रामलाल जी की 2 बेटियां थी, बड़ी रंजना ओर छोटी रोहिणी। रंजना स्कूल मे टीचर थीं और रोहिणी कॉलिज के फाइनल ईयर मैं थी। बिन मॉ की बेटियों सूंदर, समझदार ओर गृह कार्य मे दक्ष थीं।। रामलाल जी एक सेठ के पास मुंशी का काम करते थे। मामूली तनख्वाह ओर 2 जवान बेटियां की शादी की चिंता ने समय से पहले ही रामलाल जी को बूढ़ा कर दिया था। फिर एक आशा की किरण नज़र आई जब रंजना के लिये
एक स्कूल मास्टर राहुल का रिश्ता आया। राहुल ने रंजना को कई बार स्कूल आते जाते देखा था और उसके बारे में सारी जानकारी हासिल करके संतुष्ट होकर ही रिस्ता भेजा था। न कोई डिमांड ओर न ज्यादा दिखावा, बस साधारण रिती रिवाज से शादी करने का आग्रह देख रामलाल जी मन ही मन राज़ी हो गए , बस बेटी की राय जानने के लिए 2 दिन का समय मांगा। रामलाल जी सोचते रहे, काश, आज रंजना की मॉ होती तो 2 दिन का काम 2 मिनट में कर देती, शायद बाप में इन खूबियो का अभाव होता हैं।
दो दिन बाद राहुल के पिताजी का फ़ोन आया ओर रामलाल जी ने रजामंदी जाहिर कर दी। बात पक्की होने के बाद राहुल ओर रंजना का मिलना जुलना ओर राहुल का घर आना जाना भी शुरू हो गया। अक्सर वीक एन्ड पर घूमने जाते, होटल में खाना खाते ओर फिर राहुल घर तक छोड़ जाता। एक शाम राहुल अपनी ससुराल गया, रामलाल जी काम पर नही थे और रंजना स्कूल में, रोहिणी घर पर अकेली थी। राहुल बोला, इधर से गुजर रहा था सोचा रंजना से भी मिल लेता हूँ। रोहिणी ने चाय बनाई और चाय पीते पीते राहुल ने रोहिणी से उसका फोन नं मांगा,
ये कहते हुए की अगर कभी रंजना को फ़ोन न लगे तो इमरजेंसी के लिए ऑल्टरनेट न. होना चाहिए। रोहिणी ने टालने के हिसाब से कह दिया, दीदी से ले लेना। तभी रंजना भी आ गई ओर फ्रेश होकर राहुल की साथ घूमने चली गई। कुछ दिन बाद राहुल फिर शाम को उसी समय ससुराल आ गया जब रोहिणी घर पर अकेलीC थी। चाय पी ही रहे थे कि रंजना भी आ गई। चाय पीने के बाद राहुल ने रंजना से कहा, चलो घूम कर आते हैं। रंजना ने मना कर दिया की आज बहुत थक गई हूँ और थोड़ा काम भी है। राहुल चला गया। कुछ दिनों बाद फिर राहुल उसी समय आया जब रोहिणी अकेली थी।
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तभी रंजना भी आ गई और सब ने साथ मे चाय पी। चाय पीने की बाद राहुल और रंजना दोनो पार्क में घूमने चले गए। दोनो पार्क में बैठ गए तो रंजना ने कहा, राहुल, तूम्हे जब भी मेरे घर आना हो तो फ़ोन करके पता कर लिया करो कि मैं या पापा घर पर हैं या नही, रोहिणी की पढ़ाई डिस्टर्ब होती हैं। राहुल बोला, आगे से ध्यान रखूंगा। उसदिन के बाद से राहुल कुछ उखड़ा उखड़ा सा रहने लगा। रंजना ने सोचा, शायद मेरी बात बुरी लगी होगी, मिलने पर माफी मांग लूंगी। फिर एक दिन राहुल के पापा ने रामलाल जी को फ़ोन किया ओर मिलने बुलाया, कुछ जरूरी बात करनी हैं।
रामलाल जी राहुल के पापा से मिलने उनके घर गए, तो वो बोले, राहुल को आपकी छोटी बेटी रोहिणी पसंद है और उससे शादी करना चाहता हूँ। आप सब की सहमति चाहिए। रामलाल जी ने अपने आप को बडी मुश्किल से संभाला, ओर बड़ी विनम्रता से बोला, की विचार करके बताता हूं।
रामलाल जी भारी मन से घर लौट आए। घर आते ही रंजना ने पूछा, किस लिए बुलाया था? बस यूं ही, रस्में, लेनदेन वगैरह की बात करनी थी, रामलाल जी बिना नजरे मिलाये हुए बोले। रंजना को पापा की बात पर विश्वास नही हुआ, पर कुछ नहीं बोली। रंजना समझ रही थीं कि कुछ बात तो हैं, जो पापा बताना नहीं चाहते। राहुल भी ठीक से बात नही कर रहा था और पापा भी काफी परेशान लग रहे है।
रामलाल जी रातभर न तो सो सके और न ही बेटी से कुछ कह सके। ऐसे ही 7-8 दिन बीत गए, फिर एक संडे को राहुल के पापा का फोन आया, सब लोग घर पर ही थे। रामलाल जी ने फोन पर बस इतना कहा, थोड़ा समय दीजिए, मैं सोच कर बताता हूँ। रंजना का शक ओर गहरा गया, बोली, पापा , क्या बात है, किस बात के लिए वक़्त मांग रहे हों? रामलाल जी नज़रे चुराते हुए बोले, नहीं, कुछ नहीं, बस ऐसे ही। रंजना पीछे पड़ गई और रामलाल जी को सब कुछ बताना पडा।
रंजना बोली, पापा आप परेशान मत हो, मैं बात कर लूँगी। रंजना ने पापा के सामने ही राहुल को फोन लगाया और बोला, आज तुझे रोहिणी पसंद आ गई तो मुझसे रिस्ता तोड़ रहा है और कल अगर कोई और पसंद आ गई तो उसके लिये तू रोहिणी को भी छोड़ देगा। राहुल बोला, मैं तुम्हें कहाँ छोड़ रहा हूं, मैंने तो बस अपनी पसंद बताई थी, अगर उन्हें मंजूर नही तो कोई बात नहीं, मैं तुमसे ही शादी करूंगा। रंजना बोली, अब तू मुझसे शादी के ख्वाब देखना छोड़ दें,
ओर मेरा फैसला भी सुन, न मैं तुझसे शादी करूंगी, ओर न ही मेरी बहन। लड़कियां कोई सामान नही की पसंद आया तो उठा लिया और जब कुछ दूसरा पसंद आ गया तो पहले वाला वापस रख दिया। लड़की वालों का भी अपना मान सम्मान, इज्जत होती है, मैं तुम जैसे अस्थिर मानसिकता वाले लोगों को कभी बर्दाश्त नहीं करुगी ओर आज के बाद तुम मुझे कभी फोन भी मत करना, कह कर फोन काट दिया।
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रामलाल जी ने बेटी को गले लगा लिया ओर बोला, बेटा, जिस बात को कहने में मैं डर रहा था, वो बात तुमने कहकर मेरे मन का बोझ हल्का कर दिया। तू चिंता मतकर, इसमें भी कुछ भला ही होगा और तुझे इससे भी अच्छा पति मिलेगा। रामलाल जी का दिल साफ था और बेटियो की किस्मत अच्छी थी, दोनो की शादी अच्छे परिवार मे हो गई ओर आज दोनों एक एक बेटी की मॉ हैं ओर अपने अपने परिवार के साथ बहुत खुश है। आज 6 साल बाद भी राहुल अपने लिये लड़की ढूंढ रहा है।
बेटियों मॉ बाप का गुरुर होती हैं, लड़के वाले जाने अनजाने अपने अहंकार में आकर उनका अपमान करते रहते है जो कदापि उचित नही ठहराया जा सकता।
लेखक
एम पी सिंह
(Mohindra Singh )
स्वरचित, अप्रकाशित
10 Apr 25