“ भाभी…. आपने मेरी जिंदगी बदल दी” – हेमलता गुप्ता : Moral Stories in Hindi

है भगवान…. निधि तुमने घर की क्या हालत बना कर दी है मैं अभी 4 घंटे के लिए बाहर गई थी इतनी में तो तुमने पूरे घर की दशा ही बदल दी, न सोफा के कवर सही से हैं ना बिस्तर पर चादर और रसोई का क्या  हाल करके रख दिया ऐसा लग रहा है पूरे घर को अखाड़े का क्षेत्र बना दिया हो, मैं जब गई थी पूरे घर की साफ सफाई करके गई थी,

अरे तुम  घर के कामों में मेरी मदद नहीं कर सकती तो कम से कम इसे बिगाड़ा तो मत करा करो, मैं क्या दिन भर इसी काम में लगी रहूं मेरे पास हजारों काम है, अगर कोई दो मेहमान घर में आ जाए तो वह तो यही कहेंगे कि इस घर की बहू ने घर की क्या हालत बना कर रख दी है, कहने को तो तुम 23 साल की हो गई हो पर मजाल है

एक काम करवा दो ऊपर से दिन भर मेरा काम ब बढ़ाती हो सो अलग, जब दूसरे घर जाओगी तब पता चलेगा! अरे भाभी…. आपके नाटक फिर से शुरू हो गए ना चैन से आप खुद रहती हो ना हमें रहने देती हो, मम्मी तो कुछ नहीं कहा कहती, सारा दिन सफाई सफाई सफाई, आपको क्या दिक्कत है

क्या हमारा खुशी से रहना आपको सहन नहीं होता, जब देखो रसोई का क्या हाल कर दिया कमरे का क्या हाल कर दिया बाथरूम का क्या हाल कर दिया और रही बात मेरी ससुराल की… मेरा ससुराल  तो इतना पैसे वाला होगा कि मुझे तो काम को हाथ लगाने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी! अपनी ननद निधि की बात सुनकर रक्षा ने अपना  सिर पीट लिया,

हे भगवान इस लड़की को कब अकल आएगी, कहां तो पापा मम्मी और उसके भाई इसके लिए अच्छा सा रिश्ता ढूंढ रहे हैं किंतु इनकी तो बदतमीजी हीं खत्म होने का नाम नहीं ले रही तब रक्षा ने प्यार से अपनी नंद निधि को समझाते हुए कहा… देखो निधि मेरा कहने का मतलब यह नहीं था

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पर कल को तुम दूसरे घर में जाओगी वहां भी तो तुम्हारे ससुराल वाले तुमसे ही अपेक्षा रखेंगे कि उनकी बहू  सुंदर होने के साथ-साथ संस्कारी भी हो अपने व्यवहार से घर वालों का दिल जीते अपने घर को व्यवस्थित  रखे घर की जिम्मेदारियां सही से निभाए, यह सब हम हमारे ही तो कर्तव्य हैं क्या इन कामों के लिए भी बाहर का कोई व्यक्ति बुलाएंगे और देखना  सभी जगह तुम्हारा व्यवहार और तुम्हारी कार्य कुशलता ही काम आएगी!

हां भाभी… में देख लूंगी आप टेंशन मत लो और ऐसा कहकर निधि और रक्षा अपने अपने काम में लग गई! कुछ समय बाद निधि ब्याह कर अपने ससुराल चली गई उसकी तो आदत में लापरवाही थी ही रसोई का काम करती तो पूरा चौका फैला छोड़कर मोबाइल में लग जाती, सोफे पर फेल कर बैठती तो सोफे के कवर कहीं के कहीं चादर भी व्यवस्थित तरीके से नहीं बिछी होती,

निधि जैसे अपने मायके में रहती वैसा ही अपने ससुराल में रहना चाहती थी, शुरू शुरू में तो निधि की सास सुनंदा ने कुछ नहीं कहा की ठीक है धीरे-धीरे सीख जाएगी अभी हर लड़की में बचपना होता है ससुराल के रंग में रंगने में थोड़ा समय लगेगा और निधि की सास सारा काम खुद कर लेती,

किंतु निधि तो जब सास ने कुछ नहीं कहा तो अपनी और मनमानी करने लगी, अब 9:00 बजे तक सो कर उठती एक दिन 9:00 बजे उठने के बाद में उसने कहा मम्मी… में चाय नहीं जूस पियूंगी तब सुनंदा जी ने कहा… ठीक है बना लो और पी लो, तब निधि ने गाजर चुकंदर का जूस बनाया और चुकंदर का रस पूरे घर में टपका दिया पूरी रसोई में लाल लाल जूस के निशान हो  गए

यह देखकर सुनंदा जी को गुस्सा आ गया और वह बोली… निधि यह क्या बदतमीजी है क्या कोई अपने घर में इस तरह रहता है यह तुम्हारा घर है होटल नहीं जहां तुम सारे काम इतने गंदे तरीके से करती हो, एक गिलास जूस के चक्कर में तुमने पूरी रसोई का सत्यानाश कर डाला मैंने तुमसे आज तक कुछ नहीं कहा कि धीरे-धीरे सीख जाएगी

लेकिन तुम तो सीखने की बजाय बल्कि और भी ज्यादा आलसी और बदतमीज होती जा रही हो क्या तुम्हारी मम्मी ने कुछ नहीं सिखाया या तुमने अपनी भाभी से कुछ नहीं सीखा, तुम्हारी भाभी अपने घर को कितने सुंदर तरीके से सजा कर रखती है तुम्हारे घर जाओ तो तुम्हारी भाभी की तारीफ में शब्द कम पड़ जाते हैं और तुमने आज तक ऐसा कोई मौका नहीं दिया

कि तुम्हारी तारीफ की जाए, मैं इतने दिनों तक चुप थी किंतु अब मुझसे बर्दाश्त नहीं होता आज पूरी रसोई और पूरा घर तुम साफ करोगी, जहां-जहां भी तुमने यह जूस टपकाया है उसको भी तुम  अच्छे से साफ करोगी एक भी  निशान मुझे नहीं दिखना चाहिए !अब निधि की खैर नहीं… बड़ी मुश्किलों से जाकर उसने रसोई, कमरा साफ किया

और जब खुद उसने कमरा रसोई साफ किया तब उसको समझ में आया कि उसकी भाभी कितनी मेहनत करती थी और वह सच्ची कहती थी कि थोड़ा बहुत काम करने से कोई आदमी छोटा नहीं हो जाता, अपना काम तो खुद को करना ही पड़ता है, किंतु अपने हाथ से की गई सफाई देखकर वह मन ही मन बहुत प्रसन्न हो गई थी निधि आज भयंकर थक गई थी

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किंतु उसे काम का महत्व समझ आने लगा, धीरे-धीरे निधि की सास निधि से घर के अन्य काम करवाने लगी जैसे कमरे को व्यवस्थित करना छत पर सुखे हुए कपड़ों को समय से नीचे लाना, खाने के बाद में तुरंत रसोई को साफ करना और अब यह सब देखकर निधि को भी अच्छा लगने लगा, अगर कोई मेहमान निधि की ससुराल में आता तो वह निधि की प्रशंसा किए बिना नहीं रहता

और वह सुनकर खुश होती, इस बार निधि जब मायके गई तो उसने अपनी भाभी के काम में पूरा सहयोग दिया और पूरे घर को भी उसने व्यवस्थित करके ही रखा यह देखकर मजाक में निधि की भाभी बोली…. क्या हुआ निधि ससुराल में बहुत ज्यादा काम करना पड़ता है, तुम तो बिल्कुल ही बदल गई हो! नहीं-नहीं भाभी यह सब तो आप की सिखाई गई

बातों का ही परिणाम है अगर मैं आपकी बातें शुरू से  मान लेती तो मुझे शुरू में ही सबकी प्रशंसा मिल जाती किंतु अब जब मैं खुद अपने घर को सुंदर तरीके से रखती हूं तो सभी की नजरों में मेरी कीमत और बढ़ गई है प्यार तो मेरी ससुराल वाले शुरू से ही मुझसे करते थे

किंतु अब हर जगह मेरी प्रशंसा भी करते हैं कि उन्हें इतनी सर्वगुण संपन्न बहू मिली, और यह सुनकर मुझे अपने आप पर गर्व होता है, मेरी ननद मेरे हर काम में सहयोग करती है और हम दोनों बिल्कुल दोस्तों की तरह रहते हैं सॉरी भाभी… मैंने तो आपको बहुत परेशान किया था, अब मुझे पता चला सभी आपको इतना प्यार क्यों करते हैं,

धन्यवाद भाभी…. मेरी जिंदगी बदलने के लिए! नहीं नहीं निधि मैंने तो हमेशा तुम्हें अपनी ननद नहीं बल्कि बहन माना, कभी तुम्हारा बुरा नहीं चाहा बल्कि मैं हमेशा यही चाहती थी कि तुम अपने ससुराल में एक बहुत अच्छी बहु पत्नी भाभी बनो, और उसके लिए जरूरी है सबसे पहले अनुशासन और सभी छोटे बड़ों को मान सम्मान जो तुमने धीरे-धीरे ही सही लेकिन अपने जीवन में उतार लिया, निधि…

अपने घर के काम करने में कैसी शर्म और किसी भी काम को करने में कोई छोटा बड़ा नहीं हो जाता और दोनों नंद भाभी इस तरह हंसी-खुशी रसोई में मिठाइयां बनाने में लग गई! सच है चाहे लड़का हो या लड़की दोनों को अपने काम करने की आदत शुरू से ही डालनी चाहिए ताकि आगे किसी भी परिस्थिति में उन्हें कठिनाइयों का सामना न करना पड़े और ना ही किसी कार्य को करने में शर्म महसूस हो! 

    हेमलता गुप्ता स्वरचित 

     कहानी प्रतियोगिता  “ननद”

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