चकाचौंध – स्नेह ज्योति

रिम झिम बरसात हो रही थी , तभी फोन की घंटी बजी और प्रतीक की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा । इतना ठुकराए जाने के बाद तो उसने आस ही छोड़ दी थी ,पर कहते है ना कि भगवान के घर देर हैं, अंधेर नहीं ।चाहे उसका रंग काला है , पर आज वो खुश है कि लड़की वाले मिलनें आ रहे है । आखिर कार ऑनलाइन ही सही किसी ने तो पसंद किया , यही सोच प्रतीक खुश था । रेणु के घर वाले मध्यम वर्ग से जुड़े होने के कारण चका -चौंध से मुतासिर थे । रेणु बेटा ! ज़रा अच्छे से पेश आना ,वहाँ पे हमने तेरे बहुत गुण-गान गाए हुए हैं । उनके सामने हमे अपनी धाक बना के चलनी है ।

जैसे ही रेणु और उसका परिवार प्रतीक के घर में दाखिल हुए तो उनकी आँखें खुली की खुली रह गई ।रेणु ने अपने पापा की बाजू खीच प्रतीक के लिए हाँ कह दी ।रेणु का परिवार बड़े सभ्य तरीक़े से पेश आया । रेणु ने वहाँ जा कर घर के काम में प्रतीक की मॉम का हाथ बटाया । यही दिखावा कर वो इस घर में आना चाहती थी और वो कामयाब भी हुई । प्रतीक के घर वाले भी निश्चिंत हो गए कि लड़की उनके घर को सम्भाल लेगी ।

दोनो परिवारों में बात पक्की हो गयी और शादी की तैयारी शुरू हो गयी । शादी का शोर गुल मचा हुआ था और रेणु की सहेली उसे चिढ़ाते हुए कि तू ऐसे कैसे इतने काले इंसान से शादी कर सकती है,माना पैसा भी ज़रूरी है पर पूरी ज़िन्दगी का सवाल है !

दौलत सब एब ढाँक देती है , ऐसा कह उसको चुप करा दिया ।

शादी से एक दिन पहले ना जाने रेणु के दिमाग में क्या आया , उसने प्रतीक को फ़ोन मिला अपनी मन की शंका दूर करनी चाही ।

रेणु- क्या तुम मुझ से मिल सकते हो ?




प्रतीक – पर क्यों ? कल तो शादी है , ऐसी क्या बात है जो तुम फ़ोन पे नहीं कह सकती ?

प्रतीक मन ही मन सोचते हुए कही …ये शादी से इनकार तो नहीं करना चाहती ….

रेणु- फ़ोन पे भी कह सकती हूँ !

तो कहो ….

रेणु – “मैं बस इतना चाहती हूँ कि शादी के बाद मेरी आज़ादी मेरी नौकरी ना छीनी जाए “।

प्रतीक गहरी साँस लेते हुए…..बस इतनी सी बात ! कोई नहीं रोकेगा तुम जो करना चाहो , कर सकती हो ।

ये सुन रेणु खुश हुई और कल मिलते है कह फ़ोन रख दिया ।

प्रतीक सारी रात यही सोचता रहा कि उसे नौकरी के लिए हाँ तो कह दी है लेकिन उसे नौकरी करने की क्या ज़रूरत है ??? मॉम डैड को ये अच्छा नहीं लगेगा ।

हमारे स्टेट्स में कोई नौकरी नहीं करती । खैर कोई नहीं , बाद में देख लेंगे क्योंकि अभी तो उसके लिए शादी करना ज़रूरी था ।

एक तरफ जहां शादी की सब रस्में चल रही थी ,वहीं रेणु के माँ – बाप की खुशी का कोई पैमाना नहीं था । इतना अमीर परिवार मिला है ,अब तो हमारे व्यारे – न्यारे हो जायेगे । आखिर हमारा दिखावा करना काम आ ही गया । दूसरी तरफ़ प्रतीक और उसका परिवार भी खुश थे , कि उनके बेटे की आख़िर कार शादी हो रही है ! अब सारी बिरादरी का मुँह बंद हो जाएगा , जो प्रतीक के रंग की वजह से सुनाते थे । प्रतीक की माँ मालिनी भी खुश थी कि आख़िर कार मुझे भी एक संस्कारी अच्छी बहू मिल रही है । सब अपना-अपना सच छुपाए रिश्तों की कड़ी में जुड़ रहे थे ।

शादी के कुछ दिन बाद रेणु नौकरी पे जाने लगी । ये देख मालिनी नाराज़ थी , पर प्रतीक के कहने पे मान गयी कुछ नही मॉम बस थोड़े दिन का शौक़ है पूरा करने दो । आए दिन रेणु अपने परिवार वालों की पैसों से मदद करने लगी । एक दिन रेणु को अपने पापा का फ़ोन आया बेटा मेरा फ़ोन टूट गया है ।क्या तुम नया फ़ोन दिला सकती हो ? उसनें भी सबसे महँगा फोन दिलाया । दौलत को दोनों हाथो से लूटा जा रहा था ।

धीरे-धीरे ये सब बातें जब मालिनी को पता चली तो वो प्रतीक से बोली बेटा “वट इज दिस “ इन लोगों ने तो हद कर दी ,हमारे नाम पे ना जाने क्या क्या ले रखा हैं ! मैं तो इनको शरीफ़ लोग समझती थी । मै चाहती थी कि कोई संस्कारी , सुलझी ,समझदार बहू आए जो इस घर को सम्भाले । पर यें तो किसी भी एंगल से ऐसी नही हैं , हमारे साथ धोखा हुआ हैं !

अब क्या कर सकते हैं ? कुछ नहीं सो प्लीज रिलेक्स करे ।

“मैं रेणु से बात करूँगा , वो नौकरी छोड़ घर को सम्भाले “।




रेणु रोज़ ऑफिस जाती देर से आती । मालिनी भी अपनी सामाजिक कार्य और किट्टी पार्टी में बिजी रहती । सच कहे तो किसी के पास एक दूसरे के लिए समय ही नहीं था ,जो बैठ प्यार से बात करे । एक दिन मालिनी ने रेणु को टोक दिया , क्या मेरा बेटा इसलिए कमा रहा है कि तुम्हारे घर वालों का लालच पूरा हो सके !

नहीं मॉम ,

हमने तो शादी इसलिए कि थी कि तुम घरेलू हो घर पे ध्यान दोगी पर तुम्हें तो अपनी नौकरी और घूमने से ही फ़ुरसत नहीं …..

मैंने तो आपसे नहीं कहा था कि मैं घरेलू हूँ । और जहां तक मेरी नौकरी की बात है तो मैंने प्रतीक को पहले ही बोल दिया था ।

मॉम , आप भी तो सारा दिन किट्टी में रहती है और अपनी बहू के बारे में ऐसा सोचती है …..

मतलब !

यही कि आपने खुद को चमकता नया चोला तो पहना दिया , पर सोच वही पुरानी हैं……

कई बार प्रतीक ने उसे बोला भी तुम ये नौकरी छोड़ दो । लेकिन रेणु कौन सा सुनने वाली थीं ।

एक दिन रात के बारह बज रहें थे , रेणु अपने किसी लड़के दोस्त के साथ घर वापस आयी । ये देख मालिनी उससे सवाल करने लगी ये कौन है ?और तुमने पी हुई है !

जी मॉम ये मेरा कॉलेज का दोस्त है ।आज हम बहुत दिन बाद मिले थे , तो एक पेग मार लिया

और फिर आपसे बेहतर कौन जानता है पार्टी में थोड़ा बहुत तो चलता हैं ।

मालिनी अपना सा मुँह लिए खड़ी रही और रेणु पैर पटकती चीजों को गिराती हुई अपने कमरे में चली गई ।

अगले दिन फिर सूरज निकला …..पर इस बार सूरज की रोशनी में सबके चेहरो के मुखौटे उतर गए । इतना दिखावा करेंगे तो रिश्तों में मिलावट तो होगी ही , इसलिए दोनो परिवार वालों ने बैठ कर बात करी और इस निष्कर्ष पर पहुँचें कि गलती सबकी है । हम सबनें अपने स्वार्थ हेतु दिखावा कर एक दूसरे को धोखा दिया है । इसलिए सबकी सजा यही हैं , कि अब हम सबको एक दूसरे की कमियों को भी अपनाना पड़ेगा , तभी हम सब एक साथ खुश रह सकते हैं ।।

#दिखावा

स्वरचित रचना

स्नेह ज्योति

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