दिखावा – खुशी : Moral Stories in Hindi

रीता और गौरव दोनों बैंक में काम करते थे। बार बार ट्रांसफर होने के कारण रीता को कभी ससुराल में रहने का मौका नहीं मिला।उसे बड़ा लगता मै भी अपनी देवरानी, जेठानी और सास के साथ रहती।नौकरी के कारण वो कभी त्यौहार वार पर ही ससुराल जा पाते। फिर उसे लगता उसके साथ मेहमानों वाला है व्यवहार किया जाता है।

रीता के दो बच्चे थे पलक और गर्व दोनो बच्चों को भी दादी के यहां बड़ा सुहाता क्यों कि सब  भाई बहन मिल जाते तो त्योहारों का मजा दुगना हो जाता। समय बीता बच्चे बड़े हो गए पढ़ लिख कर नौकरी पर लग गए।पलक की शादी उसी के साथ काम करने वाले राजीव से हुई दोनो ही एम एन सी में नौकरी करते थे। इसलिए वो बैंगलोर में रहते थे।

गर्व सरकारी नौकरी में था। तो उसके लिए लड़की देखी जाने लगी।रीता को यही डर था कि कही इनकी भी ट्रांसफर होती रही तो मै बेटे बहु के साथ भी नहीं रह पाऊंगी। फिर ढूंढ देख परखकर पायल को गर्व के लिए पसंद किया गया।पायल का अपना बुटीक था रीता खुश थी कि चलो बहु तो ट्रांसफर वाली नहीं हैं।गौरव ने बहुत सुंदर दो मंजिला मकान बनाया था,

रीता तो कहती एक मंजिल ही रहने देते हैं, गौरव कहता तुम ससुराल में नहीं रही हो क्या पता कल बहु से ना निभै तो हम नीचे और वो ऊपर सही है कम से कम सामने तो रहेंगे।रीता कहती चलो भी मै अपनी बहु से बनाकर ही चलूंगी उसे कोई कमी नहीं रहेगी। पायल और गर्व की शादी हुई।सब मेहमान आए हुए थे

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सास, जेठानी,देवरानी और ननद सब रीता को छेड़ रहे थे पहली बार सास बनी हो सास के गुण सीख लो क्योंकि तुम्हे तो पता ही नहीं सास के साथ कैसे रहते हैं।रीता को बुरा लगा नौकरी के कारण ही तो हम दूर रहे नहीं तो मुझे क्या शौक था।बहु आने पर सारी रस्में निभाई गई। तब रीता पायल को बोली बेटा तुम थोड़ा आराम कर लो।

पायल भी यही चाहती थीं क्योंकि वो थक गई थी। पलक पायल को ऊपर ले आई और बोली भाभी ये मां ने आपके लिए रखा है।पायल ने खोल के देखा तो उसमें नाइट सूट था और एक स्लिप थी नहाकर इसे पहन कर सो जाना।अलमारी में सूट रखा है और साड़ी भी तुम्हे जो कंफर्टेबल हो वो उठ कर पहन लेना

।1: 30 बजे तक उठ जाना फिर सब खाना खाएगे।पायल अपनी सास की सूझबूझ से बहुत खुश हुई नहा कर आराम कर वो 12:30 बजे तक उठ गई तभी दरवाजा बजा उसने पूछा कौन रीता बोली मै हु बेटा उसने बोला मां मै बस अभी उठ कर तैयार हो रही थी।रीता बोली मै देखने आई तुझे कुछ चाहिए तो नहीं। साड़ी पहना आती हैं,

क्योंकि सारा ससुराल यहां है मै नहीं चाहती कि तुझे कोई कुछ कहे।पायल बोली जी मां मुझे सारी पहनी आती हैं।रीता ने अलमारी से उसे साड़ी और गहने निकाल दिए बोली अब तू तैयार हो जा।मै 1:30 बजे पलक को भेजूंगी तुझे लेने।पायल तैयार हुई बहुत सुंदर सारी,गहने और मेकअप का सामान उसके लिए रखा हुआ था।

पायल को लगा जैसे उसकी मां उसके साथ हो।पायल पलक के साथ नीचे आई सबने उसकी तारीफ की ।रीता बोली पलक बेटा पहले पायल को खाना देना।रीता की सास बोली क्यों री बहु सब बड़े बैठे है तू पहले पोते की बहु को खाना देने की बात कर रही हैं।हा तुझे कहा ससुराल के रिवाज पता ।रीता बोली मां वो तो मै इसलिए बोली कि बच्ची कल से भूखी है

खुद को खुश रखना सबसे बड़ी जवाबदारी है।-सुधा जैन  

शादी की तैयारियों में खाने का कहा ध्यान रहता है देखा नहीं था अपनी पलक की भी तबियत खराब हो गई थी।सास बोली आजकल की नाजुक गुड़िया तभी सबका खाने का बुलावा आया और सब लॉन में खाना खाने चले गए।डाइनिंग टेबल पर पलक , पायल और रीता थी बड़े प्यार से रीता ने पायल और पलक को खाना परोसा दोनो खाना खा रही थीं।

पायल को बहुत मनुहार से रीता खाना खिला रही थी बेटा ढंग से खाना ,खाना खा कर पायल और पलक पार्लर चली गई। पलक का पति राजेश उन्हें छोड़ने गया।रीता गर्व के पास आई बोली बेटा आराम हो गया खाना खाया तूने।गर्व बोला बहु आते ही आप मुझे भूल गई रीता बोली नहीं रे उसके लिए सब नया है

इसलिए गर्व बोला  जी मां मेरा खाना हो गया है ,तो बेटा अपनी मां को भी खाना खिलाओ गौरव बोला सबके ध्यान में अपना ध्यान मत भूलना सासूजी और वो तीनों हस पड़े।रीता ने घर सिमट वाया और वो खुद भी तैयार होने चली गई सब हॉल पहुंचे सब कुछ अच्छे से हुआ।पायल अपनी मां को रीता के प्यारे से v

व्यहवार के बारे में बता रही थी। अगले दिन सुबह रीता की सास बोली बहु कल हम सब चले जाएंगे तो तू बहु से मीठे की रसम आज ही करवा ले।रीता बोली मां अभी तो शादी हुई है फिर वो आज बाहर जा रहे हैं।सास बोली तू चाहती नहीं है कि हम तेरी बहु के हाथ का खाए रीता बोली नहीं माजी रस्म आज ही होगी

।रीता ऊपर पायल के कमरे के पास आई और दरवाजा बजाया ।दरवाजा पायल ने खोला वो तैयार थी सलीके से साड़ी पहन कर हल्का मेकअप किया था।रीता खुश हुई बोली बेटा मुझे माफ करदे तेरी दादी सास आज ही रसोई छू लाई की रस्म करना चाहती हैं क्योंकि कल वो सब चले जाएंगे।पायल बोली कोई बात नहीं मां आप चलिए।

रीता ने सब तैयारी कर रखी थी पायल आई उसने बहुत स्वादिष्ट हलवा बनाया सबने उसे नेग दिया और तारीफ की रीता ने उसे गले लगा लिया बोली तेरा ये नेग मुझ पर उधार रहा।सब मेहमान चले गए।पायल और गर्व भी घूमने चले गए।उनके जाने के बाद रीता ने गर्व और रीता का सामान अलमारियों में लगवा दिया।कमरा सेट करवा दिया।

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बच्चे वापिस आए तो घर में फिर सब तरफ शोरगुल का माहौल हो गया सबने खाना खाया तो पायल बर्तन उठाने लगी रीता बोली नहीं बेटे रहने दे। तू बैठ मेरे पास मैने तेरा कमरा और अलमारी सेट करदी । फिर भी तुझे कुछ पसंद नहीं आए तो अपने हिसाब से बदल लेना।पायल ऊपर आकर गर्व से बोली मां कितनी कूल हैं गर्व बोला हा

मेरी मां बहुत अच्छी है वो शुरू से ससुराल और भरे पूरे घर में रहना चाहती थीं पर जॉब के कारण ये पॉसिबल ना हो सका।अब गर्व ऑफिस जाने लगा।गौरव टाइम पास के लिए लाइब्रेरी में काम करते थे,पायल बुटीक तो पीछे से रीता अकेली रह जाती।पायल शाम को आकर रीता को समय देती उसके साथ घूमती,शॉपिंग करती मनपसंद का बना कर खिलाती।

जब भी पलक का या किसी रिश्तेदार का फोन आता तो वो पायल की तारीफ करती पलक उसे कहती भी की क्या मां तुम्हे अपनी बहु की अच्छाई के सामने कुछ नजर नहीं आता।रीता कहती वो है ही ऐसी पलक भी जब आती उसके बच्चों को भी वो बड़े प्यार से रखती घुमाती फिर।तो।

एक दिन शाम को गर्व और पायल आए और खाना खाने के बाद बोले मां पापा ये आप दोनों के टिकिट्स है मलेशिया के परसो निकालना है आप पैकिंग कर लीजिए।गौरव बोला अचानक ,गर्व बोला आप दोनों को साथ में वक्त बिताए कितना समय हो गया है।रीता और गौरव खुशी खुशी गए जब वो वापस आए तो घर दुल्हन की तरह सजा था।

पलक बाहर आई और बोली आप दोनों तैयार हो कर नीचे आजाएं।आपके कपड़े ऊपर निकाल कर रखे है।वो तैयार हो कर आए सब मेहमानों को देख वो हैरान थे सब ने हैप्पी बर्थडे गाना शुरू किया आज रीता का 52 वा बर्थडे था जो उसकी बहु ने उसके लिए प्लान किया था। केक काटे जाने के बाद पायल बोली मुझे आप सब से कुछ कहना है

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वो रीता का हाथ पकड़ आगे आई बोली एक मां ने मुझे जनम दिया दूसरी ने मुझे संभाला किसके प्यार के साए में तन मन मेरा रंग डाला। मेरी मां जैसी मां नहीं  जो सदा अपने ससुराल के प्यार को तरसी मै चाहती हु सब उन्हें प्यार दे और उनके प्यार की छआया को महसूस से करे।मां थैंक्यू सब चीजों के लिए आपके प्यार के लिए।

स्वरचित कहानी 

आपकी सखी 

खुशी

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