देवरानी-जेठानी रिश्तों की जुगलबन्दी  –  पूजा अरोरा

“अरे भाभी! मैंने तो सोचा था कि अबकी बार जब मैं आऊंगी तो आपको दोनों बहुओ से सेवा करवाते हुए पाऊंगी परंतु यह क्या यहां तो अब उलटी गंगा बह रही है दो-दो बहुओं के होते हुए” उषा ने अपनी भाभी विमला को कहा |

विमला जी बस मुस्काई मगर कुछ बोली नहीं | दरअसल गर्मियों की छुट्टियों में हर बार की तरह नन्द उषा अपनी भाभी  के घर रहने आई थी और अभी 6 माह पहले ही तो विमला भाभी के छोटे बेटे का भी ब्याह हो गया था |

दोनों ननंद भाभी गप्पे मार ही रही थीं कि बड़ी बहू माधुरी अपनी सास को पालक पकड़ा गई, “मम्मी! यह बैठे-बैठे थोड़ी सी पालक काट दो” बस इसी बात को देखकर उषा ने भाभी को फिर ताना मार दिया,

“लो जी अब सास दस मिनट खाली भी नहीं बैठ सकती क्या?”

विमला जी कुछ नहीं बोली बस चुपचाप पालक काटने लगी |

“भाभी! बुरा नहीं मानना मैं कल से आई हूँ और देख रही हूँ कहां तो बड़ी बहू के होते आपका पूरा रौब होता था अब तो छोटी बहू  शैला के आने से तो घर में कुछ बदलाव आने लगा है | सब कुछ बदला-बदला सा लग रहा है | आज सुबह तो भैया को मैंने दूध लाते हुए देखा और आपके दोनों बेटे कैसे रात को मेज से बर्तन उठाने में अपनी बीवियों की मदद कर रहे थे |” उषा विमला के कानो में फुसफुसाई |

विमला जी ने ठंडी आह भरते हुए कहा,

” तुम तो जानती ही हो माधुरी तो शुरू से ही मेरे कहे में रही जैसा मैंने कहा वैसा हुआ परंतु शैला आजकल की लड़की और ऊपर से कामकाजी भी | पता नहीं इसमें आते ही बड़ी बहू माधुरी को क्या घुट्टी पिलाई कि दोनों में इतना अच्छा संबंध बन गए कि मैं दरकिनार ही हो गई | अभी शैला को तो तुम  जानती ही हो की कितनी हंसमुख है |  शब्दों को तो ऐसे चाशनी में घोलकर बोलती है कि सामने वाला उसे ना कह ही नहीं पाता | बस मीठी बन-बन कर उसने सारे घर की सोच ही पलट दी |

“हाँ भाभी! वो तो मैं देख ही रही हूँ | कहाँ भैया ने आज तक घर काम नहीं किया था और कहाँ आज सुबह मैंने उन्हें दूध लाने के लिए थैला उठाते हुए देखा और आपने भी कुछ नहीं कहा |” उषा बोली |



“अरे वह तो शैला ने ही  आ कर घर में सब को टोकना शुरू कर दिया कि सबको अपने अपने हिस्से का थोड़ा-थोड़ा काम करना चाहिए अकेली माधुरी भाभी और मम्मी जी कब तक करती रहेंगी और पता नहीं उसकी बात में ऐसा क्या जादू था कि तेरे भैया भी अब हर रोज बाहर का काफी काम कर देते हैं पर चलो मुझे भी थोड़ा सहारा तो हो गया है, उनके इस तरीके से काम करने पर और बच्चे भी आजकल रात को काम में मदद करवाने लग गये है |” विमला जी बोली |

 

” भाभी! ध्यान रखना अभी तो सब बदलाव अच्छा लग रहा है लेकिन इन दोनों बहुओं का प्यार देख कर तो लगता है कि कुछ दिनों में  भैया और आपको एक कोने में कर देंगे और सारे घर पर इनका राज हो जाएगा | आप को दो बहुओं को रखने की अक्ल नहीं आई|  अरे कभी भी दो बहुओं को इतनी दोस्ती अच्छी नहीं होती|  बहुओं में दोस्ती होते ही सास तो दरकिनार कर दी जाती है | यदि आपको अपना राज स्थापित करना है तो तो दोनों बहनों में इतना प्यार अच्छा नहीं है |” कहते हुए उषा ने विमला जी के दिमाग में एक जहर घोल ही दिया |

” छोटी! बात तो तू सही कह रही है यह बदलाव तो मैं भी देख रही हूँ | माधुरी तो बिल्कुल ही पूरी तरह बदल गई है | कहाँ  छोटी से छोटी बात के लिए मेरी स्वीकृति की इंतजार करती थी पर आजकल कुछ ज्यादा ही आत्मविश्वास के साथ मुझसे बात करने लगी है परंतु तुझे तो पता है मुझे यह सब कुछ नहीं आता |” विमला जी ने उत्तर दिया |

” अरे आप चिंता नहीं करो भाभी ! मैं हूँ ना आपको बिल्कुल भी घबराने की जरूरत नहीं है | आप देखिए मेरा कमाल| l” उषा ने कुटिलता से मुस्कुराते हुए कहा |

“बस जैसे ही अगले दिन शैला काम पर गई उषा अपने काम में लग गई,” माधुरी बहू! तुम्हें  क्या बोलूं, सारा दिन अकेले लगती रहती है|  कम से कम शैला को भी तो बोला करो काम करने को | छुटपुट मदद करा कर निकल जाती है और खुद तो वहाँ जाकर दफ्तर में आराम से टांग पर टांग फैला कर बैठी होगी और तू यहां सारा दिन घर के काम में लगी रहती है | आखिर तेरे को भी तो कुछ समय घूमने फिरने का बाहर निकलने का  मिलना चाहिए | तुम ऐसा किया करो जब एक दिन उसकी छुट्टी होती है तो तुम अपना घूमने निकल जाया करो और सारे घर का काम उस पर  छोड़ दिया करो |”

” नहीं नहीं बुआ जी! ऐसा कुछ नहीं है हम दोनों मिल कर काम कर लेते हैं और पहले भी तो सारा काम मैं खुद ही करती थी कोई बात नहीं |” मुस्कुराते हुए माधुरी ने जवाब दिया |



पूरा दिन माधुरी के कान इसी तरह उषा जी छोटी छोटी बातों से भरती रही | जानती थी कि औरत है आज ना सही पर दो दिनों में उसके दिमाग में यह बात आ ही जाएगी और इस बात को बड़ा बनते देर नहीं लगेगी  |

जैसे ही शाम को शैला घर में घुसी और घुसते ही पर्स रख अपने कमरे में फ्रेश होने चली गई तो फिर उषा जी ने उसके कान भर दिए,

“देखो आ गई महारानी! अब उसको चाय भी दो और सब कुछ करो | अपने हिस्से का काम तो उसने घर के आदमियों को दे रखा है |तुम्हें तो अभी तक समझ में नहीं आई|”

थोड़ी ही देर में जैसे ही कुछ बाजार का काम हुआ तो शैला ने कार की चाबी उठाते हुए कहा,

“आइए बुआ जी! आपको बाहर की सैर करा लाए और बाहर का कुछ सामान भी ले आते हैं |  बस कार में मौका देखते ही उषा जी  माधुरी के खिलाफ शुरू हो गई,

“सच बेटा! तू कितना काम करती है और माधुरी तो बस घर का ही काम करती है जिसमें तेरी सास और अब तो घर के आदमी भी मदद करवा देते हैं | बाहर और घर की दोहरी जिम्मेदारी में तू थक जाती होगी | आज माधुरी भी मुझे बातों-बातों में यह कह रही थी कि शैला के तो मजे है, खुद तो रोज बाहर घूमने चली जाती है और मुझे देखो सारा दिन रसोई में खटकती रहती हूँ |”

शैला चुपचाप बुआ जी की बात सुनती रही, मगर उत्तर कुछ नहीं दिया |

रात को खाने की मेज पर जैसे ही सब का खाना खत्म हुआ तो शैला बोला,

” मैं आप सब से एक बात करना चाहती हूँ |”

सब शैला की ओर देखने लगे …..

उषा बुआ जी ने विमला जी के कान में धीमे से कहा,

“अब यह महारानी कौन सा नया  तीर छोड़ने वाली है…”

“मम्मी, पापा आप मेरी बातों का बुरा मत मानना |  बुआ जी इस घर की बेटी है और यह उनका मायका है तो वह जितने दिन चाहे खुशी से रहें परंतु हम देवरानी और जेठानी के रिश्तो में दरार डालने की कोशिश ना करें |”

शैला के यह कहते ही उषा जी का रंग उड़ गया और उधर विमला जी भी समझ गई कि क्या बात है…



” बुआ जी! हम देवरानी जेठानी कम और दोस्त ज्यादा है | अधिकतर घरों में इस रिश्ते में दरार पाई जाती है और इसका कारण होती है आपस में विश्वास की कमी | हम दोनों को एक दूसरे पर विश्वास है इसलिए जो कुछ आज आपने दीदी को कहा है या मुझे कहा | यह पर्याप्त था हमें यह जानने के लिए कि आप हम दोनों में दरार डलवाना चाहती है | पीछे का कारण तो मुझे नहीं पता परंतु यह जान लीजिए की फिलहाल इस जन्म में तो यह संभव नहीं है क्योंकि हमारे रिश्ते में विश्वास और दोस्ती कूट कूट कर भरी हुई है |

हो सकता है आपको इस घर के बदलाव अच्छे ना लगे हो परंतु माँ आप ही देखिए ना कि पहले बाबू जी कुछ काम नहीं करते थे, सारा काम आपको और दीदी को करना पड़ता था परंतु घर के  मर्दों ने जबसे  काम में हाथ बंटाना शुरू किया है तो हम औरतों को कितना अच्छा लगने लगा है और हम सब मिलकर एक साथ वक्त बिताते हैं |

क्या माँ आपको यह बदलाव अच्छा नहीं लगता और क्या आप चाहती हैं कि दोनों बहुये आपस में लड़ती रहे और क्या इससे हमारे घर की शांति बनी रहेगी? बल्कि मैं

तो कहती हूं कि आप भी हमारी टीम में शामिल हो जाइए और देखिएगा हम तीनों औरतें मिलकर रहेंगे तो यह घर हर समय खुशियों से गूंजता रहेगा |

छोटी सी जिंदगी है हर समय भागती दौड़ती  इस जिंदगी मे  हमें छोटी-छोटी बातों पर लड़ना क्यों है… क्यों ना हम अपने नजरिए को बड़ा करके जिंदगी को खूबसूरत बना दे |”

शैला की सीधी और सटीक बात  सबके दिलों में उतर गई थी |  आज फिर से शैला ने साबित कर दिया था कि वह आधुनिक और कामकाजी तो है परंतु एक संस्कारी लड़की है जो रिश्तो को समेटना और सहेजना जानती है |



विमला जी ने आगे होकर शैला को गले से लगा लिया,

“बिल्कुल ठीक कह रही हो बेटी ! हम हमेशा अपने रिश्ते में विश्वास की डोर को मजबूत करेंगे ताकि कोई भी हमारे इस रिश्ते में सेंध लगाने की कोशिश ना करें | मुझसे भी जाने अनजाने में बहुत सी गलती हुई है उसके लिए मैं तुम दोनों से माफी मांगती हूँ |”

उषा जी की आंखें नम थी परंतु आज उन्हें जिंदगी का एक नया सबक मिल गया था |

इतने में बाबूजी जोर से बोले,” चलो बस जी बहुत हो गया यह औरतों का ड्रामा |

लाओ भाई कुछ मीठा लाओ अब…. |”

दोस्तों अक्सर सभी रिश्तों की बुनियाद एक विश्वास की डोर पर रखी जाती है  और विश्वास की डोर इतनी महीन होती है कि उसे टूटते हुए देर नहीं लगती…

जरूरत होती है अपने दिल में दृढ़ निश्चय की और दूसरे पर विश्वास की यदि कभी संबंधों में दरार आने के हालात आए भी आपस में बात करके एक दूसरे से उस विश्वास की डोर को मजबूत किया जा सकता है |

यदि हमारे विश्वास की डोर मजबूत होगी तो बाहर का किसी भी व्यक्ति द्वारा हमारे किसी भी प्रकार के रिश्ते पर प्रहार करने से भी में टूट नहीं पाएगी और खासकर जहाँ बात ननद-भाभी,  देवरानी-जेठानी  की हो तो ऐसे रिश्ते बहुत नाजुक होते हैं और बहुत जल्दी ही हम लोगों की बातों में आ जाते हैं |  ऐसे समय में समझदारी की अत्यंत आवश्यकता होती है|

उम्मीद है हर बार की तरह यह कहानी आपको पसंद आएगी |

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आपके कमेंट्स के इंतजार में

 पूजा अरोरा

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