ढलती साँझ – गीता यादवेन्दु : Moral Stories in Hindi

“साँझ को तो ढलना ही होता है तो उसके लिए रोना क्या,घबराना क्या ! हम भी तो ढलती साँझ हैं उर्वशी तो क्यों न ढलते-ढलते अपनी लालिमा को सामर्थ्य भर बिखेर जाँय ।” रामेंद्र जी अपनी पत्नी उषा से कह रहे थे । उषा जो अब ज़िंदगी के 62 वें बसंत में थी और रामेंद्र … Read more

“ सुख सुविधा नहीं अपनापन चाहिए” – हेमलता गुप्ता : Moral Stories in Hindi

हेलो.. निक्की बेटा… सुन… कल तेरे दादा दादी चार धाम की यात्रा सकुशल पूरी करके वापस आ रहे हैं तो हम सभी ने सोचा है कि उनकी सकुशल वापस आने  की खुशी में हम धूमधाम से बैंड बाजे  के साथ उन्हें घर लेकर आए, बेटा… इस उम्र में यह मौका बड़े नसीबों से मिलता है … Read more

ढलती सांझ – खुशी : Moral Stories in Hindi

दोस्तों जब हम जवानी में होते हैं तो हमें लगता है हम हमेशा ऐसे ही रहेंगे कभी हम बूढ़े ही नहीं होंगे हमें किसी की जरूरत नहीं होगी हमारा सब बहुत अच्छा होगा पर ऐसा नहीं है जब हमारे पास अपने होते हैं हम उनकी कदर नहीं करते और जब भाग दौड़ से निजात मिलता … Read more

मौन सामंजस्य – उमा महाजन : Moral Stories in Hindi

 आज भी शाम की सैर के समय मेरा ध्यान अपनी सैर में कम और उस वरिष्ठ दंपति की धीमी गति से चल रही सैर की ओर ही अधिक था। उन पति महोदय के एक पैर में संभवतः कुछ तकलीफ थी क्योंकि वे अपने दूसरे पैर पर तनिक अधिक दबाव बनाते हुए अत्यंत धीमी गति से … Read more

ढ़लती शाम – मधु वशिष्ठ : Moral Stories in Hindi

पूरा घर अस्त व्यस्त कपड़ों से फैला हुआ था। असली घी के मेवा डालकर बनाए हुए लड्डू यूं ही परात में रखे हुए थे। माधवी अंधेरे कमरे के अंधेरे कोने में बैठकर पुरानी यादों में खोई आंसू बहा रही थी।     कितने समय से वह राजेश के दुबई से आने का इंतजार कर रही थी। … Read more

“ढलती सांझ” – उमा वर्मा : Moral Stories in Hindi

बाल कनी मे बैठ कर रमा चिड़ियो को देख रही है ।जो इस ढलती सांझ को अपने बसेरे पर लौट रहे हैं ।सोच रही है वह ,उसकी जिंदगी की भी तो यह ढलती सांझ ही है, पता नहीं कब उड़ने को तैयार होना पड़े ।चाहे जीवन कितना भी आगे बढ़ जाये, अतीत कहाँ पीछा छोड़ता … Read more

ढलती सांझ – विधि जैन : Moral Stories in Hindi

मेरा बेटा आज बहुत दिन बाद मेरे पास रहने के लिए आ रहा है यह बात सुषमा ने लगभग 10 से 15 लोगों को बता दी घर में अकेले रह रहे बूढ़े मां का सहारा कोई नहीं तीन मंजिला मकान ग्राउंड फ्लोर में खुद रहती है और पूरे कमरों कर किराए पर उठा दिया सुषमा … Read more

ढलती सांझ – अमित रत्ता : Moral Stories in Hindi

गर्मियों की दोपहर समय करीब तीन बजे का रहा होगा। मैंने दराती उठाई और खेतों की तरफ निकल पड़ा। गेहूं की फसल पक चुकी थी और खेत लहलहा रहे थे फसल बहुत अच्छी हुई थी इसबारऔर होती भी क्यों न आखिर हर कीटनाशक ,यूरिया की खाद भर भरकर डाला था। खेतों तक पहुंचते पैर तपने … Read more

वो सुबह कभी तो आएगी – के कामेश्वरी : Moral Stories in Hindi

राघव और रचना जब चालीस पैंतालीस उम्र के पड़ाव पर पहुँचते हैं तो रात के सोते समय भी वे दोनों प्यार भरी बातें नहीं करते हैं ।  राघव ने कहा — रचना गैस बंद किया है न अलार्म लगाया है कि नहीं कल  रवी और सुंदर को जल्दी उठना है ठीक है ।  रचना भी … Read more

ढलती सांझ – डा.शुभ्रा वार्ष्णेय : Moral Stories in Hindi

शहर की हलचल और भागदौड़ से भरी इस ज़िंदगी में समय जैसे पंख लगाकर उड़ता है। ऑफिस के लंबे घंटे, परिवार की जिम्मेदारियां और अपने सपनों के पीछे भागते इंसान को शायद ही यह अहसास होता है कि उसकी ज़िंदगी की घड़ी धीरे-धीरे ढल रही है।  यह कहानी एक ऐसे व्यक्ति, आदित्य मल्होत्रा की है, … Read more

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