मैं हंसते हुऐ बोली “कुछ भी बोलती है”।
पर मन ही मन मैं भी सोच रही थी ‘क्या कुछ खिचड़ी पकेगी हमारे बीच’
या बस एक तरफा प्यार ही रह जाएगा?
दिन निकलते जा रहे थे, इम्तिहान के दिन भी आ गए।
सब प्रोफेसरों ने हमें पेपरों से पहले शुभकामनायें और परिक्षा में अच्छा करने के लिए प्रेरणा दी।
इस समय सर अगर मेरी यादों में आते भी, तोह मैं अपने को समझाती कुछ दिन मेहनत कर ले तपु, नहीं तोह अपने दोनो सपनों से हाथ धोना पड़ेगा।
सर कभी कभार कॉलेज प्रांगण में टकर जाते और उनके भी अमूमन,
एक से ही सवाल होते ।
“पेपर कैसे जा रहे हैं?
कुछ मदद चाहिये हो, किसी विषय पर तोह निसंकोच होकर पूछना “।
मैंने भी पढ़ाई में दिन रात एक कर दी थी।
और आखिरकार इम्तिहान खत्म हुए।
हम सभी को ऐसा सकून मिल रहा था जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती।
हम सब दोस्त कैंटीन में जश्न मना रहे थे,
और मेरे मन में उथल पुथल सी मची थी,
दिल कह रहा था सर को अपने दिल की बात कह दे।
पर दिमाग कहता, अगर सर को मैं पसंद नही हुई तोह क्या?
घर वालों की तरफ से तोह मुझे कोई आशंका नहीं थी, उन्हें सर पसंद ही आते।
और कहीं ऐसा होता भी, कि उन्हें मेरी पसंद नापसंद होती,
तोह भी अपना निर्णय मैं ले चुकी थी।
बस उस निर्णय पर सर के प्यार की मोहर की जरुरत थी।
अगर अभी बात नही की तोह फिर ना जाने कब मौका मिले ।
अभी यह सब दिमाग में चल ही रहा था कि इतने में सर सामने से आते दिखे,
सर ने हम सब से हमारे इम्तिहान कैसे गए वोह पूछा और हमें हमारे उज्जवल भविष्य के लिए शुभकामनायें दी।
जाते जाते सर एक दम मेरी तरफ मुखातिब हुए और बोले,
” तापसी आपसे कुछ काम था, बात कर सकते हैं “?
मैं सर की तरफ मुड़ी, और उनको हैरानी से देखते हुए बोली,
“जी सर, बोलिये “
सर धीरे से बोले,
“अभी नहीं शाम में अगर आपको आपत्ति ना हो तोह चाय पिने चल सकते हैं?”
यह तोह ऐसा था, ‘जैसे बिन मांगे मुराद पूरा होना‘
मैंने, सहर्ष उनका प्रस्ताव मान लिया।
मेरे सभी दोस्त मुझे छेड़ने लगे,
“ऐसी क्या बात करनी है प्रोफेसर साहब को जोह अकेले में ही हो पाएगी?
हम से तोह सर को कभी ऐसे बात नहीं करनी होती “।
और सब ठहाके मार मार के हंसने लगे।
और मैं शर्म के मारे कुछ बोल नहीं पा रही थी।
शाम में मैंने,
शिफान की काले रंग की साड़ी पहनी, उसके साथ में मैचिंग पिले रंग का बिना बाजु का ब्लाउज पहना, माथे पर छोटी काली बिंदी, होठों पर गुलाबी रंग की लिपस्टिक, आँखों में काजल और बालों को खुला ही रहने दिया और पैरों में भी, काले हील्स डालें।
फिर अपने आप को दों तीन बार शीशे में निहारा, कहीं कुछ कमी तोह नहीं रह गई।
आखिर आज मैं अपने सपने को हकीकत में जीने जा रही थी।
निर्धारित समय पर मैं कॉलेज प्रांगण के बाहर सर का इंतजार करने लगी,
थोड़ी ही देर में सर आ गए।
वोह भी आज कुछ अलग लग रहे थे।
गहरी नीली रंग की टीशर्ट उसके साथ क्रीम कलर की जीन्स, साथ में स्पोर्ट शूज उन पर बहुत ही फब रहे थे।
वोह कार से उतरे और उन्होंने मेरे लिए कार का दरवाजा खोला,
मैं सकुचाई सी सीट पर बैठ गई,
मुझे देख कर सर बोले,
“साड़ी में तुम और भी खूबसूरत लग रही हो”
मैं भी बोलना तोह चाहती थी, की वोह भी बहुत हैंडसम लग रहे हैं, लेकिन जुबान से थैंक्स के अलावा कुछ और नहीं निकला।
हम रेस्तरा में पहुंचे वहाँ सर ने पहले ही साइड टेबल बुक कराया हुआ था।
रेस्तरा में ज्यादा भीड़ भी नहीं थी।
हम आमने सामने के सोफे पर बैठे।
सर ने मेरी तरफ मेनू बढ़ाते हुए पूछा
“तापसी बताओ क्या लोगी ?”
मैंने कहा “सर कुछ भी चलेगा “
तब सर ने खुद ही 2 चाय, 2 चीज़ सैंडविच आर्डर कर दिए।
साथ ही वेटर को हिदायत भी दे दी कि हमें कोई परेशान ना करें थी।
आर्डर टेबल पर रख जाये।
अचानक से सर मेरी तरफ टकटकी लगाए देखनें लगे,
मुझे सर का ऐसे देखना तोह बहुत भा रहा था, लेकिन साथ ही शरम भी आ रही थी।
मुझे शर्माता देख कर सर बोले, “तोह आप शरमा भी लेती हैं”
मैंने चेहरा ऊपर किया और उनकी तरफ देखा,
वोह शरारत भरी नजरों से मुझे ही देख रहे थे अभी भी।
तभी वोह अपने सोफे से उठ कर मेरे साथ ही आकर बैठ गए,
मैं एकदम से सकपका के साइड होने लगी।
तोह उन्होने मेरा हाथ अपने हाथो में लेकर बोलना शुरू किया,
“तापसी मुझे लगता है आप मुझे चाहती हैं ।
इसीलिए आज मैं आपका हाथ पकड़ने की गुस्ताखी कर पाया हूँ,
आपको बताना चाहता हूँ यह चाहत सिर्फ आपकी तरफ से ही नहीं है, मैं भी आपको बेइंतहा चाहता हूँ।
मैंने अपना प्यार जाहिर नहीं किया अभी तक तोह उसकी सिर्फ एक वजह थी, मैं नहीं चाहता था की तुम्हारा ध्यान पढ़ाई के अलावा कहीं और भटके।
मैं तुम्हे अपना जीवनसाथी बनाना चाहता हूँ अगर तुम्हारी इजाजत हो।
बताओ तापसी क्या मैंने जोह महसूस किया वोह सच है?
चाहती हो क्या मुझे?
मेरे साथ जिन्दगी बिताने के सपने तुम्हारे भी हैं क्या?
या मुझे गल्ती लगी है?
तुम्हारे मन में जोह भी है मुझे साफ शब्दों में कहो, अगर तुम्हारी ना भी है तोह भी कोई बात नहीं, लेकिन बस अब इंतजार करना मुश्किल है, मुझे जानना है तुम्हारा जवाब”।
मुझे मेरे कानों से सुने पर जैसे विश्वास ही नहीं हो रहा था।
मेरी आँखों से टप टप आँसू बहने लगे,
और मैं बोलने लगी,
“जी सर मैं आपको बहुत चाहती हूँ इतना की मुझे बर्दाश्त नहीं आपको कोई और छुए,
मेरा हर दिन मैं आपके साथ देखती हूँ।
आप बस मेरे हैं, मैं आपके साथ अपनी पूरी ज़िन्दगी निकालना चाहती हूँ।
हर सुबह जब मेरी नींद खुले, तोह सबसे पहले मैं आपको देखूं”।
उन्होंने मेरे कंधे पर अपनी बाजु का घेरा बनाते हुए मुझे अपने से सटा लिया, फिर नैपकिन लेकर मेरे आंसू पूछने लगे।
वेटर खाना रख कर चला गया था ।
सर बोले,
“अब सब ठंडा करना है क्या, मुझे बहुत तेज भूख लगी है” ।
और मैं भी अपने आंसू जल्दी से पोंछते हुए सैंडविच खाने लगी।
खाते, खाते मेरे होठों पर थोड़ा सॉस लग गया उन्होंने नैपकिन से साफ करते हुए फिर मुझे एक बार अपनी तरफ खींच लिया।
आज सब बस सपने की तरह लग रहा था तभी सर ने मेरे गाल को प्यार से खिंचते हुए पूछा,
“अब पक्का है ना इरादा?
मुझे सारी उम्र झेलने को तैयार हो ना?”
मैं उनकी तरफ देखते हुए बोली,
” मुझे भी आप झेल लेंगे ना, सारी उम्र, पीछे तोह नहीं हटेंगे ?”
वोह मेरी आँखों में देखते हुए बोले,
“ अपनी तापसी को हमेशा अपने साथ रखूँगा ” ।
ओर सर ने मुझे अपने बाहों कए घेरे में ले लिया ।
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बदलते रिश्ते (भाग-10) – अंबिका सहगल : Moral stories in hindi
लेखिका : अंबिका सहगल