हम भी कुछ करें – कामेश्वरी कर्री

रसोई से बर्तन के गिरने की आवाज़ से राम ने अपनी आँखें खोली और देखा घड़ी की सुई सात बजे हैं दिखा रही थी । राम हड़बड़ा उठा । वह सोचने लगा कि पानी आ कर चला गया होगा अब दिन भर क्या करेंगे ? राम की नींद अभी पूरी नहीं हुई थी और बैठे बैठे ही सोचने लगा सोनल के गुजरने के बाद से वह अकेला हो गया था पर उसने दूसरी शादी भी नहीं की । अपने ही दम पर वह अपने दोनों बच्चों और पिता की देखभाल कर रहा है ।

अब तो बच्चे भी बड़े हो गए हैं । रेणुका बारहवीं कक्षा में है और राजीव इंजीनियरिंग कॉलेज में दूसरे साल की पढ़ाई कर रहा है पर अभी भी उनका बचपना नहीं गया । 

दोनों के सारे काम उसे ही करने पड़ते हैं । पापा ने कई बार कहा भी था कि बेटा बच्चों को अपना काम ख़ुद करने की आदत डालो । अकेले कितना काम करोगे ।ऑफिस की ज़िम्मेदारी घर के काम काज करते – करते उम्र से पहले ही बड़े दिखने लगे हो पर राम ने हमेशा पिता की बातों को यह कहकर टाल दिया कि पापा मेरे लिए तो वे अभी भी बच्चे ही हैं । मैं संभाल लूँगा आप फ़िक्र मत कीजिए । राजीव के चीखने की आवाज़ सुनकर उसकी तंद्रा टूटी और वह यथार्थ में आया और भागते हुए रसोई में गया तो देखा पिताजी ने पानी भर दिया था और नाश्ते की तैयारी भी कर दी थी ।



 राम ने मन ही मन पिता को शुक्रिया अदा किया और बाहर से ग़ुस्सा दिखाते हुए कहा – चलिए अपने कमरे में आपके पूरे कपड़े पानी भरने के चक्कर में भीग गए हैं । कपड़े बदल लीजिए नहीं तो सर्दी हो जाएगी ।कहते हुए उन्हें सहारा देकर कमरे में ले गया । पिताजी ने कहा – आज तो तू उठ भी नहीं पाया बेटा मेरी नींद खुल गई थी इसलिए मैंने सोचा बच्चे तो तेरी मदद करने से रहे मैं ही तुम्हारी मदद कर देता हूँ क्योंकि मुझे मालूम है कल तू ऑफिस से देर से आया था ।

बैंक में इयरेडिंग में काम बहुत होता है ।यह बात तेरे बच्चे नहीं समझते देख बेटा वे भी मेरे पोता पोती हैं । मुझे भी उनसे बहुत प्यार है पर अपने पिता की परेशानी समझकर उनकी सहायता न कर सके तो उनकी पढ़ाई का क्या महत्व रह जाएगा । राम बच्चे बहुत छोटे नहीं है कि उन्हें कुछ दिखाई नहीं देता है या समझ में नहीं आता है ।उनकी तरफ़ से वे अपने काम ख़ुद कर लें तो भी तेरे लिए बहुत मदद हो जाती है । मैंने कई बार तुम्हें समझाना चाहा कि तू दूसरी शादी कर ले पर तुमने अपने बच्चों के लिए नहीं की क्योंकि तू नहीं चाहता था कि उन्हें सौतेली माँ मिले ।

 जब वे छोटे थे तब तुमने उनका सारा काम किया ।अब वे बड़े हो गए हैं ।तुम्हारी मदद तो कर ही सकते हैं । मुझे उन्हें कुछ कहने नहीं देता और न ही ख़ुद उनसे कुछ कहता है ।अब तेरी मर्ज़ी है ।राम आगे से कभी भी इस बात पर मैं तुमसे चर्चा नहीं करूँगा क्योंकि इस बात को उठाते तुझे ग़ुस्सा आ जाता है । मुझे माफ़ कर दे पर मेरा दिल भी तो दुखता है । राम ने कहा – पापा मैं आपकी बात समझता हूँ पर राजीव को अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना है ।रेणुका को तो ससुराल में जाकर चूल्हा चौका तो सँभालना ही है । अभी तो अपना बचपन जी भरके जी ले वह ।


आप फ़िक्र मत कीजिए मैं मेनेज कर लूँगा । आप नाश्ते के लिए आ जाइए । मैं अभी बना देता हूँ ।कहते हुए वह रसोई की तरफ़ जाता है । यह क्या ? वहाँ तो पूरी रसोई एकदम साफ़ सुथरी थी । डाइनिंग रूम में आया तो देखा बच्चों ने सबके लिए नाश्ता परोस दिया था और राजीव पिताजी का हाथ पकड़कर उन्हें अपने साथ ला रहा था । पिताजी के चेहरे पर मुस्कान थी । मैंने कहा – बच्चों आपको यह सब करने की क्या ज़रूरत थी ।मैं आ ही रहा था न !!!’

दोनों बच्चों ने कहा – पापा हमने आपकी और दादाजी की बातें सुन ली थी ।

हम शर्मिंदा हैं कि हमारे मन में यह बात क्यों नहीं आई । दादा जी ने कहा कोई बात नहीं है बच्चों सुबह का भूला शाम को आ जाए तो उसे भूला नहीं कहते हैं !!!

राम ने कहा आज का काम तो हो गया है ।अब कल से अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना । इन बेकार की बातों के बारे में सोचना भी मत !ठीक है!!

दोनों बच्चों ने एक साथ कहा नहीं हम आपकी बात नहीं सुनेंगे । अब हमें भी कुछ करने दीजिए न ?

क्यों दादा जी हम भी तो कुछ करें 

सब ज़ोर से हँसने लगे कई दिनों बाद मैंने पिताजी को दिल खोलकर हँसते हुए देखा । मेरे चेहरे पर मुस्कान आ गई क्योंकि मेरे बच्चे भी अब बड़े हो गए हैं ।

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!