भरपूर सेवा की, सास को कोरोना हुआ तो रीना मास्क लगा कर उनके कमरे में जाती झाड़ू पोछा करना, दवाइयां देना सब कुछ किया।

लेकिन बस बात वही की एक फर्ज जो निभाना है यही समझ कर उसने किया,,, सास के लिए मां के जैसी भावना और प्यार कभी नही आया।

अधिकांश लड़कियों के साथ यही होता है ,,,, शादी के शुरुआती दिनों में जब वो अंजान लोगो के बीच ससुराल आती है तो उनको ससुराल वालो के प्यार और साथ की सख्त जरूरत होती है लेकिन उस वक्त ससुराल वाले सोचते है कि लड़की आ कर तुरंत ही उनके घर के सब रीति रिवाज, नियम कायदे सिख जाए।  प्यार की जगह वो उसके साथ सख्ती से पेश आते है। 

वो ये भुल जाते है कि ससुराल आने से पहले वो अपने माता पिता की दुलारी अल्हड़ बच्ची ही थी,,,एक दिन में कैसे बड़ी हो जाएगी!  और शुरुआती दिनों की ये नफरत लड़की के दिल में घर कर जाती है।

लड़की तो धीरे धीरे ससुराल में सेट हो जाती है लेकिन उसके दिल से शुरुआती दिनों की नफरत नहीं जाती है।

लेकिन कुछ वर्षो पश्चात सास ससुर बूढ़े होने पर बहु पर डिपेंड हो जाते है तब बहु के दिल में वो ही भरी नफरत बाहर आती है,,”जब मुझे इनके प्यार और साथ की जरूरत थी तो इन्होंने मेरे साथ कैसा व्यवहार किया था फिर अब मैं क्यों करूं?”

और बहु दुनिया की नजर में बुरी बन जाती है क्योंकि दुनिया की नजर में तो बूढ़े बुजुर्ग बेचारे होते है लेकिन सच ये है कि कई बार अपनी हालत के जिम्मेदार वो खुद होते है।

हर लड़की रीना की तरह नहीं होती कि अपने जख्मों पर मलहम लगा लेती है। कुछ लड़कियां जख्मों को नासूर बना लेती है।

#ससुराल

रेखा जैन

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