स्नेह का बंधन – विभा गुप्ता  : Moral Stories in Hindi

  ” रीना..सुन रही हो..दो दिन बाद पापाजी आ रहें हैं..उनके लिये कमरा तैयार करवा देना।” किचन में काम कर रही अपनी पत्नी से मनीष ने कहा तो वो भड़क उठी। आँखें दिखाते हुए बोली,” क्यों आ रहें हैं तुम्हारे पापाजी..तुम नहीं जानते कि बच्चे अपने घर में किसी तीसरे आदमी को पसंद नहीं करते।”   ” … Read more

काश! उसकी बात मान लेती –   विभा गुप्ता  : Moral Stories in Hindi

  हमेशा की तरह शाम को ठीक 5 बजे चाय का प्याला लेकर कृष्णा जी अपनी बालकनी में बैठी ही थी कि उनकी नज़र साथ वाले मकान के सामने खड़ी ट्रक पर गई।दो लोगों को ट्रक से सामान उतारते देखकर वो बड़ी खुश हुईं।चाय पीते हुए वो सोचने लगी कि नये पड़ोसी से कैसे परिचय किया … Read more

नीयत खोटी तो इज़्जत कैसी! – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

   ” खाना रखा है…ठूँस लो…।” टेबल पर थाली पटकती हुई शारदा बोली तो उसके जेठ धीरे-से बोले,” शारदा..मैं तुम्हारे पति का बड़ा भाई हूँ..इतना तो लिहाज़ करो…।”    ” जानती हूँ लेकिन लिहाज़ करने वाला कर्म किये होते तो ज़रूर आपको सिर पर बिठाती मगर आप तो…।” आँखें तरेरती हुई शारदा ने बिस्तर पर पड़े बासठ … Read more

मेरी भाभी हैं – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

  मालती एक शांत स्वभाव और सादगी पसंद लड़की थी।बचपन से वो देखती आई थी कि चाचाजी और बुआजी जब भी माँ को भाभी कहकर पुकारते तो उनके चेहरे पर एक चमक आ जाती थी।उनका कोई भी काम हो, माँ मन लगाकर करतीं थीं।कई बार तो उसके पापा अपने भाई-बहन को डाँट भी लगा देते थें, … Read more

आप अपना देखिये – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

   ” मालती…बहू को इतनी छूट मत दे..उस पर नकेल कस..।” विवाह के अगले दिन ही नई-नवेली बहू को सलवार- कमीज़ पहने देख मालती की जेठानी की त्योरियाँ चढ़ गई थी।मालती बोली,” दीदी..नकेल क्यों…बहू भी तो हमारी बेटी ही है ना..।इतनी गरमी में जब हम सभी आरामदायक कपड़े पहने हैं तो बहू क्यों नहीं..। कहकर उसने … Read more

देवी का रूप है – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

    ‘ अक्षरा धाम ‘ का लाॅन लाल-पीली बत्तियों से जगमग कर रहा था।हवा के झोंकें के साथ ताज़े फूलों की खुशबू नलिनी के नाक तो आई तो उसका तन-मन महक उठा।लोगों की भीड़ में उसकी नज़रें किसी अपने को तलाशने लगी कि तभी घर की वरिष्ठ महिला ने आकर उसका स्वागत किया,” आओ बचिया….तुम्हारे बिना … Read more

अपने दम पर – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

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   ” इंदू बेटा.. इंटरव्यू कैसा रहा? ” पुष्पा जी ने बेटी से पूछा तो वह अपना हैंडबैग सोफ़े पर पटकती हुई गुस्से-से बोली,” मम्मी …, पापा के तो इतने जान-पहचान वाले हैं, किसी एक को भी फ़ोन कर देते तो मेरा काम आसानी से हो जाता पर…नहीं…उन्हें तो अपना उसूल प्यारा है।मैं कितने इंटरव्यू दे … Read more

सोच- समझ कर बोलना चाहिए – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

 कामिनी के घर में किटी पार्टी चल रही थी।सभी महिलाएँ आपस में घर-बाहर की बातें कर रहीं थीं कि तभी मिसेज़ चंद्रा ने अरुणा से पूछ लिया,” अरुणा जी..सुना है कि स्कूल के प्रिसिंपल ने आपको बुलाया था..क्या हुआ…आपके मनु को कोई प्राइज़ मिला है क्या..।” उनके व्यंग्य से अरुणा बहुत आहत हुई और उसे … Read more

वरदान – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

    ” ए अनंत के बच्चे…तुझे कितनी बार कहा है कि मेरी टेबल को हाथ न लगाना..चोर कहीं का..चल भाग यहाँ से…।” लगभग चीखते हुए नितिन ने अपने फुफुरे भाई को धक्का देकर कमरे से बाहर निकाल दिया।अनंत रोता हुआ अपनी माँ रेवती के पास गया,” माँ..मैंने तो कोई चोरी नहीं की…फिर भईया ने मुझे चोर … Read more

नाम – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

  ” सुनिये जी..हम कैसे लग रहें हैं…हमारी वजह से शैलेश का मज़ाक तो नहीं होगा ना….।” शीशे में खुद को निहारकर अपनी साड़ी का पल्ला ठीक करती हुई सुनंदा जी अपने पति श्रीकांत बाबू से पूछी तो वो हा-हा करके हँसने लगे…फिर उनके कंधे पर अपने दोनों हाथ रखते हुए बोले,” अब इस उम्र में … Read more

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