बेटी के ससुराल का बुराई पुराण – कुमुद मोहन

“ले मेरी लाडो दूध पी ले! मुझे पता है बचपन से ही तुझे सोने से पहले दूध ना मिले तुझे नींद नही आती!”विभा दूध का भरा गिलास लिए रिया से बोली जो आज ही ब्याह के बाद पग फेरे के लिए आई है!

 

फिर एक सांस मे चालू हो गई “मैं तो तेरी बिदाई के बाद से ही परेशान थी कि ससुराल में तुझे कोई रात को दूध के लिए भला कहां पूछेगा?

रिया- “मम्मी आप बेकार में परेशान हुई रोहन को मैंने कभी बातों बातों में अपनी रात में दूध पीने की आदत का बताया था सो सासू मां और दोनों दीदी लोगों ने बहुत याद करके मुझे दूध पिला दिया था।”

 

विभा-“बस-बस तुझे क्या पता ये सारे चोंचले तो सास-ननद के बहू को बस में करने के हथकंडे हैं,जिससे लड़का भी सधा रहेगा और बहू भी “!तेरी बुआ और दादी ने भी ऐसा ही करा था वो तो तेरी नानी की बात मानकर मैने पहले दिन से ही तेरे पापा को ऐसा कब्जे में किया वो तू भी देख रही है।

 

रिया ने मन ही मन सोचा मम्मी जानती हूं कैसे आपने बुआ को मैके आने को तरसाया था और दादी को उनके ही घर से अलग निकालकर धर दिया था।तभी सोच लिया था कि मम्मी की सुनूंगी मगर बातों पर अमल उनकी नहीं पर अपनी अक्ल से करूंगी।

 

इससे पहले कि विभा रिया के ससुराल पुराण का पुलिन्दा खोले रिया ने चैप्टर वहीं बंद कर दिया”मम्मी नींद आ रही है लाइट बुझा दो”! बेमन से विभा दरवाजा बंद कर निकल गई।



अगले दिन सुबह जब रिया उठी तो विभा कहने लगी”अरी!अपने घर आई है चैन से सो ले,वहाँ ससुराल में तो जल्दी उठना पड़ता होगा,भले ही लड़की नौ बजे तक पड़ी सोती रहे पर बहू का सोना कहां गवारा होगा”

 

रिया झींकती सी बोली मम्मी वहाँ सब अपनी अपनी प्राइवेसी मेंटेन करते हैं।उठने बैठने का बंधन नहीं है। रोहन को ऑफिस जाना रहता है तो टाइम से तो उठेंगे ना?दो तीन दिन में बेटी ससुराल में ऐसी मस्त हो गई यह सोच विभा के गले के नीचे नहीं उतर रही थी।

विभा को तो रिया का ससुराल का बुराई पुराण बांचे चैन नहीं पड़ रहा था शाम तक रोहन के आने से पहले वह रिया से ससुराल में बिताए तीन दिन का पल पल का हिसाब जान लेना चाहती थी।

 

चाय पीते पीते विभा फिर चालू हो गई “ये तो बता?तेरी दो-दो ननदें हैं कुछ तो कहती होगी ?तेरा सामान तो ना खखोरतीं?सास-ननदों की बहुत आदत होती है बहू जरा इधर-उधर हुई कि नहीं लगीं उसका बक्सा अलमारी खखोरने!

तू तो हर बखत अपनी अलमारी में ताला लगा कर रखियो समझी?

“तेरे मामा ने तुझे इतना सारा इम्पोर्टेड कॉस्मेटिक दिया है संभाल कर रखियो एकाध पर्फ्यूम ना बिहारी कर लें”।

 

“मम्मी!बेकार की बातों से मेरा दिमाग खराब मत करो!दीदी लोग बहुत अच्छी हैं!मुझे बहुत लाड़ करती हैं ,वहाँ किसी चीज़ की कमी नहीं है वो भला मेरा सामान क्यूँ लेगी!फिजूल में उनके खिलाफ मुझे मत भड़काओ ” कहते हुए रिया गुस्से से वहाँ से उठ गई।

 

पर विभा तो जैसे ठान पर बैठी थी कि रिया के मुँह से कुछ न कुछ सास-ननदों के खिलाफ उगलवा ले ताकि उसे भड़का सके।

 



खाना बनाते बनाते विभा ने फिर कुरेदना शुरू किया”सुन!तेरे नाइटी या जींस पहनने पर तेरे ससुराल वालों को कोई एतराज तो नहीं है ना?हो भी तो तू अपने मन के कपड़े पहनियो,अरे! जब उनकी अपनी लड़की बित्ते भर के कपड़े पहने घुटनों पर फटी जींस पहन कै घूम सकै तो बहू   क्यों ना?

“नहीं मम्मी! मुझे पहले दिन से सासू मां ने कह दिया था जो मुझे कंफर्टेबल लगे पहनूं बस मर्यादा का ध्यान रखूं! मैं जो चाहती हूं पहनती हूं वहाँ मुझे को रोक-टोक नहीं है”।

चौबीस घंटों में विभा के मुँह से ससुराल पुराण बांचना सुन सुनकर रिया का जी ऊपर को आ रहा था ,बिफर कर बोली”मम्मी!अब बस भी करो मेरा ससुराल पुराण!जो बातें आप मेरे ससुराल वालों को लेकर कर रही हैं उन्ही की वजह से तंग आकर मेरा भाई दूसरे शहर में पोस्टिंग करा कर चला गया,आपने भाभी के ऊपर इतनी पाबंदियां लगाई कि ये मत पहनो,यहाँ मत जाओ?

उनके जरा से बाहर जाने को लेकर आप अपने कमरे का दरवाज़ा बंद करके कितना ड्रामा करती थी जब तक उनका प्रोग्राम कैंसिल नहीं करा लेती थी आप को चैन नहीं आता था।

आपके रोज-रोज के क्लेश की वजह से ना चाहते हुए भी उसे आप दोनों से अलग होना पड़ा !

 



मेरी गृहस्थी में दखल मत दीजिए,मैं अपने पति और सास-ससुर के साथ अपने ससुराल में बहुत खुश हूं ,प्लीज़ मेरे घर में आग लगाने की कोशिश मत करिये वरना मेरे लिए यहाँ आना मुश्किल हो जाएगा”

 

इस बात को आप जितनी जल्दी समझ लें बेहतर है।”

 

रिया के पापा भी जो देख रहे थे उन्होंने भी विभा को समझाया! इतनी जल्दी समझने वाली तो वो चीज़ ही नहीं थी पर धीरे धीरे समझ में आने लगा कि बेटी की गृहस्थी में उसका बहुत ज़्यादा दखल ठीक नहीं।

 

विभा की समझ में आने लगा कि बहू-बेटे की गृहस्थी में बेवजह दखल दे उसने अपने पैरों पर ही कुल्हाड़ी मार ली थी ,बहू पर छोटी-छोटी बातों को लेकर जो बंदिशें लगाई थी उन्ही के कारण इकलौते बहू-बेटे के सुख से वंचित हो गई थीं!विभा ने तय कर लिया वह बहू-बेटे के साथ की गई गल्ती कभी नहीं दोहराएगी! अब जब वो आऐंगे उनके बीच किसी तरह का कोई दखल नही देगी।चलिये देर आए दुरूस्त आए!

 

दोस्तों

बच्चों की शादी के बाद उनके गृहस्थ जीवन में दखल तभी दें अगर उन पर कोई अत्याचार हो रहा हो।यूं छोटी मोटी नोकझोंक तो लगी रहती है जहाँ चार बर्तन होंगे टकराऐंगे ही।अपनी मुश्किलें उन्हें खुद सुलझाने दें।ब्लाग काल्पनिक है!

आपको सही लगे तो लाइक-कमेंट अवश्य दें!धन्यवाद

कुमुद मोहन 

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