मम्मी भी मुझे गले लगा के बोली,
“थोड़ा समय दो उनको, उनको मैं जानती हूं, जिद्दी हैं एक नंबर के वोह लेकिन मन के बुरे नहीं सब सही हो जाएगा ।
तु बस एक बार अपने प्रोफेसर साहब से बात कर, हमें भी जल्दी हैं उनसे मिलने की ” ।
उर्मि भी धीरे से बोली “हाँ सही कह रहीं हैं मम्मी जी “
“ठीक है, ठीक है मैं उनसे आज ही बात कर लुंगी ।
अनिरुद्ध भईया आप यह बताओ, आप लोग घूमने कहाँ जा रहें हो?
और जा कब रहे हो?”
मम्मी भी बोले ,
“हाँ अनिरुद्ध इन सब बातों में यह तोह ध्यान ही नहीं गया, बूकिंग वगैरह कराई क्या कहीं की “?
अब उर्मि बोली,
“नहीं मम्मी जी हम लोग अभी कहीं नहीं जा रहें ।
थोड़ा चीजे संभल जायें, तपु के ससुराल वालों से भी मिलना हो जाये, उसके बाद ही हम लोग जाएंगे” ।
मैं या मम्मी कुछ बोलते अनिरुद्ध भईया उससे पहले ही बोले,
” इस पर कोई बहस नहीं होगी, यह हमारा अंतिम फैसला है ” ।
थोड़ी देर में उर्मि को अजित अंकल पगफेरे की रस्म के लिए अपने साथ ले गए ।
भईया मम्मी भी आराम करने अपने कमरों में चले गए, इतने दिनों की थकान जोह थी ।
मैंने कमरे में आकर सर को फोन लगाया, फोन व्यस्त जा रहा था मैंने काट दिया और सोने के लिए लेट गई ।
कुछ समय बाद सर का फोन आया, वोह बोले ” तपु जरा व्यस्त था बोलो”,
मैंने कहा ” नही ऐसा कुछ जरुरी नहीं था, आप काम कर लो,
बस मुझे बताना था की पापा ने आपसे पूछने को बोला था की पूछ लूँ हम लोग के परिवार कब मिल सकते हैं?
और आप लोग आएँगे?
या की मम्मी पापा को आना होगा”?
वोह बोले ” मतलब?
अगर इधर आएँगे तोह तुम नहीं आओगी?
अगर ऐसा है तोह हम ही आएँगे, चलो देखते हैं, मैं मम्मी से बात करके तुम्हे रात में बताता हूं ।
अभी फोन रख रहा हूं ” ।
शाम में भइया उर्मि भाभी को लेने के लिए चले गए ।
पापा भी आ गये थे वोह चाय पीकर अपने कमरे में ही चले गए, वोह भी काफी थके दिख रहें थे ।
इतने में सर का फोन भी आ गया,मैं कमरे में आ गई उनका फ़ोन देखते ही ।
वोह बोले,
“तापसी डिअर मम्मी से बात हो गई है, उन्हें भी बहुत जल्दी है, तुम्हे घर लाने की ।
वह तोह इसी इतवार को मिलने का बोल रहें हैं, अगर तुम्हारे पापा मम्मी को ऐतराज ना हो ।
बाकि उन्हें दोनों ही बातों में कोई ऐतराज नहीं, अगर तुम लोग हमारे घर आओ या हमें तुम्हारे घर आना है ।
वह तोह आंटी जी से फोन पर बात करना चाह रहे थे, अगर आंटी जी को कोई हर्ज ना हो ।
ओह मैं तुम्हे बताना भूल गया, तुम्हारा रिजल्ट भी आने वाला है ।
आज कॉलेज गया था तोह पता लगा था मुझे ।
जल्दी ही मेरी तापसी ‘डॉक्टर तापसी ‘ हो जाएगी” ।
मैंने कहा,“ओह रिजल्ट आने वाला है बस में अच्छे नंबरो से पास हो जांउ ।
अभी मैं फोन रखती हूं, आपसे रात में बात करती हूं ।
तब तक पापा मम्मी से भी बात हो जाएगी ।
बाकि मम्मी आंटी जी से खुद बात कर लेंगे ”।
मैं रसोई में मम्मी के पास उनका हाथ बंटाने आ गई, और उनको साथ साथ सर से हुई सारी बातचीत बता दी ।
खाने की टेबल पर मम्मी ने पापा से मेरे सामने ही बात की,
और यही फैसला हुआ कि मम्मी आंटी जी को सुबह कॉल करके आगे का प्रोग्राम निर्धारित कर लेंगी ।
अभी हम बात कर ही रहे थे कि भईया उर्मि भी आ गए, उन लोगों को भी मम्मी ने बता दिया ।
उर्मि बहुत से उपहार हम लोग के लिए लेकर आई थी, साथ ही बहुत सी मिठाई, फल, ड्राई फ्रूट्स भी ।
मम्मी ने उर्मि को कहा ” बेटे आगे से मम्मी को बोलना इतना कुछ ना भेजें, जैसे हम पहले थे वैसे ही अब रहेंगे “
वोह लोग भी खाना खा कर ही आये थे, और भईया की हरकतों से किसी को भी समझ आ जाता की उन्हें कितनी जल्दी हो रही थी कमरे में जाने की ।
उर्मि मम्मी को बोली,
” मम्मी जी में रसोई समेट दूंगी, आप आराम करो ।
उस समय तोह भईया की शक्ल देखने लायक थी ।
मम्मी हंसते हुए बोली,
” उर्मि तुम्ही को तोह संभालना है आगे सब कुछ ,लेकिन अभी कुछ दिन रहने दो अभी तोह अपने पति को संभाल लो ” ।
उर्मि कुछ नहीं बोल पाई और शरमा कर भईया के पीछे पीछे चली गई ।
मैंने सोने से पहले सर को फोन लगाया लेकिन उन्होने फोन नहीं उठाया, मेरे फोन रखते ही उनका वीडियो कॉल आया,
मैंने जल्दी से अपना हुलिया थोड़ा ठीक किया और कॉल लिया,
इससे पहले की मैं कुछ बोलती वह बोले,
“पहले मेरे एक सवाल का जवाब दो!
तुमसे पहले, तुमसे बाद होगा ना बार बार, बताओ क्या है इसका नाम“?
मैंने धीरे से कहा “प्यार”,
वह बोले “मैं सुन ही नही पाया”,
मैंने थोड़ा तेज आवाज़ में बोला “प्यार “,
तोह वह बोले “अब सुना मैंने तोह मोहतरमा आप को भी है क्या मुझसे“?
तभी वोह अचानक से बोले,
“अरे अरे यह क्या डाला हुआ है तुमने जरा पीछे हट के दिखाओ तोह,”
मैं थोड़ा पीछे हटी तोह वह बोले,
“शादी के बाद ऐसे ढीले, ढीले कपड़े नहीं चलेंगे हम अच्छी टाइट फिटिंग वाले लेंगे ” ।
मैं एक दम हड़बड़ा कर उन्हें देखती हूँ ।
वोह बोले “अरे तुम सीरियस हो जाती हो, मजाक कर रहा था जोह मन हो वोह डालना ।
अब बताओ हुई क्या बात अंकल आंटी जी से“?
मैंने उन्हें बताया की ,“मम्मी आंटी जी को सुबह कॉल करेंगी” ।
वह बोले ठीक है,
“तुम अब आराम करो इन दिनों तुम भी तोह बहुत व्यस्त चल रही हो ।
गुड नाइट” ।
और वहां से फोन कट जाता है ।
सुबह मम्मी ने आंटी जी को फोन लगाया ।
आरम्भिक परिचय के बाद दोनों की बातचीत शुरू हुई काफी देर तक बात चलती रही,
जैसे ही बातचीत खत्म हुई मम्मी ने बताना शुरू किया,
“उन्होंने सुझाव दिया है कि हम लोग ही उनके वहां आ जाएं ।
उनका कहना था कि हम लोग उनका घर वगैरह भी देख लेंगे, और अगर सबको सही लगा तोह वहीं छोटी रस्म करके रिश्ता पक्का कर लेंगे” ।
“आप बताइये आप क्या कहते हैं? उनको मैने कहा है कि मैं कुछ देर में उनको फोन पर बताती हूं” ।
मम्मी ने पापा से पूछा,
इसमें पापा को भी आपत्ति नहीं लगी ।
लेकिन मम्मी बोली,
” देखिये अनिरुद्ध की शादी में आपने अपनी जिद्द चला ली, लेकिन इस शादी में हमें सभी जानने वालों को, रिश्तेदारों को बुलाना ही पड़ेगा, नहीं तोह किसी से नज़रे मिलाने लायक नहीं रहेंगे ” ।
पापा बोले “वोह देखेंगे पहले तुम उनको हाँ बोल दो, अनिरुद्ध तुम लोग को जाने में कोई असुविधा तोह नही?
और हाँ वहाँ ठहरने के लिए कोई होटल भी देख लेना” ।
भईया बोले ” हाँ जी मैं बुक करा लूंगा,शनिवार को ही चलतें हैं ताकि इतवार को उनसे बातचीत हो सके ” ।
और शनिवार का दिन भी आ गया , हम सब सुबह ही निकल गए ।
रास्ते भर भी पापा ज्यादातर चुप ही रहे, बस जितना काम कि बात होती उसका जवाब देते । अलबत्ता हम सब ने यह सफर बहुत अच्छे से बिताया, उर्मि मम्मी के साथ भी काफी घुल मिल गई थी ।
हंसी मजाक करते कब मंजिल आ गई रास्ते का पता ही नहीं लगा ।
हम 2 कमरों में ठहरे,
उर्मि अनिरुद्ध भईया एक कमरे में,
मैं, मम्मी पापा दूसरे कमरे में ।
उर्मि ने मुझे बहुत जोर लगाया कि मैं उनके ही कमरे में रुक जाऊँ,
हाहा नहीं, नहीं मैं इतनी पागल बिलकुल नहीं की कबाब में हड्डी बनू ।
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बदलते रिश्ते (भाग-17) – अंबिका सहगल : Moral stories in hindi
लेखिका : अंबिका सहगल