दास्तान इश्क़ की (भाग -29)- अनु माथुर : Moral stories in hindi

अब तक आपने पढ़ा….

ओम ठाकुर आदित्य के घर विक्रम की शादी का कार्ड देने आते है….. और आदित्य को ये बताते हैं कि कांता प्रसाद जी उनकी बेटी आकांशा से आदित्य की शादी करना चाहते थे…..

अब आगे……

आदित्य राघव के साथ घर लौट आता है… राधिका और कावेरी बाहर ही बैठे हुए कुछ लिख रहे थे……

उन दोनों का आता हुआ देखकर राधिका ने लाजो को  पानी लाने के लिए बोला

कैसी रही मीटिंग आपकी ???- राधिका ने आदित्य से पूछा

ठीक थी….. आप ठीक है ना?? आदित्य ने पूछा

हाँ हम बिल्कुल ठीक है….

हाँ कुँवर जी बिल्कुल ठीक है ये इतनी ठीक है कि आज इसने खाना भी ठीक से नहीं खाया – कावेरी ने कहा

आदित्य ने राधिका की तरफ देखा तो राधिका ने कहा – अरे आज मेरा मन नहीं था वो नाश्ते में आलू के पराठे खा लिए इसलिए

तब तक शीतल और देवेंद्र जी भी बाहर आ गए….

लाजो पानी ले कर आयी

तो राघव ने पानी लेते हुए कहा ….. भाभी कुछ अच्छा सा खिला दो भूख लग रही है

हम अभी ले कर आते है…… राधिका ने कहा

राघव की इस बात पर लाजो ने कहा – राघव बाबू आपकी होने वाली बीवी सामने बैठी है और आप तब भी ठाकुराइन से बोल रहे हैं खाने के लिए?

राघव मुस्कुराया और बोला – अरे उनके हाथ से बना हुआ खाना तो हम ज़िंदगी भर खायेंगे लेकिन भाभी के हाथ का तो कभी – कभी मिलता है…….वैसे आप ही बना दें कुछ हम भाभी से नहीं कहेंगे …

राघव की ये बात सुनके लाजो लाती हूँ कर

किचन की तरफ चली गई…… सब राघव की बात पर हँस दिए

चाय पी कर आदित्य ने राघव और भुवन से कहा – तुम दोनों आओ ज़रा कुछ बात करनी है….. वो तीनो स्टडी रूम में चले गए

आदित्य ने भुवन से कहा – एक मीटिंग फिक्स करो कांता प्रसाद जी के साथ

जी कुँवर…..भुवन ने कहा

भुवन कोई घर में नया आया है??? या कोई घर से बाहर गया है???

हाँ वो लाजो बता रही थी कि जो लोग उसके साथ आए थे उनमें से एक जिसका नाम शांति है उसकी तबियत खराब हो गयी थी तो वो ही बाहर गयी थी…

कौन से दिन की बात है ये??

जिस दिन ठाकुराइन क प्लास्टर कटा उसके तीन दिन पहले – भुवन ने कहा

राधिका पर वो हमला आकांशा ने करवाया था…नज़र रखो उस पर और किसी पर शक़ हो तो उस पर भी…..कोई तो है जो यहाँ की खबर दे रहा है…..

पर आकांशा जी ने क्यों?? भुवन ने कहा

क्योंकि आकांशा आदि से प्यार करती है…आज जो ओम ठाकुर बता कर गए उस बात से तो यही लगता है… राघव ने कहा

ये क्या कह रहे हो राघव? आदित्य ने कहा

आदि तुम समझ नही पाए आकांशा शुरू से तुमसे प्यार करती थी …. कभी देखा तुमने उसको और किसी के साथ वो हर वक़्त तुम्हारे ही साथ रहती थी….. तुम्हारी बातों के अलावा उसके पास कोई बात ही नही थी…… जो पढाई तुमने की वही उसने की…

लेकिन मैंने कभी उसके बारे में ऐसा सोचा नही वो मेरी दोस्त है बस… आदित्य ने कहा

प्यार पर किसी का बस होता है क्या आदि??वो तो बस हो जाता हैं …. राघव ने कहा

आदित्य ने राघव की तरफ देखा और  बोला –  हाँ सही कहा जैसे मुझे राधिका से हो गया…. ये सब छोड़ो फिल्हाल तो नज़र रखो सब पर और सारे गार्ड्स को अलर्ट कर दो…

राघव आदित्य से बात करके अपने  घर चला गया…

रात को खाना खा कर सब अपने – अपने कमरे में आ गए….. आदित्य  अपने कमरे में ही कुछ काम कर रहा था उसने देखा कि राधिका किसी सोच में गुम है उसने अपना काम रोका और राधिका को पुकार – राधिका

उसने कोई जवाब नहीं दिया….

आदित्य उठ कर राधिका के पास गया उसने पुकारा फिर पुकारा – राधिका

राधिका जैसे नींद से जागी हो…… वो बोली कुछ कहा आपने कुँवर??

आदित्य ने राधिका के पास बैठते हुए कहा – क्या हुआ आप क्या सोच रही हैं???

कुछ नहीं…. आपका काम हो गया??

हाँ हो गया…. लेकिन आप बताएं क्या सोच रहीं है आप?

कुछ नहीं कुँवर….. राधिका ने अपनी आँखे नीची कर ली…

आदित्य ने राधिका को गले से लगते हुए कहा – आप किसी भी बात को लेकर कुछ भी मत सोचें…… ओम ठाकुर की बात को भी नहीं….

उसने राधिका को अपने से अलग किया राधिका उसकी तरफ देख रही थी…..उसकी आँखों में सवाल थे जो आदित्य को दिखायी दे रहे थे…..

आदित्य ने फिर कहा …. आप आकांशा को लेकर कुछ सोच रहीं हैं?? मत सोचें…… हम सिर्फ़ साथ पढ़े और आना – जाना था कांता प्रसाद जी का हमारे घर में…… आकांशा मेरी सिर्फ़ एक अच्छी दोस्त है और कुछ नहीं …….. आदित्य सिर्फ़ आपका है और आपका ही रहेगा …. वादा है मेरा आपसे

राधिका अभी भी चुप थी….. आदित्य ने उसके माथे को चूमा राधिका ने अपनी आँखे बंद कर ली.. … आदित्य ने उसे अपनी आग़ोश में ले लिया…

दो  दिन ऐसे ही निकल गए…… भुवन ने आदित्य को बताया कि उसने कांता प्रसाद जी से मीटिंग फिक्स कर दी है लेकिन वो कहीं बाहर नहीं घर पर ही मिलेंगे….. भुवन ने ये भी बताया कि कांता प्रसाद जी ने आकांशा को शादी तक कहीं बाहर ना निकालने के लिए कहा है

आदित्य कांता प्रसाद जी कर घर पहुँचा तो वो आदित्य का ही इंतज़ार कर रहे थे….

उन्होंने  आदित्य को आते देखा तो अपना फोन बंद किया और उठ कर खड़े हो गए

आइये कुँवर….कैसे हैं आप???

जी मै ठीक हूँ ….आदित्य ने झुक कर उनके पैर छुए और पूछा आप और ऑन्टी सब ठीक है??

हाँ सब ठीक है…. रेखा मन्दिर गयी है अभी आ जायेगी…..तुम कैसे हो राघव ??और वीर प्रताप जी कैसे है??शादी की बहुत बहुत बधाई हो …

राघव ने थैंक्स बोला और बताया कि सब ठीक है  और उनके पैर छुए…

आओ बैठो…. भुवन ने बताया कुछ बात करनी थी तुम्हें…

जी… आदित्य ने कहा

कहो…..

पापा तो है नही अब तो आप ही मुझे सच बतायेंगे……अंकल क्या ये सच है कि आप आकांशा की शादी मुझसे करने की बात करने पापा के पास आए थे ???

हाँ… सच है मैं आया था और उसी दिन मुझे पता चला कि ठाकुर साहब ने तो तुम्हारी शादी बचपन में ही सुरेंद्र की बेटी से तय कर दी थी…… और उस दिन वो देवेंद्र जी के साथ वही बात कर रहे थे…. मुझे ये बात पता ही नही थी या ये कह लो कि इस तरह की बात हुयी ही नही तो पता कहाँ से चलती…

अंकल् मैंने कभी आकांशा को दोस्त से ज़्यादा कुछ नही समझा और ऐसा किसी रिश्ते से तो कभी नही सोचा..

गलती मेरी ही है तुम दोनों साथ बड़े हुए तो मैंने सोचा कि ऐसा हो सकता है और आकांशा जिस तरह से तुम्हारी बातें करती थी…. मुझे पता था कहीं ना कहीं वो तुम्हें चाहने लगी है इसलिए मैं उस दिन गया था…

कांता प्रसाद जी की आँखों में नमी थी आख़िर हो भी क्यों ना बेटी है आकांशा उनकी और उसकी ज़िंदगी में क्या कुछ नहीं हो गया…… उन्होंने फिर कहा – चलो जो हुआ सो हुआ… वैसे मैंने तुमसे बदला लेने आया था वापस लेकिन अब सोचता हूँ क्या होगा उस सबसे….. सब कुछ ठीक तो नही हो जायेगा…. … तुम्हारी दोस्त की शादी है विक्रम से पता तो चल ही गया होगा तुम्हें … ??

आदित्य ने सिर हिलाकर जी कहा

मैं मिल सकता हूँ आकांशा से….. ??

आदित्य वो…… कांता प्रसाद जी कुछ कहते – कहते रुक गए …. फिर उन्होंने कहा ठीक है वो अपने कमरे में है जाओ मिल लो

आदित्य उठा और आकांशा के कमरे की तरफ बढ़ गया….. उसने कमरे के दरवाज़े के सामने पहुँच कर दरवाज़ा खटखटाया

कौन है – अंदर से आकांशा ने पूछा

आदित्य……

आकांशा ने जब आदित्य सुना तो उसके होंठों पर मुस्कान तैर गयी उसने मन में ही बोला मुझे पता था जब तुम्हें मेरे बारे में पता चलेगा तो  तुम ज़रूर आओगे आदि ….उसने दरवाज़ा खोला और आदित्य को अंदर बुलाया

आदित्य अंदर गया तो आकांशा ने उसे बैठने के लिए बोला – आदित्य चेयर पर बैठ गया उसने पूछा – किसी हो तुम??

अच्छी हूँ… तुम बताओ कैसे हो और कैसी चल रही है तुम्हारी शादी शुदा ज़िंदगी ??

सब ठीक है…. तुम भी तो शादी कर रही हो..?

हम्म…..आकांशा ने धीरे से कहा राघव की भी शादी हो रही है ना? उसने फिर पूछा

हाँ उसकी भी शादी है…

तुम खुश हो शादी करके?? आकांशा ने पूछा

हाँ …..आदित्य ने  मुस्कुराते हुए कहा

लेकिन तुम खुश नहीं दिख रहीं?? आदित्य ने कहा

क्या फर्क पड़ता है खुश होने या ना होने से इंसान खुश तब होता है जब उसकाे  मनचाहा कुछ मिलता है…..और मेरी चाहत तुम थे ….

आकांशा की इस बात पर आदित्य ने उसकी तरफ देखा और बोला – मैंने तुम्हें हमेशा अपना दोस्त समझा उस से ज़्यादा कभी मेरे मन में कुछ आया ही नही

जो साथ रहा उसके लिए कभी कुछ नही आया मन में……और जिसे कभी देखा नही उस से शादी कर ली?? आकांशा ने कहा

वो पापा का फैसला था…. उन्होंने तय किया था रिश्ता….

तुम्हें कभी नहीं लगा कि मैं तुमसे प्यार करती हूँ….. ?? कहते हुए आकांशा उसके पास आ गयी

नहीं मुझे कभी नही लगा ऐसा – आदित्य चेयर पर से उठने लगा तो आकांशा ने उसका हाथ पकड़ा और उसके सीने से जा कर लग गयी….

आदित्य ने उसे अपने से अलग किया और बोला – संभालो अपने को

तुम संभाल लो मुझे आदि….

आकांशा तुम विक्रम से शादी कर रही हो??

आकांशा ने फीकी सी हँसी के साथ कहा शादी नही समझौता कर रही हूँ… शादी तो मैं तुमसे करना चाहती थी…

लेकिन मेरी शादी हो चुकी है और मैं राधिका से बहुत प्यार करता हूँ…. तुम भी विक्रम से शादी करके खुश रहोगी…

खुश??? क्या होती है खुशी?? शादी तो मैंने london में भी की थी पर देखो वो भी रास नही आयी – आकांशा ने कहा

तुम प्रेग्नेंट हो बच्चे का तो ख़याल करो…

आदित्य ने जब ये कहा तो आकांशा  मुस्कुराते हुए उस से बोली – पापा ठीक कहते है पत्ता भी हिलता है किशनगढ़ में तो आदित्य को पता होता है….और कुछ कहना या पूछना चाहते हो ??

राधिका पर हमला तुमने क्यों करवाया…..??

ये भी पता है तुम्हें??? आकांशा ने ताली बजाते हुए कहा ….. तो ये भी जान लो मैं जान ले लुंगी उसकी… उसने तुम्हें मुझसे दूर कर दिया..

आकांशा… आदित्य ने तेज से कहा

कोशिश भी मत करना… एक मिनट नही लगेगा मुझे तुम्हें इस शहर से बाहर भेजने में….. कहाँ गायब होगी तुम ये तुम्हारी सात पीड़िया खोजती रह जायेगी… मुझे किसी गवाह या वकील की ज़रूरत नहीं है …. समझी  तुम ….

इतना प्यार करते हो उस से ….. क्या बात है ?? चलो देखते है तुम जीतते हो या मैं…. छोड़ूंगी तो नहीं मैं उसको…

तुम धमकी दे रही हो??

मैं कैसे आदित्य ठाकुर को धमकी दे सकती हूँ?? मैं तो कर के दिखाऊँगी   बचा सकते हो तो बचा लो अपनी राधिका को….

आकांशा ये क्या हो गया है तुम्हें…?????.. तुम ऐसी नही थी.???

समय ने ऐसा बना दिया मुझे…… और अब  तुम जा सकते हो.. मुझे तुमसे कोई बात नहीं करनी

आदित्य ने कुछ कहा और आकांशा के कमरे से बाहर निकल आया….

तब तक रेखा भी आ गयी उसने आदित्य और राघव को देखा…. आदित्य और राघव ने उसके पैर छुए रेखा ने उसे बैठने के लिए बोला लेकिन आदित्य एक मिनट भी अब रुकना नही चाहता था उसने राघव को चलने के लिए बोला…..और दोनों गाड़ी में बैठ कर घर की तरफ निकाल गए

रास्ते में आदित्य ने राघव को सब बताया… राघव ने कहा अब सबको प्रोटेक्ट करना ज़रूरी है पता नहीं कब ये आकांशा क्या कर दे

शादी तक तो वो कुछ नही करेगी,.

लेकिन उसके बाद विक्रम का साथ उसे मिल जायेगा फिर पता नही क्या होगा

तुम काका को भी बता देना और थोड़ा अलर्ट रहो

हम्म… राघव ने कहा

उधर घर में लाजो सब काम निबटा कर अपने कमरे की तरफ जा रही थी कि उसने देखा कि राधिका के कमरे से कुछ आवाज़ आवाज़ आ रही है ….. दोपहर का खाना खा कर सब अपने कमरे में चले गए थे…. कावेरी ने कहा था उसे थोड़ा पढ़ना है तो वो दूसरे कमरे में थी… शीतल और देवेंद्र जी अपने कमरे में….. लाजो राधिका के कमरे में जाने लग उसने एक कदम ही रखा था कि उसे शांति की आवाज़ आयी…..

ठाकुराइन ये पी लीजिए इस से आपको ताकत मिलेगी…. और आपके शरीर को ठंड़क भी मिलेगी

राधिका ने वो गिलास हाथ में ले लिया

क्या दे रही हो इनको  ?? लाजो ने पीछे से पूछा

जी मैने बनाया है…. जड़ी बूटियों से.. बहुत फायदा करता है…

अच्छा…लाजो उसे देखती हुयी आगे बढ़ रही थी शांति थोड़ा सा डर गयी थी… फिर भी वो अपनी जगह से हिली नही

लाजो ने राधिका के हाथ से ग्लास लिया और उसे देते हुए बोली – तुम पी लो इनको ज़रूरत नही है इनको वही दिया जाता है जो डॉक्टर ने बोला है..

शांति ने फीकी सी हँसी के साथ गिलास ले लिया और बाहर जाने लगी….

लाजो ने उसका रास्ता रोक कर बोली…. यहीं पियो

मैं किचन में पी लूंगी यहाँ मलकिन के सामने कैसे पियूँ…

जैसे ले कर आयी वैसे ही पियो…. लाजो ने थोड़ा ज़ोर से कहा

क्या हुआ लाजो इतना क्यों गुस्सा कर रही हो???राधिका ने पूछा

अभी पता चलेगा.. लाजो ने शांति की आँखों में देखते हुए कहा

शांति घबराकर पीछे होने लगी…. लाजो ने उसका हाथ पकड़ा और शांति ने गिलास नीचे गिरा दिया…….

लाजो ने ज़ोर का थप्पड़ उसके गाल पर मारा और उसका हाथ पीछे की तरफ मोड कर बोली – क्या था इसमें बोल??

मुझे नहीं पता – शांति ने कहा

गिलास गिरने की आवाज़ सुनकर कावेरी राधिका के कमरे में आयी और वहाँ का नाज़ारा देख कर दंग रह गयी…. उसने लाजो से पूछा – क्या हुआ??

लाजो ने कहा – दीदी ये कुछ पिला रही थी ठाकुराइन को मैंने पूछा तो गिलास गिरा दिया हाथ से

कावेरी ने इतना सुना तो शांति से पूछा – क्या था इसमें ??

शांति चुपचाप खड़ी थी….. कावेरी ने लाजो से कहा पकड़ो ज़रा इसके दोनों हाथ मैं उगलवाती हूँ इस से

लाजो ने उसके दोनों हाथ कस के पकड़े और ज़ोर से दो तीन थप्पड़ उसके गाल पर मारे वो और मारने जा ही रही थी कि शांति बोली …. मुझे नहीं पता इसमें क्या है

… मुझे तो ये बाहर पेड़ के पास रखा हुआ मिला उस दिन जब मेरी तबियत खराब थी तो मुझे एक आदमी मिला…. उसने मुझसे बात की और बोला जैसा मैं कहूँ वैसा करोगी तो बहुत पैसे दूँगा… उसने मुझे पाँच हज़ार रुपये दिए और बाकी बोला कि काम हो जाने पर देगा बस उसे यहाँ क्या हो रहा है उसकी जानकारी देनी थी …

अब तक क्या बताया तुमने?? लाजो ने पूछा

मालकिन प्लास्टर कटवाने गयीं थी वो बताया….

कैसे बताया??

उसने फोन दिया है…. उसी पर लेकिन जब वो call करता है तब……….मैं call नही कर सकती…..ये पिलाने को उसने कल बोला था और पेड़  के पास रख देगा ये भी…..

कावेरी ने उसकी बात सुनी और बाहर जाकर भुवन और किशन को बुलाया उन्हें पूरी बात बतायी और उसे पकड़ कर रखने के लिए बोला..

भुवन ने उसका फोन निकलवाया और जिस नंबर से call आता था पता करने की कोशिश करने लगा

आदित्य और राघव भी घर लौट आए ये बात सबको पता चल गयी थी……भुवन ने पता करके बताया कि वो जो शांति को call करता था दिनेश का आदमी था.. .. !!!

कहानी का ये भाग आपको पसंद आया होगा ….. 

अगला भाग

दास्तान इश्क़ की (भाग -30)- अनु माथुर : Moral stories in hindi

धन्यवाद

स्वरचित

कल्पनिक कहानी

अनु माथुर

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