दिखावे से परे प्रेम, पिता – मंजू तिवारी

जब बचपन में घर के बाहर खेलते खेलते गिर गई तो मम्मी ने पापा से उठाने के लिए कहा  संयुक्त परिवार था लेकिन इत्तेफाक से घर में कोई नहीं था मम्मी घर से बाहर नहीं निकलती थी और पापा को उठाने में बड़ी झिझक लग रही थी,,,,,,, पापा ने प्यार से बुलाया उत्साहित  किया और मैं खड़ी हो गई,,,,,,

पापा एक सर्दियों में बालों वाला टोपा पहनते थे उससे मुझे बड़ा डर लगता था जब भी पापा कमरे में आते तो मेरी वजह से उस टोपे को उतार कर रख लेते कभी-कभी वह टोपा मेरी तरफ करते मुझे बहुत डर लग जाता,,,,,,,

संयुक्त परिवार में बड़ी हो रही थी जिद्दी भी बहुत थी सारी जिद्द मेरी दादी दादा पूरी करते,, और अपने दोनों चाचा ओं की बाहों में झूला झूल कर बड़ी हो रही थी

पापा की नजर रहती दवा हुआ प्यार हमेशा मेरे ऊपर रहता,,,,,,  पापा को भी पता था  मैं बहुत जिद्दी हूं। सारे दिन पूरे घर को नाको चने चबाती लेकिन पापा के आते ही शांत हो जाती,,,, कहते कुछ ना थे

जैसे ही मैं स्कूल जाने लायक हुई पापा ने जब सरकारी स्कूल में पढ़ाने का दौर था उस समय पर मेरा एडमिशन एक प्राइवेट बहुत अच्छे स्कूल में कराया टाई बेल्ट  शॉर्ट स्कर्ट बाटा के स्कूल शूज पहनकर में एकलौती प्राइवेट स्कूल में पढ़ने वाली लड़की थी,,,,, 

गले में पानी की बोतल  जिसमें पाइप लगा होता है। 

पापा को समय कभी नहीं होता था पापा बहुत बिजी रहते थे मम्मी पढ़ी-लिखी नहीं थी तो मेरे पापा ने हम दोनों बहनों के लिए परमानेंट घर पर ट्यूशन की व्यवस्था कर दी जो हमें पूरी साल घर पर पर्सनल ट्यूशन देते,,,,,, मेरी बच्चियों के साथ कोई और  बच्चा नहीं पड़ेगा,,,,,, इस तरह पापा हमारे भविष्य की मजबूत नींव रख रहे थे,,,,

पापा की नजर में हम हमेशा बच्चियां ही रहे कभी बड़े हुए ही नहीं एक दिन की बात है हमारे टूथब्रश खराब हो गए थे हमने कहा मम्मी देखो टूथब्रश खराब हो गए पापा सुन रहे थे पापा   हमारे लिए टूथब्रश लेकर आए दुकानदार से बोले बच्चियों के लिए टूथब्रश देना उसने भी दो बेबी टूथ ब्रश दे दिए,,, मंजन छोटे से कैसे ब्रश करें पापा कहते क्यों इसमें बाल नहीं है। और कितना टूथब्रश बड़ा चाहिए

  मैं 17 अठारह साल की रही होंगी मैंने पापा के मनोभाव समझ लिए और हम दोनों बहने हंसने लगे चुपचाप उसी ब्रश ब्रश करने लगे,,,,

पापा गंभीर व्यक्तित्व के हैं तो उनसे हम दोनों बहनों को शुरू से डर लगता है।,,,, पापा घर में घुसते ही हम दोनों को पूछते कहां हैं इसलिए शाम को पापा के आने से पहले ही खेल कूद कर घर में आ जाते,,,,,,, मम्मी का बड़ा डायलॉग रहता खूब शैतानी कर लो पापा को आने दो तब तुम दोनों को देखते हैं इस डर से हम अपना काम पूरा रखते  पढ़ाई लिखाई भी ठीक ठाक ही चल रही थी इसी तरह से हम बड़े हो रहे थे धीरे-धीरे बड़ी कक्षाओं में आती गई

मैंने पहली ही बार में 10th पास कर लिया उस दौर में इक्का-दुक्का बच्चे ही पास होते थे और मेरे घर में पहली बार में पास होने वाली में एकलौती थी

इलेवंथ में आ गई थी पापा खुशी से मेरे लिए बड़ा स्टाइलिस्ट बैग नई किताबें और कॉपियों का बंडल ले आए बहुत सारे पेन ले आए ,,,,

सब कुछ बहुत ठीक ही चल रहा था कि मुझे अचानक से सिर में बहुत दर्द रहने लगा सिर दर्द इतना बढ़ गया कि कॉलेज में जाना बहुत मुश्किल हो रहा था लगभग पढ़ाई बंद सी हो रही थी

 पापा मुझे लेकर जाने कहां कहां जाते आसपास के सभी डॉक्टर होम्योपैथी एलोपैथिक आयुर्वेदिक हर तरीके का इलाज करवाया लेकिन मेरा सिर दर्द बंद नहीं होता अब सिर दर्द के चलते मेरा खाना पीना भी धीरे-धीरे छूट रहा था पापा ने आसपास की बड़े से बड़े डॉक्टर को दिखाया आगरा में भी दिखाया सिटी स्कैन कराया लेकिन मेरी बीमारी को कोई भी नहीं पकड़ पा रहा था 

कोई कहता कि सिर में ब्रेन ट्यूमर हो गया है शायद बचना नामुमकिन है। धीरे-धीरे हाथ पैर पीले पढ़ते जा रहे थे पापा को भी अब समझ नहीं आ रहा था कि अब क्या किया जाए मुझे सिर में दर्द रहता मेरी सारी रात बैठकर निकल जाती साथ में मम्मी पापा ही बड़े परेशान रहते मैं  इस तरह से 2 साल तक बिस्तर पर रही ,,,, अब मैं किसी को परेशान नहीं करना चाहती थी मैं अपने दर्द को बर्दाश्त करके आंख बंद करके चुपचाप पड़ी रहती  ऐसे ही एक दिन में आंखें बंद करें लेटी थी पापा आए पापा ने सोचा शायद सो रही है पापा ने मेरे सिर पर हाथ फिरा लेकिन मुझे आहट हो गई थी शायद पापा ही है यह मेरे पापा का पहला स्पर्श था दिल में प्यार तो बहुत था लेकिन कभी भी उसको दिखा नहीं पाए क्योंकि पापा का प्यार तो दिखावा से बहुत दूर था जो दिल की गहराइयों में एक बेटी के लिए दवा था और बाहर जाकर सब से छुपकर रोने लगे,,,,,, किसी डॉक्टर ने माइंड के ऑपरेशन के लिए बोला था इसलिए उन्हें बड़ा डर लग रहा था कि अब क्या होगा,,,, 

चारों तरफ से निराश पापा अब भगवान की शरण में थे और यह भी सच है कि भगवान किसी को भी निराश नहीं करते पापा ने मन्नत मांगी धीरे-धीरे मेरी हालत में भी सुधार होने लगा पापा मेरा चेहरा देखकर मम्मी से कहते देखो धीरे-धीरे चेहरे की रंगत बदल रही है। देखने से लगता है कि अब उसको आराम मिल गया ऐसी बीमारी अवस्था में पापा ने मुझे 12बी एग्जाम देने के लिए प्रोत्साहित किया मैंने कहा भी पापा जब मैंने पढ़ाई ही नहीं की है तो मैं पास कैसे आऊंगी सब आपके ऊपर हसेंगे लेकिन मेरे पापा को मेरे ऊपर विश्वास था तुम अगर फेल हो जाती हो तो अनुभव होगा और मुझे विश्वास है कि तुम पास हो जाओगी,,, और मैं 12वीं पास करके उनके विश्वास पर खरी उतर गई,,,,,, इस तरह पापा ने हमेशा उठ खड़े होने की प्रेरणा दी मेरा प्रोत्साहन किया

इस लाइलाज बीमारी सिर दर्द को पूरे 26 साल हो गए हैं। आज भी है उस समय लोग इस बीमारी का नाम नहीं जानते  थे लेकिन आज इसे माइग्रेन कहते हैं जिससे मैं आज भी ग्रसित हूं मेरी पीड़ा को मेरे पापा बहुत अच्छे से समझते हैं। मेरे दूर होते हुए भी उन्हें मेरे सिर दर्द की बहुत ही चिंता रहती है। और हमेशा आराम करने के लिए कहेंगे दिमाग पर ज्यादा जोर जोर मत दिया करो तनाव में मत रहा करो,,,,

जब हम पढ़ाई रात में करते तो सुबह देर से उठते मम्मी गुस्सा करती हो तब पापा कहते सोने दो रात में पढ़ाई की होगी,,,,,,,

जब हम अपने एग्जाम देने जाते तो मम्मी की तरफ इशारा करते हैं इनको दही पेढे खिलाकर टीका कर दो,,, इस तरह उनका अप्रत्यक्ष रूप से आशीर्वाद हमें मां के द्वारा मिल जाता,,,, 

जो मेरे जीवन को ऊर्जा देता है।,,,,,,,

पापा कभी भी फोन पर बात नहीं करते लेकिन जब मम्मी बात करती तो सारी बातों को सुनते,,,, धीरे-धीरे वही पास बैठकर अपनी बात भी कहते जाते जो मुझे सुनाई देती

मेरा जब जन्मदिन होता तब भी  फोन पर मुझे जन्मदिन की शुभकामनाएं नहीं दे पाते मैं जानती हूं इस तरह की औपचारिकताएं निभाने वाले मेरे पापा नहीं है। फोन पर बात तो जरूर करते लेकिन हैप्पी बर्थडे कभी नहीं बोल पाते लेकिन मुझे उनकी बिना कही हुई सारी बातें समझ आ जाती हैं कि पापा क्या कहना चाह रहे हैं। क्योंकि मैं उनका दिखावे से परे प्यार को महसूस कर पाती हूं।

जब मैं अपने पापा के घर जाती हूं तो मुझे वहां प्रेम का अथाह सागर मिलता है जो दिखावे से बहुत दूर है।  मेरे पापा के दिल में छुपा  है जिसे सिर्फ महसूस किया जा सकता है। पिता के प्रेम के सागर की गहराइयों को मापने वाला यंत्र नहीं है।

ऐसे कई बेटा बेटियां मेरे जैसे होंगे जिन्होंने अपने पिता के इस तरह प्रेम को महसूस किया होगा जो दिखावे से बहुत दूर है। पिता का एक सच्चा प्रेम सिर्फ महसूस किया जा सकता हैं। मेरे पिता को मेरा बारंबार नमन एक सच्चा प्यार दुलार देने के लिए,,,

अगर आपने भी पिता के ऐसे दिखावे से परे प्रेम को महसूस किया हो तो एक बार टिप्पणी जरूर करें

#दिखावा 

प्रतियोगिता हेतु

मंजू तिवारी गुड़गांव

स्वालिखित ,मौलिक रचना

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