चारों धाम घरवाली है ” -अनामिका प्रवीण

” सुनिए ! मोहित , “

” हां कहिए मैडम ! आवाज़ में इतनी चाशनी कैसे आज ? सुनो की जगह सुनिए ! “

” वो बात ऐसी है कि कल मेरे मम्मी पापा और रानो लकी आ रहे हैं । आप प्लीज उन्हें स्टेशन से लेकर आ जाना । मैंने उनका ट्रेन शेड्यूल आपको वाट्स एप कर दिया है देख लेना । “

” ठीक है मोहतरमा लेे आऊंगा । ना कह दूं ऐसी हिम्मत है मुझमें ? ” मन ही मन बोल रहा था मोहित ।

” और हां बार बार याद नहीं दिलाऊंगी , भूल मत जाना नहीं तो ……”

” अरे ! बिल्कुल भी नहीं इस घर में रहना नहीं है क्या मुझे ” नीति की बात बीच में ही काटते हुए मोहित बोला ।

नीति ने उसे घूर कर देखा …

” इस प्यार से मेरी तरफ़ ना देखो ….. प्यार हो जाएगा  … टं टं टट टंटंटट ….. मोहित ने नीति का चेहरा अपने हाथों में लेकर इस तरह से गाना गाया कि नीति को बहुत तेज़ हंसी आ गई।

” हाय ! तुम्हारी ये कातिल हंसी …. सीने पर हाथ रखते हुए मोहित बोला …. इसी पर तो मर मिटा है बंदा ।”

” छोड़ो , हर वक्त रोमांस करवा लो तुमसे तो । आज ना तुम ऑफिस से छुट्टी ले लो ।”

” अरे ! पर आज क्यों ?  मैंने तो सोचा कल लेनी पड़ेगी , अब आज क्या है ? “


” अरे ! घर की साफ सफाई करनी है , थोड़ी शॉपिंग भी करनी है । कल वो लोग आ जाएंगे तो उनके सामने करेंगे क्या ये सब काम । फिर मुझसे अकेले से इतना सब थोड़े ही होगा जानू । उनकी खातिरदारी में मैं कोई कमी नहीं छोड़ना चाहती हूं पहली बार हमारे घर आ रहे हैं ना । ” भोली सी सूरत बनाते हुए नीति ने कहा ।

” अरे अरे ! समझ गया , जो हुकुम मेरे आका । पर छुट्टी नहीं ले सकता हूं यार , जरूरी काम है ऑफिस में पर शाम को पक्का जल्दी आ जाऊंगा । प्रॉमिस , समझो जान ! ।”

” क्या ???? क्या कहा तुमने ? छुट्टी नहीं लोगे । जब तुम्हारे मम्मी पापा आए थे तब तो तुमने पूरे एक हफ़्ते की छुट्टी ली थी । देखो मोहित ! छुट्टी नहीं ली तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा । “

” तुमसे बुरा वैसे भी कोई नहीं है जानू ।” मन ही मन बुदबुदाता हुआ मोहित फोन लेने चला गया ।

” कुछ कहा तुमने ….सुनाई नहीं दिया ।”

” अरे ! कुछ नहीं यार फोन कर रहा हूं ऑफिस में। “

” सुनो प्रिये ! एक प्याली चाय तो पिला दो ,  सुबह सुबह ये कड़वे काढ़े जैसी दवाई पिला दी । “

” चाय वाय कुछ नहीं , ये लो झाड़ू और सारे जाले साफ करो । मेरी मम्मी बहुत सफाई पसंद है । उनकी नज़रे सबसे पहले घर के जालों पर ही जाती हैं गंदगी उनसे छुप नहीं सकती है । “

” क्यों सी आई डी की ए सी पी प्रद्युम्न है क्या ? ….. दया कुछ तो गड़बड़ है ….।” प्रद्युम्न की एक्टिंग करते हुए मोहित बोला।

“कुछ ज्यादा ही नहीं बोल रहे तुम ! खैर तुमसे तो मैं उन लोगों के जाने के बाद निपटूंगी । अभी काम करो , जल्दी जल्दी । “

” जबसे हुई है शादी आंसू बहा रहा हूं आफ़त गले पड़ी है इसको निभा रहा हूं …. और जाले भी हटा रहा हूं ।”


“सुबह सुबह क्या fm रेडियो पी गए थे पानी के साथ जो इतने गाने निकल रहे हैं , हूँ ? पहले मेरी बात सुनो ! पापा को सुबह की चाय और न्यूज़ पेपर एक साथ चाहिए होते हैं तुम मत लेकर बैठ जाना । और हां टॉयलेट में तो भूलकर भी मत लेे जाना वरना मम्मी तो टच भी नहीं करेंगी ।  रानो लकी को उनकी पसंद का टीवी शो देखने देना अपना क्रिकेट ही मत लगाकर बैठ जाना । “

” आके सीधी लगी दिल पे जैसे कटरिया ओ गुजरिया ओ नितीवा ….. ओ नितिवााआआ ।”

” मेरी बात सुनो तुम पहले ,  गाने बाद में गाओ … मम्मी पापा को द्वारकाधीश लेकर चलना है और आस पास के सारे तीर्थ भी करवाने हैं । बार बार थोड़े ही आना होगा उनका । रानो लकी को वाटर पार्क घुमाना है कब से ज़िद कर रहे हैं । अपने दिमाग़ में सेव कर लो । सास ससुर को तीर्थ यात्रा करवाना भी तीर्थ करने जैसा ही होता है , समझे बहुत पुण्य मिलेगा तुम्हें । ” चाय का कप पकड़ाते हुए अदा से बोली नीति ।

” मेरे लिए तो प्रिये ! …..अरे सासु तीरथ ससुरा तीरथ , तीरथ साला साली हैं … और चारों धाम घरवाली है , चारों धाम घरवाली है । ” नीति को बांहों में भरते हुए मोहित गाना गाने लगा फिर से ।

” तुम ना आज बड़े गाने गा रहे हो तुम्हारा चैनल तो मैं अभी चेंज करती हूं ।” कान उमेठते हुए नीति ने कहा ।

” चलो अभी जल्दी से चाय खत्म करो और नहाने जाओ । फिर शॉपिंग के लिए चलना है । फिर वहीं फूड कॉर्ट में खाना भी खा लेंगे तुम्हारी पसंद का । ” नीति आँख मारते हुए बोली ।

” मेरी पसंद का ….. या …. चल भाई मोहित तैयार रह हलाल होने के लिए । “

” जय हो जय हो पतनी रानी , करती हो तुम मनमानी , बातें हमारी टालती । ओ रानी हम तो उतारें तेरी आरती ओ पतनी रानी हम तो उतारें तेरी आरती।  ” शॉवर लेते हुए भी मोहित गाना गाता जा रहा था

घर ठीक करते हुए नीति हंस हंस कर पागल हो रही थी उसका बेसुरा गाना सुन सुनकर ।

©®

Anamika pravin

Mumbai

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