छोले भटूरे -नेकराम Moral Stories in Hindi

उन दिनों कक्षा दूसरी में पढ़ता था शाम को स्कूल से घर आया तो मां घर पर नहीं थी भाई ने बताया आज रामकिशन चाचा के घर मीटिंग है वहां कोई नेता आया हुआ है ,, मोहल्ले की सभी औरतें वहां मौजूद है मीटिंग के बाद सबको एक-एक थैली मिलेगी उन थैलियों में पूरी और आलू की सब्जी है पूरी का नाम सुनकर मेरे मुंह से पानी आ गया मैं दौड़कर रामकिशन चाचा के घर पहुंचा ,, उनका घर मोहल्ले में सबसे बड़ा था ग्राउंड फ्लोर में
20- 25 औरतें फर्श पर बिछी चटाई पर बैठी थी ….
सफेद कुर्ता पहने एक मोटा ताजा आदमी बता रहा था हमारा निशान है जूता ,, सबको जूते पर मोहर लगानी है ,, गलियों के खराब खंभों की लाइटें हम ठीक करवा कर देंगे,, नाली की सफाई की जिम्मेदारी भी हमारी होगी ,,
मोहल्ले के बेरोजगार युवाओं को सरकारी नौकरी भी देंगे घर के बाहर एक टेम्पो खड़ा था सभी औरतों को टेम्पो में चढ़ा दिया गया ,,
जब मां ने मुझे देखा तो मां ने मुझे भी अपने साथ ले लिया टेम्पो गली गली घूमने लगा तब मां ने कहा नेकराम जोर-जोर से आवाज लगा ,, मोहर लगेगी जूते पर ,,
,, मोहर लगेगी जूते पर,,
नारा लगाने पर सब औरतों को ₹100 रूपया भी मिलेगा मैंने जोर जोर से आवाज लगाई मोहर लगेगी जूते पर ,,मोहर लगेगी जूते पर ,,
2 घंटे तक टेम्पो मोहल्ले की गलियों में घूमता रहा फिर टेम्पो रामकिशन चाचा के घर वापस आकर रुक गया,, सारी औरतें अपने रुपए लेने के लिए रामकिशन चाचा के घर की चौखट पर खड़ी हो गई तब रामकिशन चाचा ने बताया हमारा नेता किसी जरूरी काम से कहीं चला गया है..
कल आना पैसे ले जाना ,, मैं मां के साथ पूरी और सब्जी लेकर घर आ गया
थैली में ….
दो पूरी और थोड़ी सी सब्जी थी एक पूरी भाई ने खा ,, ली ,, एक पूरी बहन ने ,, तब मैं रोने लगा नारा तो मैंने लगाया था मुझे तो पूरी खाने को मिली ही नहीं,, तब मां बोली कल जब ₹100 रुपए मिलेंगे तब तेरे लिए बाजार से छोले भटूरे खरीद कर लाऊंगी तब मैं बड़ा खुश हुआ
15 दिन से लगातार…
मां ,,कुछ औरतों को साथ लेकर रामकिशन चाचा के घर जाती पर खाली हाथ लौट आती ,, मां घर आकर बताती,, देख नेकराम अभी सौ रुपए मिले नहीं है रामकिशन चाचा ने बताया है जब वह नेता
मतदान केंद्र में
जीत जाएगा तब ही सबको ₹100 रूपए मिलेंगे..
मां और मैंने एक महीने इंतजार किया एक महीने बाद वह नेता जीत गया ,,मां मुझे साथ लेकर उनके दफ्तर पहुंची तो उन्होंने बताया अभी सरकार से कोई रुपया हमें मिला नहीं है हम अपनी जेब से पैसा क्यों दें
मां को पूरे 2 महीने हो चुके थे चक्कर काटते काटते मगर सौ रुपए ना मिले मां मुझे रोज दिलासा देती ,, तू चिंता ना कर एक न एक दिन हमें हमारे ₹100 रूपये जरूर मिलेंगे तब मैं तुझे छोले भटूरे जरूर खिलाऊंगी ,,,
5 साल बीत चुके थे मां को अपने ₹100 रुपए याद रहे,, मतदान के दिन फिर शुरू हो चुके थे वही नेता हाथ जोड़कर फिर गली-गली घूमता नजर आया और उसने कहा गलियों के खराब खंभों की लाइटे हम ठीक करेगे ,,नालियों की सफाई की जिम्मेदारी हमारी होगी ,,मोहल्ले के बेरोजगार युवाओं को हम सरकारी नौकरी देंगे ,,,
मां और मोहल्ले की औरतें फिर उनके झांसे में आ गई और उसने इस बार ₹100 रूपए देने का पक्का वादा किया लेकिन जीतने के बाद उसने फिर अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया ,,
तीसरी बार जब इलेक्शन का समय आया तो इस बार उसने अपने बेटे को खड़ा किया उसके बेटे की मासूमियत और मीठी-मीठी बातों ने सबका मन मोह लिया,,
मां ने कहा नेकराम इस बार तो हमें पक्का ₹100 रूपए मिलेंगे तब मैं तुझे छोले भटूरे जरूर खिलाऊंगी
मां फिर नारे लगाने के लिए चल पड़ी ,,
लेकिन इस बार तो पूरी की थैली भी ना नसीब हुई धूप में सारा दिन चीखते चिल्लाते रहने की वजह से मां का तो गला बैठ गया था
यह बात जब पापा को पता चली तो पापा ने उसी दिन दुकान से छोले भटूरे खरीद कर मुझे खिलाए,,✍️
नेकराम सिक्योरिटी गार्ड
मुखर्जी नगर दिल्ली से
स्वरचित रचना

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