बेटा!! समधन जी को फोन लगा…. – आरती खुराना

“बहुत हो गया बेटा, फोन लगा बहू की मां को। मैं भी तो पूछूं समधन जी से… ये कैसे संस्कार दिए हैं बेटी को…..

भला कौन सी औरत है जो मां नहीं बनना चाहती।” ललिता जी जोर जोर से चिल्ला रहीं।

अवनी चुपचाप अपने लैपटॉप में घुसी हुई। आकाश मां को चुप कराने की बेकार कोशिश करते हुए।

ललिता ने अवनी की मां सरोज जी को फोन लगाया।

अवनी और आकाश का प्रेम विवाह है। दोनों एक प्राइवेट फर्म में काम करते हैं। दोनों छः साल से रिलेशनशिप में थे आखिर दोनों ने एक दूसरे की कमियों खूबियों को जानते हुए परिणय सूत्र में बंधने का निर्णय लिया।

जब वर वधु का विवाह तीस पैंतीस साल की उम्र में हो तो… साल दो साल में ही घरवालों की बच्चे की जिद शुरू हो जाती है सो यहां ललिता जी आग बबूला हो रही हैं क्योंकि बच्चों ने साफ कह दिया कि अभी चार पांच साल उनका  बच्चे का कोई इरादा नहीं।

“हेलो, समधन जी”

“हां जी,समधन जी,क्या हाल चाल है आपके??”

“हाल चाल आप यहां आकर देख लीजिए। कल सुबह आप अपनी बेटी के घर आजाइए। मुझे आपसे किसी गंभीर विषय पर बात करनी है।”

ललिता जी ने आनन फानन में फोन किया और रख भी जल्दी दिया।

सरोज जी बेटी की सास के इस तरह के कॉल से घबरा गईं उन्होंने अपने दामाद को फोन लगाया।

आकाश फोन की घंटी से फोन बालकनी में ले गया।




“हेलो, क्या हुआ दामाद जी सब ठीक तो है। ये आपकी माताजी को अचानक क्या हो गया। आज उनके बात करने का लहजा ही अलग था। वहां सब कुछ ठीक है ना…”

“अरे!! मम्मा ये अवनी भी है ना….आपको तो पता है जो  मन में हो…बोल देती है, जरा भी नहीं सोचती.. सामने  मां है या सास… अब मेरी मम्मी को बोल रही आपके बच्चे को तो बड़ा हो जाने दीजिए। फिर उसके बच्चे के बारे में सोचिएगा।”

सामने से सरोज जी हंसने लगीं।

“देखो अब आप ऐसे रिएक्ट कर रही हो  पर मेरी मां ने घर में तूफान मचा दिया है। जिसे आपको आकर शांत करना है।” आकाश ने फोन पर सास से रिक्वेस्ट की।

अगले दिन सरोज कैब से बेटी के ससुराल पहुंच गई।

ललिता जी ने काफी हंगामा किया हुआ था। अवनी ने नाश्ता बनाया और ऑफिस चली गई। आकाश ने भी मां को शांत करवाने की जिम्मेदारी सास को सौंपी और चुपचाप निकल गया।

सरोज ने अपना और ललिता जी का नाश्ता प्लेट में लिया और उन्हें बालकनी में ले आई।

“देखिए समधन जी आपने और हमने अपने बच्चों को पढ़ाया लिखाया इस काबिल बनाया कि वो अपने जीवन के फैसले खुद ले सकें। जीवनसाथी के चुनाव में भी दोनों ने एक दूसरे को परखने में छह साल लगा दिए। अब बच्चा कब करना है ये भी उन्हीं पर छोड़ देना चाहिए।”

“समधन जी एक औरत होकर आप ये बात कैसे बोल सकती हैं , औरत का शरीर जीवन भर एक सा नहीं रहता। अवनी तीस साल की हो चुकी है हर बार वो बच्चे का कहो तो टाल जाती है।  अब आप भी उसे समझाने की बजाय मुझे समझा रही हैं।”

ललिता के गरम तेवर देख सरोज ने और प्यार से समझाने की कोशिश की।




“देखिए!! बच्चा अपने आप में एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। जिसके लिए माता-पिता को मानसिक रूप तैयार होना चाहिएं । आप घुटनों का ऑपरेशन करवा कर आई हैं और मेरा बीपी कभी भी शूट अप हो जाता है। सों मेरी बेटी अपना बच्चा दादी /नानी को सौंप कर हम बुजुर्गों को परेशान नहीं करना चाहती। साथ ही वो आकाश की लापरवाहियों से भी दुखी है। तभी उसने आपको बोल दिया आपका बच्चा तो बड़ा हो जाए । उसकी इस नादानी के लिए मैं आपसे माफी मांगती हूं”

“क्या कमी है मेरे आकाश में, आप बताइए। ऐसी कौनसी लापरवाही कर दी उसने”

“आप बुरा मत मानिए समधन जी , आकाश को सिगरेट बियर की आदत तो थी ही पर अब दोस्तों के साथ पार्टियों में वो कई बार आउट हो जाता है। दोनों एक ही ऑफिस में हैं जिस वजह से अवनी को कई बार  शर्मिंदगी झेलनी पड़ती है। अवनी मुझसे शिकायत नहीं करती क्योंकि उसने आकाश की आदतों को जानते हुए शादी के लिए हां की थी। इसीलिए मेरी बच्ची बस चुप रहती है। नहीं तो बच्चे की आस किस औरत को नहीं होती।”

ललिता जी को सारा माजरा समझ आ गया।

“तभी अवनी ने मुझे इस बार इतना कड़ा जवाब दिया। मैं ही नहीं समझ पाई।  सास हूं ना बेटा ही पहले दिखता है बहू की पीड़ा समझ नहीं पाई।”

ललिता को शर्मिंदा देख सरोज ने कहा ,”समधन जी सबकी लाइफ में कोई न कोई दुःख होता ही है। हम हमेशा बच्चों की परेशानी दूर करने के लिए जीवित नहीं रहेंगे । दामाद जी बहुत समझदार है वो अवनी को नाराज नहीं देख सकते है। हमे मियां बीवी के  बीच में न बोलकर इन्हें ही ये मैटर सॉल्व करने देना चाहिए।”

ललिता जी के दिल का बोझ उतर गया था।

वो समझ गईं कि अवनी की नाराजगी मां बनने से नहीं बल्कि आकाश की बिगड़ती आदतें थीं अब वो आकाश को अपने बॉयफ्रेंड की तरह नहीं एक जिम्मेदार पिता की तरह देखना चाहती है।

दोनो समधनों को उनके बच्चों ने आश्वस्त किया कि वो जल्दी खुशखबरी सुनाएंगे। दोनों ने अपने अपने घर के लिए कैब करी।

धन्यवाद दोस्तों

कई बार हम समस्या का एक ही रूप देख पाते हैं परन्तु हर समस्या का समाधान उसके दोनों पहलुओं पर विचार करने पर ही हो पाता है।

कहानी पर अपने विचार जरूर प्रस्तुत करें।

आपकी दोस्त

आरती खुराना 

 

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