छोटी बहु की मां ने उसे कुछ संस्कार नहीं दिए !! (भाग 3)- स्वाति जैन : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi  : शिप्रा बोली प्रणय भैया आप पुरुष होकर अपनी पत्नी की घर के कामों में मदद कर रहे हैं , किसी को बाहर भनक हुई तो क्या सोचेगा आपके बारे में ??

रीत बोली प्रणय भैया अब इतने भी जोरू के गुलाम मत बनिए कि घर के बाकी पुरुषो को आपको देखकर शर्म आ जाए !!

प्रणय भाभियों की यह बात सुनकर वहां से चला गया मगर यह सारी बातें वंदना के दिल को लग गई और उसकी आंखों में आंसू आ गए और वह सोचने लगी दोनों भाभियों को तो उसकी कुछ मदद नहीं करनी मगर पति को भी मदद नहीं करने देती !!

यह सारा मांझरा सरला जी के पति मणीलाल जी ने अपनी आंखों से देखा और वे भी बिना कुछ बोले वहां से चले गए !!

आज रात जब घर के काम करके वंदना की कमर अकड गई तो प्रणय बोला वंदना तुम नौकरी छोड़ दो क्योंकि आफिस और घर दोनों में तालमेल बैठाकर काम करना एक औरत के लिए बहुत मुश्किल काम हैं और मुझसे तुम्हारी यह हालत देखी नहीं जाती !!

वंदना बोली प्रणय मैं नौकरी करके कौन से पैसे अपनी बचत के लिए जमा कर रही हुं !!

सारे पैसे घर के खर्चे में ही तो देती हुं फिर तुम मुझे नौकरी छोड़ने क्यों कह रहे हो ??

औरत के लिए घर और ऑफिस में तालमेल बैठा पाना इतना मुश्किल काम नहीं हैं जितना मेरे लिए कर दिया गया हैं !!

प्रणय बोला मैं कुछ समझा नहीं वंदना !!

वंदना बोली प्रणय मैं संयुक्त परिवार से अलग होना चाहती हुं ताकि मैं अपने हिसाब से अपना घर मैनेज कर पाऊं !! यहां जेठानियों और सास के राज में मुझसे जबरदस्ती ज्यादा काम करवाया जाता हैं क्योंकि सभी को लगता हैं कि मैं दिनभर करती ही क्या हुं ?? महारानी की तरह ऑफिस में बैठी रहती हुं जिसका बदला मुझसे घर पर निकाला जाता हैं !!

अगर मैं अलग रहुंगी तो कम से कम अपने हिसाब से सारा काम एडजस्ट करूंगी …

 प्रणय बोला वंदना पापा कभी हमें अलग रहने नहीं जाने देंगे , यह चीज उतनी आसान नहीं जितनी तुम्हें दिखाई दे रही हैं !!

वंदना बोली मैं पापाजी से बात करूंगी प्रणय क्योंकि मैं भी आप लोगों की तरह बाहर कमाने जाती हुं !!

दूसरे ही दिन वंदना ने अपने ससुर जी से अपने अलग रहने की बात की !!

यह बात सुनकर मणीलाल जी के साथ साथ सारे घरवाले भी आश्चर्य चकित हो गए कि वंदना यह कैसी बातें कर रही हैं ??

शिप्रा और रीत तो पहले से उसे संस्कार हीन कहती ही थी अब तो उन्हें ओर मौका मिल गया बोली यह संस्कार हीन लड़की अब हमारा परिवार भी तुड़वाकर रहेगी , इतने सालो से जो परिवार साथ साथ रहा वह परिवार इसके आने के बाद बिखर जाएगा !!

मणीलाल जी ने माहौल ठंडा करते हुए छोटी बहु वंदना को बुलाकर पूछा बहु तुम आखिर अलग क्यों होना चाहती हो ?? संयुक्त परिवार से तुम्हें क्या दिक्कत हैं ??

वंदना बोली पापाजी आप जिस तरह दिन भर दुकान पर कमाने जाते हो , वैसे मैं भी आठ घंटे की ड्यूटी पर नौकरी करने जाती हुं , एक घंटा आने जाने का सफर तय करती हुं , फिर घर में भी जेठानियों जैसा बराबर काम करती हुं , रात के बारह बजे तक काम निपटाकर बहुत थक हार जाती हुं इसलिए अलग रहना चाहती हुं ताकि मैं अपने मुताबिक अपने काम मैनेज कर पाऊं !!

मणीलाल जी बोले बेटा , यह संयुक्त परिवार बरसों से आबाद रहा हैं , मैं इस परिवार को कभी बिखरने नहीं देना चाहता , मैं कभी किसी को घर से अलग नहीं करना चाहता खैर अभी तुम ड्यूटी पर जाओ , हम सभी पुरुषों का भी दुकान पर जाने का समय हो गया हैं मगर शाम तक मैं इस बात का कोई ना कोई हल जरूर सोचूंगा !!

रात को जब पुरे परिवार का खाना निपट गया तब मणिलाल जी ने अपनी पत्नी , तीनों बेटो और तीनों बहुओं को बुलाया और बोले आज मैं एक विशेष फैसला करने जा रहा हुं और यह फैसला सभी को मानना पड़ेगा !!

मणीलाल जी अपनी पत्नी सरला से बोले सरला हम चारों पुरुष भी घर से बाहर दुकान पर कमाने जाते हैं मगर तुम हमसे तो कभी घर के काम करने नहीं कहती !!

सरला जी बोली आप भी कैसी बहकी बहकी बातें कर रहे हैं जी , भला आप पुरुष हैं , मैं आप लोगो से कैसे घर के काम करने कह सकती हुं ??

मणीलाल जी अपने बडे बेटे नितिन से बोले बेटा हम घर में कुल कितने लोग बाहर कमाने जाते हैं ??

नितिन बोला पापा आप और हम तीनों भाई दुकान पर बाहर कमाने जाते हैं और घर की छोटी बहु भी ऑफिस जाती हैं तो कुल मिलाकर हम पांच लोग बाहर कमाने जाते हैं !!

मणीलाल जी सरला जी से बोले , हम पांचों बाहर कमाने जाते हैं सरला मगर तुम घर के काम सिर्फ छोटी बहु को करने कहती हो जबकि वह भी हम पुरुषों के बराबर बाहर कमाती हैं तो वह भी एक तरफ से घर का पुरुष ही हुई ना !!

आज से मेरा फैसला हैं कि छोटी बहु घर का कुछ काम नहीं करेगी , हां यदि वह अपनी इच्छा से छोटे मोटे काम करना चाहे तो यह अलग बात हैं !! जो महिला बाहर कमाती हैं मेरी नजर में वह भी पुरुष ही है !!

जो महिलाएं एकांकी परिवार में रहती हैं और बाहर नौकरी पर जाती हैं वहा उन्हें उनके पति दवारा भी घर के कामों में मदद मिलती हैं मगर संयुक्त परिवार में तो यह भी मुमकिन नहीं !!

मंजली बहु रीत बोली घर में कमाकर लाने से कोई स्त्री पुरुष नहीं हो जाती पापाजी !! स्त्री तो स्त्री ही रहती हैं !!

मणीलाल जी बोले यदि छोटी बहु इतनी पढ़ाई करके घर के ही काम करें तो उसकी पढ़ाई का क्या फायदा ?? और नौ घंटे की ड्यूटी करके बाहर भी घिसे और वापस घर आकर घर में भी घिसे तो वह आराम कब करेगी ??

तुम दोनों तो दोपहर को भी आराम करती हो मगर उसे तो दिनभर घिसना पड़ेगा !!

बडी बहु शिप्रा बोली पापाजी मतलब हम दोनों घर की नौकरानी बनकर रहे बस और यह महारानी बनकर बाहर जाकर कमाए !!

मणीलाल जी बोले बडी बहु फिर तो मैं भी कह सकता हुं कि हम पांचों तुम्हारे नौकर हैं जो तुम्हें कमाकर खिला रहे हैं और छोटी बहु वंदना की शादी के पहले तो तुम्हें कभी नहीं लगा कि तुम दोनों इस घर की नौकरानी हो , तो अब क्यों लग रहा हैं ऐसा ?? एक व्यक्ति कोई भी एक काम ही ढंग से कर सकता हैं या तो वह बाहर कमाए या घर का काम अच्छे से करें !!

दोनों बहुएं यह सब सुनकर चुप हो गई !!

सरला जी को भी अपने किए का पश्च् चाताप हुआ कि उन्होंने दोनों बडी बहुओं की बातों में आकर बेचारी वंदना पर कितना सारा काम का बोझ डाल दिया था !!

सरला जी बोली वंदना तुम्हारे ससुर जी बिल्कुल सही कह रहे हैं , मुझे मेरी ओछी मानसिकता पर शर्म आ रही हैं कि क्यूं मैंने यह समझने की कोशिश नहीं की कि तुम दोनों जगह कैसे मैनेज करोगी ??

मणीलाल जी के इस फैसले से शिप्रा और रीत पहले थोड़े दिन बहुत असहज रही मगर फिर धीरे धीरे उन्हें आदत हो गई और इस तरह यह संयुक्त परिवार बिखरने से बच गया !!

 

दोस्तों आपको मणीलाल जी का फैसला उचित लगा या नहीं कमेंट बॉक्स में जरूर बताए तथा ऐसी ही कहानी सुनने के लिए हमारे पेज को फॉलो जरूर करें !!

धन्यवाद !!

स्वाति जैन 

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5 thoughts on “छोटी बहु की मां ने उसे कुछ संस्कार नहीं दिए !! (भाग 3)- स्वाति जैन : Moral stories in hindi”

  1. फैसला तो उचित लगा, पर ये परिवार ज्वाइंट नही नह पाएगा, क्योंकि अनपढ़-जाहिल-गंवार और पढ़ी-लिखी बहू में कभी नहीं बनेगी, और परिवार की छोटी बहू अलग रहेगी 👍

  2. गँवार्रो के बीच पढ़ी लिखी बहु adjust नही हो सकती. उसको तो जीवन भर संस्कारहींन ही माना जाता है!

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