बहू सपनों से समझौता नहीं करेगी – कनार शर्मा

मानसी बहू जरा बाहर आना देखो तो तुमसे मिलने दुर्गा नगर वाली लक्ष्मी बुआ जी आई हैं…!!

सास अनिता जी की आवाज़ सुन मानसी रसोई से बाहर आई और उनके पैर छूने झुकी ही थी कि वे बोली “दूधो नहाओ पूतो फलो” शादी को 2 महीने हो गए हैं अब तो घूमना फिरना भी हो गया…खुशखबरी सुनाओ बहुरिया!! इस अनीता को भी दादी बनने का सौभाग्य दो… सुनो बहु ज्यादा टाल टोली ना करना वरना बड़ी परेशानी आती है आजकल तुम बच्चे ना जाने फैशन में क्या क्या करते हो?? अकल तो होती नहीं है बाद में पछताते हो इसीलिए ज्यादा सोचो विचारों मत जल्द से जल्द गोद में लल्ला खिलाओ…!!

अपनी ननद लक्ष्मी की बात सुन शांति देवी ठहाका मारकर हंस दी एकदम सही कहा जीजी हमें तो जल्द से जल्द अपना पड़ पोता खिलाना है… हमारे स्वर्ग की सीढ़ी जितनी जल्दी हमारे पास आ जाए उतना बढ़िया इसीलिए अपनी बुआ की बात का मान रखना दादी सास भी जोर देते हुए बोली…!!

चाय पानी के बहाने मानसी रसोई में लौट गई… वहां चाय का पतीला गैस पर चढ़ा सोच में डूब गए क्या एक लड़की की किस्मत सिर्फ शादी है और शादी के बाद बच्चा पैदा करना एक उपलब्धि है। जिस दिन से शादी हुई है उस दिन से आशिर्वादों की झड़ी लग गई है जिसे देखो दूधो नहाओ पूतो फलो का की माला जप रहा है। हर आने जाने वाला मेहमान एक ही बात कह रहा है बच्चा पैदा करो समझ नहीं आता मैं हूं क्या???? पहले पिता और भाई के हिसाब से उठना, बैठना, पढ़ना किया अब पति और ससुराल वालों के हिसाब से चलना पड़ेगा। इन सबके बीच में मेरे सपनों का क्या??? क्या मेरी अफसर बनने की ख्वाहिश अधूरी रह जाएगी या फिर एक लड़की की ख्वाहिशें पूरी करने की लकीरें उसके हाथों में ही नहीं…????

अरे मानसी बहू देखो देखो चाय पतीले में से बाहर आ गई है कहां खोए हो…?????

 सासु मां की बात सुन मानसी चूल्हे पर फैली चाय साफ करने लगी।

 तब तक अनीता जी ने दोबारा चाय चढ़ा दी और मानसी की तरफ देखा तो उसकी आंखों में आंसू थे… क्या हुआ बेटा??? कोई परेशानी है तो मुझसे कहो या फिर मायके की याद आ रही है तो कुछ दिन के लिए घुमाओ यहां मैं हूं ना सब संभाल लूंगी।

नहीं मां ऐसी कोई बात नहीं और फिर 7 दिन पहले ही तो मां बाबूजी से मिली थी बोल अपने कमरे में चली गई।




अनीता जी सोचने लगी नए घर में ढलने के लिए समय तो लगता है मगर हंसने बोलने वाली मानसी अचानक गुमसुम कैसे हो गई????? लगता है दाल में कुछ काला लगा उन्होंने माजरा समझने के लिए खोजबीन शुरू कर दी…!!

अगले दिन उन्होंने बेटे रमन से बात की और उन्हें जो पता चला उसे सुन उन्हें अपनी बहू पर बहुत गुस्सा आया और गुस्से में उसके कमरे में पहुंची और बोली बहू तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई यह बात मुझसे छुपाने की??????

पहली बार उनकी गरजती आवाज सुन मानसी थरथर कांपने लगी और बोली मां मैंने तो आपसे कुछ नहीं छुपाया???

कुछ नहीं छुपाया तुम्हारा एसएससी की परीक्षा में सिलेक्शन हो गया है और 15 दिन बाद तुम्हारा इंटरव्यू है और यह बात तुमने मुझे अभी तक नहीं बताई…????

पीछे से घर के सभी लोग पहुंच चुके थे इंटरव्यू वाली बात सुन शांति देवी जी बोली “अरे अच्छा ही है नहीं बताया हमारी बहू बहुत होशियार है”… उसे अच्छे से पता है लड़कियां घर गृहस्ती संभालती अच्छी लगती हैं और शादी के बाद वंश बढ़ाना ही उनका कर्तव्य है। बहुत अच्छा किया मुन्ना की बहू जो तूने घर गृहस्ती को चुना…”दूधो नहाओ पूतो फलो ऐसा ही मेरा आशीर्वाद है”… अपने दोनों हाथों को उठाते हुए बोली।

बिल्कुल “नहीं” एक लड़की को अपनी ख्वाहिशे पूरी करने के लिए किसी की इजाजत नहीं लेनी चाहिए… माना ऐसा बरसों से होता आया है मगर अब नहीं होगा मैं अपनी बहू को अपनी हर ख्वाहिश पूरी करने की इजाजत देती हूं… मानसी तुम अपने इंटरव्यू की तैयारी करो तुम्हें घर के कामों और किसी और बात की चिंता करने की कोई जरूरत नहीं मैं तुम्हारे साथ हूं…!!




 

तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है बड़ी बहू!! अपनी बहू को काबू में रखो ये बाहर नौकरी करने गई तो तुम अपना बुढ़ापा खराब कर लोगी। अब यह कोई उम्र है तुम्हारी रसोई संभालने की बहू अफसर बन गई तो तुम्हें चूल्हा चौका में झोंक देगी… देख ले गौरी शंकर तेरी बीवी क्या नया नियम बनाने जा रही है… मैं कहती हूं रोकने से इसे फिर मत कहना मैंने बताया नहीं शांति देवी भड़कते हुए बोली!!

अपनी मां की बात सुन गौरी शंकर जी बोले “अनीता मां ने ना कह दिया तो उसका मतलब ना ही होता है”। इतना अच्छा कमाता है घर में किसी चीज की कोई कमी नहीं फिर क्यों बहू को बाहर जाकर काम करना है….?? मां सही कहती हैं बहू को ज्यादा सर ना चढ़ाओ और मानसी बहू तुम चुपचाप रसोई संभालो वही तुम्हारे और हम सब के लिए ठीक रहेगा…!!

बस बहुत हुआ जी आज तक अम्मा जी ने सास बन हर फैसले सुनाए और आपने एक आज्ञाकारी पुत्र बन सभी निभाए… मगर अब और नहीं यह मेरी बहू है मैं इसके साथ जो चाहे करूं और मैं चाहती हूं कि ये अफसर बने और रही रसोई की बात तो जैसा मैं सारे काम अपने बेटा बेटी के लिए करती आई हूं वैसे ही अपनी बहू के लिए भी करूंगी… अपने स्वार्थ के लिए उसकी ख्वाहिशों की तिलांजलि नहीं दूंगी… रोहिणी तू आज ही अपनी भाभी का अच्छी कोचिंग में एडमिशन करवा… इंटरव्यू की तैयारी के लिए और मैं तुम्हें विजई भवः का आशीर्वाद देती हूं…अफसर बनकर ही मेरे घर में कदम रखना तब मैं तुम्हारा दोबारा गृह प्रवेश करूंगी अनीता जी आदेश देते हुए बोली…!!

अनीता जी की दृढ़ता देख शांति देवी और उनके बेटे गौरी शंकर जी चुपचाप अपने कमरे में चले गए क्योंकि अब उन्हें पता था अगर बहू के खिलाफ कुछ भी बोले तो एक मां सास के रूप में ढाल बनकर खड़ी है…!!

मानसी ने आगे बढ़कर अपनी सासू मां के गले लग गई और बोली मां के आशीर्वाद किस्मत वालों को मिलते हैं और वो कभी बच्चों के सपनों, ख्वाहिशों का स्वाहा नहीं होते…!!

आशा करती हूं मेरी रचना आपको जरूर पसंद आएगी  धन्यवाद!!

आपकी सखी

कनार शर्मा

(मौलिक रचना सर्वाधिकार सुरक्षित)

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