शालिनी सुबह से तैयारियों में लगी हुई थी उसने घर की हालत ही बदल दी थी कमरों में नई चद्दरें , नये टॉवल व नैपकिन और क्रॉकरी भी सारी अंदर से नई वाली निकाली थी…वो तो हाल में भी ए.सी. लगाने की जिद्द कर रही थी अजय ने मना कर दिया कि अभी नहीं लगा सकता हैं कमरों में है ना बस ठीक है…!!!!
अजय व बेटी रीत दोनों बैठे कुछ बात कर रहे थे और हँस भी रहे थें…!!!!
शालिनी आते से गुस्से में बोलने लगी कि मुझे पता है कि तुमको मेरी बहन का आना अच्छा नहीं लग रहा…!!!!
ऐसा कुछ नहीं है हम तो …तुम जो पागल हुए जा रही हो वो सोचकर बात कर रहे थे दीदी आ रही है तो नार्मल रहो ना ये सब दिखावा करने की क्या जरूरत है…??
देखिये आप तो जानते है कि दीदी बहुत पैसे वाली है तो हमें थोड़ा तो उनके स्टैण्डर्ड के हिसाब से करना पड़ेगा ना और हाँ आप अपनी ये हवाई चप्पल मत पहनना मैं आपके लिए नये स्लीपर लाई हूँ ये पहन लो ना प्लीज…!!!!
देखो शालिनी मुझे जो पहनना है मैं वही पहनूँगा मुझे तुम इस सब में मत घसीटों..!!!!
रीत तुम तो अपनी ये पुराना टी शर्ट बदल लो..!!!!
मम्मा घर पर ही तो बैठे है और मैंने अच्छी ही पहनी है कोई फटी थोड़ी पहनी है…!!!!
शालिनी को गुस्सा तो बहुत आ रहा था पर अभी बात बढ़ाना नहीं चाहती थी…वो अपनी तैयारियों में लग गई…!!!!
आज संजना दीदी व जीजाजी आ गये थे सबसे मिले व सभी बैठकर बातें करने लगे तभी जीजाजी ने बोला…क्या शालिनी तुमने हाल में ए.सी. भी नहीं लगाया है इतनी गर्मी है…!!!!
शालिनी ने अजय को गुस्से से देखा और बोली जीजाजी कमरे में आ जाईये वहाँ ए.सी. है मैं वही चाय-नाश्ता लगवा देती हूँ…!!!!
दीदी ने सबके लिए लाए हुए मिठाई व कपड़े दिए वो भी एहसान जताकर…!!!!
दो दिन में ही सब घबरा गये थे यहाँ तक शालिनी भी आज जब वो गए तो सबने चैन की साँस ली…!!!!
रीत बोली मम्मी मासी इतना पैसा होते हुए भी कितने हल्के कपड़े लाई है और आपने उनको इतने मँहगे गिफ्टस दिए…!!!!
मेरा दिमाग पहले ही बहुत खराब हो रहा और मत खराब कर बस अब इस टॉपिक पर कोई बात नहीं होगी..!!!!
थोड़े दिन बाद शालिनी के भाई-भाभी को शादी अटैन्ड करने के लिए आना था तो अब कोई तैयारी ना करते देख…रीत ने कहा..क्या हुआ मम्मी इस बार कोई तैयारी नहीं..??
नहीं सब अच्छा है कोई तैयारी नहीं करनी है..पर अजय को ये ठीक नहीं लग रहा था तो वो बाजार से ही तीन-चार तरह के नाश्तें ले आया…!!!!
मामा-मामी को देख रीत बहुत खुश थी शालिनी भी बहुत प्यार से मिली आते ही सब बैठकर बहुत मजे से बातें करने लगे…शालिनी चाय-नाश्ता लेने गयी तो भाभी भी साथ में आ गई सबने साथ में खाया-पिया…!!!!
फिर भाभी ने लाई हुई मिठाई ,ड्रायफ्रूट व एक से एक बढ़कर कपड़े लाए और सबको बहुत प्यार से दिये…!!!!
रीत ने कहा…अरे वाह मामी ये तो बहुत सुंदर है…थैंक यू वो गल लग गई…!!!!
शालिनी ने भी कहा आपने इतनी तकलीफ क्यों की भैया…!!!!
अरे तू तो मेरी छोटी बहन है तेरे लिए तो जितना करूं उतना कम अजय जी आप भी तो बोलिए आपको पंसद आये कि नहीं…??
सब अच्छा है भैया…!!!!
भैया के दोस्त के बेटे की शादी थी तो लोकल थे इसलिए रात को शादी में सबको जाना था पर भैया-भाभी पहले चले गए कि एकदम टाईम पर जाएँगे तो अच्छा नहीं लगेगा…!!!!
जब वो तैयार होकर चले गए तो अजय व रीत दोनों ने शालिनी से बात करके समझाया कि अब तुमकों समझ आ गया होगा कि तुम कहाँ गलत थी…??
हाँ मुझे समझ आ गया कि पैसे वालों के लिए कितना भी कर लो वो आपको आपकी हैसियत के अनुसार ही व्यवहार करेंगे फिर कोई कितना भी अपना ही क्यों ना हो..सिर्फ अपना दिखावा करेंगे जबकि जिनकों दिल से करना होता है वो प्यार से हमेशा अच्छा ही करेंगे तो हमे हमेशा उनके लिए ही खुश होना चाहिए जो हमारे साथ खुश हो…ना कि हमारा सामान देखकर खुश हों…मुझे अब फर्क समझ आ गया है…!!!!!
अजय बोला…बिल्कुल सही अब चलो सब जल्दी से तैयार हो जाओ..भैया-भाभी वेट कर रहे होगें…!!!!
#दिखावा
मौलिक व स्वरचित©®
गुरविंदर टूटेजा
उज्जैन (म.प्र.)