मन से जुड़े अटूट रिश्ते – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

      ” इतनी ठंड में एक भी आदमी सड़क पर चलता दिखाई नहीं दे रहा है और तुम मुझे..   ” तो क्या करती..कब से मंदिर चलने के लिये कह रही थी और आप टालते जा रहें थें..।”            दिल्ली की कड़कती ठंडी में महेश अपनी पत्नी मीना के साथ स्कूटर पर झंडे वाली माता के दर्शन करके … Read more

सर्दी की वो शाम… – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

चार बजने को हुए तो सलोनी खिड़की बंद करने लगी…उम्र हो रही थी..अब हल्की ठंड भी उसके लिये जानलेवा हो जाती थी, फिर अभी तो दिसम्बर की कड़कती सर्दी है।तुलिका भी काॅलेज़ से आती ही होगी…।खिड़की बंद करते हुए उसकी नज़र अस्तांचल सूरज पर पड़ी जो दिनभर की थकान के बाद विश्राम करने के लिये … Read more

काश! तू बड़ी ना होती – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

      ” पापाजी…मिनी…।”   ” क्या हुआ मिनी को संदीप..बताओ..क्या हुआ..।” फ़ोन पर अपने दामाद की घबराई आवाज़ सुनकर मनोहर चीख पड़े।   ” वो मिनी…।” कहते हुए संदीप ने जो कुछ कहा, उसे सुनकर उन्हें कुछ होश नहीं रहा।उन्होंने पत्नी को आवाज़ लगाई,” मनोरमा..ज़ल्दी से एक थैले में चार कपड़े रखो..हमें तुरंत शहर जाना है।”     ” शहर!..मिनी … Read more

शिक्षा ही धन है – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

     ” कामिनी…ज़रा ठंडे दिमाग से सोचो…देवर जी तो अब रहे नहीं…तुम अकेली औरत..छोटी-सी बच्ची को लेकर कहाँ- कहाँ भटकोगी…,अपनी ज़िद छोड़ दो और अपने जेठ की बात मानकर आराम से यहाँ रहो..।” देविका अपनी देवरानी को समझाते हुए बोली तो कामिनी ने उन्हें घूरकर देखा…फिर बोली,” जीजी…मैंने अपनी बेटी के भविष्य के बारे में सही … Read more

सम्मान – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

   ” अरे सतीश…तुम क्यों उस बिचारे की पिटाई कर रहे हो..बात-बात पर अपनी #बाँह चढ़ा लेने की तुम्हारी आदत अभी तक गई नहीं है..चलो यहाँ से..।” सतीश का हाथ पकड़कर खींचते हुए नवीन उसे भीड़ से बाहर आ गया।सतीश गुस्से-से बोला,” तू मुझे क्यों ले आया… मैं तो मार-मारकर उसकी हड्डी-पसली एक कर देता।”     ” … Read more

भाग्यशाली से भाग्यहीन – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

         जबलपुर में रहते हुए मुझे चार महीने हो रहे थे, इस बीच आसपास रहने वालों से मेरी अच्छी-खासी पहचान भी हो गई थी।उन सबके घर भी आना-जाना हुआ।उसी मोहल्ले में एक बड़ी कोठी भी थी जिसकी बनावट तो पुरानी थी लेकिन साज-सजावट ऐसी कि बरबस ही लोगों का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट कर ले। मैंने … Read more

माई लकी-चार्म – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

    ” आ रहा हूँ…।” लगातार काॅलबेल बजते देख  आकाश दरवाज़े की ओर जाते हुए ज़ोर-से बोला।उसने लैपटाॅप का बैग अपने कंधे पर डाला और दरवाज़ा खोला तो सामने मनोहर काका के साथ लाल साड़ी पहने, माँग में सिंदूर- माथे पर बड़ी बिंदी लगाये बाईस वर्षीय युवती को देखकर वो चकित रह गया।    ” तुम…काका, आप … Read more

तुम सही थी – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

       पूरा शहर रंग-बिरंगी रोशनी से नहाया हुआ था। पटाखों और बच्चों के शोर अंदर कमरे तक सुनाई दे रहें थें लेकिन दीनदयाल जी अपने कमरे में पत्नी शकुंतला की तस्वीर के आगे बैठे एकटक उन्हें निहारे जा रहें थें।नम आँखों से उनसे शिकायत करने लगे,” मुझे अकेला छोड़कर तुम क्यों चली गई…पिछली दीपावली पर तुमने … Read more

संगत का असर – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

नीला अपने कमरे में बैठी हुई साड़ी अलमारी से निकाल रही थी कि तभी रमा दरवाजे पर आ खड़ी हुई। “नीला दीदी, ये साड़ी तो बहुत सुंदर है, मुझे दे दो, मैं इसे पहनकर पूजा में जाऊँगी,” रमा ने आँखों में चमक लिए कहा। नीला ने मुस्कुराते हुए साड़ी उसकी ओर बढ़ा दी। “ठीक है … Read more

बेटी का सम्मान – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

  ” नहीं भईया…अब आप मीनू को वहाँ नहीं भेजेंगे।हाँ..उसके ससुराल वाले आकर ससम्मान ले जायें तब तो ठीक है वरना..हमारी बेटी कोई बोझ नहीं है।” सुमेश ने अपनी भतीजी के सिर पर स्नेह-से अपना हाथ रखा तो मीनू सुबक पड़ी।      ” लेकिन सुमेश…मीनू को यहाँ रहते देख रिश्तेदार क्या कहेंगे..।” महेश जी ने भाई की … Read more

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